हरियाणा में 15 साल की लड़की को हार्ट अटैक; लंच के बाद क्लासरूम में अचानक बेसुध होकर गिरी, पल में खत्म हुआ जिंदगी का खेल

Haryana 15 Years Girl Student Heart Attack Death Breaking News
Girl Student Heart Attack: हार्ट अटैक से अचानक मौत होने का सिलसिला थम नहीं रहा है। हंसते-खेलते लोग एक पल में मौत के मुंह में समा जा रहे हैं। हैरानी की बात ये है कि, हार्ट अटैक का शिकार हो रहे लोगों में सबसे ज्यादा युवा ही हैं। इसके अलावा बच्चों की भी हार्ट अटैक से जान जा रही है। ऐसे में यह स्थिति बेहद चिंताजनक और डरावनी है। वहीं अब हरियाणा के चरखी-दादरी से एक ऐसा ही मामला सामने आया है। जिसमें 15 साल की एक लड़की को हार्ट अटैक आया और उसकी अचानक मौत हो गई।
स्कूल के क्लासरूम में थी लड़की
लड़की का नाम तमन्ना था और वह 9वीं क्लास में पढ़ रही थी। जिस वक्त उसकी जान गई। वह स्कूल में ही थी और क्लासरूम में मौजूद थी। बताया जाता है कि, हार्ट अटैक से पहले तमन्ना ने लंच भी किया। लंच के बाद ही जब वह क्लासरूम में बैठी थी तो वह अचानक से बेसुध होकर जमीन पर गिर गई। जिसके बाद क्लास में हड़कंप मच गया। उसे होश में लाने की कोशिश की गई। लेकिन तमन्ना के शरीर में कोई हलचल नहीं दिखी। जिसके बाद स्कूल स्टाफ ने तमन्ना के परिवार को जानकारी दी और उसे अस्पताल ले जाया गया।
स्कूल में ही हो गई थी मौत
स्कूल स्टाफ जब तमन्ना को नजदीकी अस्पताल लेकर पहुंचा तो डॉक्टरों ने जांच के दौरान उसे मृत घोषित कर दिया। अस्पताल पहुंचने से पहले स्कूल में ही तमन्ना की मौत हो चुकी थी। वहीं इस मामले की सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने तमन्ना का पोस्टमार्टम कराया। जिसके बाद उसका शव परिजनों को सौंप दिया गया। बच्ची की मौत से परिजनों में कोहराम मचा हुआ है। सबसे ज्यादा मां का बुरा हाल है। परिजन इस दुखद घटना को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं। वहीं इस मामले से डॉक्टर भी चौंक गए हैं। इतनी कम उम्र में ऐसा होना मेडिकल दृष्टि से बेहद दुर्लभ है।
फिलहाल इस मामले ने एक बार फिर से युवाओं और बच्चों में हार्ट अटैक से होने वाली मौतों की बढ़ती संख्या को लेकर चिंता बढ़ा दी है। इससे पहले भी कुछ बच्चों में हार्ट अटैक से मौत के मामले दर्ज किए गए हैं। इसके अलावा पिछले कुछ महीनों के भीतर ही कई नौजवान हार्ट अटैक के चलते अचानक मौत की भेंट चढ़ चुके हैं। वाकई अब बड़ी भयानक स्थिति है। दिन पर दिन अचानक मौत के मामले बढ़ते ही जा रहे हैं। अब तो ऐसा लगने लगा है कि पता नहीं अगला नंबर किसका आ जाए और वह चलते-फिरते दुनिया को अलविदा कह दे।
कोरोना के बाद जिंदगी पर गहराया मौत का साया!
खासकर कोरोना के बाद से जिंदगी बहुत मुश्किल हो गई है। जिंदगी पर मौत का साया गहरा गया है। खासकर खेलने-कूदने वाले लोगों के लिए हाई रिस्क है। युवाओं के बीच अचानक मौत का यह दौर महामारी की तरह पसर रहा है। अब तो यह कहना मुनासिफ़ ही होगा कि कितनी ऐसी मौतों के बाद हम इस मेडिकल इमरजेंसी को स्वीकार करेंगे? फिलहाल लोग सावधानी बरतें और समय-समय पर अपने शरीर का चेकअप कराते रहें। खासकर हार्ट से जुड़ी जांच हर 6 महीने में कराएं।
ICMR ने कहा- अचानक मौत का वैक्सीन से संबंध नहीं
ऐसी अचानक मौतों को देखते हुए लोगों के बीच एक बहस और चर्चा कोरोना वैक्सीन को लेकर खूब चल रही थी। पिछले कुछ दिनों से ये अंदेशा जताया जा रहा था कि चलते-फिरते आ रहे हार्ट अटैक और उसकी वजह हो रही मौत का कोविड वैक्सीन से संबंध है। लोग यही मान रहे थे कि इसके पीछे कोरोना वैक्सीन ही वजह है। लेकिन हाल ही में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने रिसर्च करते हुए एक रिपोर्ट जारी की और यह स्पष्ट किया कि अचानक मौतों का कोविड वैक्सीन से कोई सीधा संबंध नहीं है।
मसलन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने इस गंभीर स्थिति को स्वीकार जरूर किया है लेकिन इसके निदान और असल कारण के तह तक जाना बाकी है। यानि अचानक मौतों को लेकर कोई बचाव उपाय निकालना चाहिए। क्योंकि देश में इन दिनों अचानक मौत को लेकर एक बेहद दर्दनाक और डरावनी स्थिति बनी हुई है। पिछले कुछ समय से ये सिलसिला लगातार तेजी से जारी है और एक के बाद एक अब तक कई लोग (अधिकतर युवा) इसी तरह मौत के मुंह में समा चुके हैं।
हार्ट अटैक आने पर कैसे दें CPR?
हार्ट अटैक की स्थिति हम में से किसी के साथ भी घटित हो सकती है। इसलिए अगर आपके सामने ऐसी कोई भी स्थिति आती है तो सबसे पहले मरीज़ को फ़र्श पर लिटा कर उसकी पल्स और धड़कन देखने की कोशिश करें। किसी एक व्यक्ति को फ़ौरन एंबुलेंस को कॉल करने को कहें। अगर नज़दीकी अस्पताल का नंबर है तो उसपर कॉल करें। अगर पल्स नहीं मिल रही तो तुरंत CPR शुरू करें। मरीज़ के आसपास भीड़ ना लगाएँ और CPR तब तक देते रहें जब तक मदद ना आ जाये या मरीज़ की पल्स ना मिलने लगे।
अगर आपको CPR देने की विधि मालूम नहीं है तो आप यहां जान लीजिये। CPR देने की क्रिया में आप मरीज के कन्धों के पास घुटनों के बल बैठ जाएं। इसके बाद अपनी एक हाथ की हथेली को मरीज की छाती के बीच में रखें. दूसरे हाथ की हथेली को पहले हाथ की हथेली के ऊपर रखें। अपनी कोहनी को सीधा रखें और कन्धों को मरीज के छाती के ऊपर सीधाई में रखें।
वहीं अपने ऊपर के शरीर के वजन का इस्तेमाल करते हुए मरीज की छाती को कम से कम 2 इंच (5 सेंटीमीटर) और ज़्यादा से ज़्यादा 2.5 इंच (6 सेंटीमीटर) तक दबाएं और छोड़ें। एक मिनट में 100 से 120 बार ऐसा करें। अगर आपको फिर भी सीपीआर देना नहीं आ रहा है, तो व्यक्ति के हिलने डुलने तक या मदद आने तक उसकी छाती दबाते रहें। शायद आपका कोई दवाब उसकी साँसों को दोबारा लाने में सफल हो जाये। उसका हार्ट काम करने लग जाये।