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Gujarat Election: राजनीतिक दलों के ठोस वादों पर ही भरोसा करे जनता

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Gujarat Assembly Election: गुजरात विधानसभा चुनाव में इस बार के हालात वर्ष 2017 की तुलना में काफी बदले हुए हैं तो यह राज्य की जनता की परिपक्वता समझी जाए या फिर आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) की पहली बार चुनावी दस्तक। पांच वर्ष पहले राज्य में हुए चुनावों में भाजपा और कांग्रेस के बीच जंग देखने को मिली थी, लेकिन इस बार आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) ने जिस प्रकार से अंगद का पैर जमाया है, उसने सत्ताधारी भाजपा और बदलाव होने की उम्मीद में चल रही कांग्रेस के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। लोकतंत्र की महानता इसी में है कि चुनावी दंगल में जनता और राजनीतिक दल बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें, आम आदमी पार्टी ने पंजाब फतेह के बाद अगर गुजरात का रुख किया है, तो यह पार्टी की अपने प्रसार की कोशिश है।

आप की गुजरात (Gujarat ) में मौजूदगी का असर यह हुआ है कि सत्ताधारी भाजपा जहां रक्षात्मक मोड में है वहीं कांग्रेस (Congress) को अपने लिए सबसे ज्यादा खतरा महसूस हो रहा है। ऐसी भी रिपोर्ट हैं कि आप राज्य में कांग्रेस की सीटों को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है और ऐसी सीटों की तादाद करीब 43 है। यानी इन सीटों पर अगर कांग्रेस (Congress) के जीतने की संभावना थी तो अब ये सीटें आप की तरफ हो सकती हैं।

Gujarat Election गुजरात चुनाव पर पूरे देश और विश्व की नजरें इसलिए भी हैं, क्योंकि यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) का गृह राज्य है। यह वह प्रदेश है, जिसके वे मुख्यमंत्री रहे हैं और उनके कराए विकास कार्यों को गुजरात (Gujarat) मॉडल का नाम दिया जाता है। भाजपा केंद्र (BJP Center) में सुशासन के मॉडल को गुजरात से लाकर ही देश में पेश कर रही है। हालांकि राज्य में बीते 27 साल से शासन कर रही भाजपा के प्रति अब जनता के भिन्न-भिन्न स्वर सुनने को मिल रहे हैं। समृद्ध प्रदेश गुजरात में तमाम ऐसे इलाके हैं, जहां विकास की बातें हुई हैं, लेकिन हकीकत में कुछ भी बदला हुआ नजर नहीं आता। बेरोजगारी, महंगाई का डंक गुजराती भी झेल रहे हैं।

इस चुनाव में जब आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party) के नेता अरविंद केजरीवाल जनता को फ्री बिजली, फ्री पानी, फ्री शिक्षा का वादा कर रहे हैं तो जनता की उम्मीदें परवान चढ़ती नजर आती हैं। वे आप की दिल्ली सरकार का उदाहरण देते हुए गुजरात (Gujarat) में परिवर्तन होने की उम्मीद करते हैं। हालांकि फिर गुजराती इसे अपने स्वाभिमान का सवाल भी बनाते दिखते हैं कि उन्हें फ्री नहीं चाहिए, वे बस मोदी को चाहते हैं। किसी नेता के प्रति जनता का यह मोह अपनी जगह सही हो सकता है, लेकिन भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) समेत दूसरे राष्ट्रीय नेताओं की गुजरात में मौजूदगी उस एकाधिकार पर पुन: दावे को प्रदर्शित करते दिखती है, जोकि बीते वर्षों में जनता और भाजपा(BJP)  के बीच यहां कायम हुआ है।
 

इन चुनावों में कांग्रेस (Congress) कहां है, यह सभी पूछ रहे हैं। गुजरात में कांग्रेस का प्रचार जितने शांत तरीके से जारी है, वह भी अचंभित कर रहा है। पार्टी ने हाल ही में अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडग़े (National President Mallikarjun Kharge) का चुनाव किया है, लेकिन गुजरात (Gujarat) चुनाव में उनकी उपस्थिति अभी तक नहीं दिखी है। राज्य में ऐसे समीकरण बन रहे हैं कि कांग्रेस ने जिन सीटों पर पिछड़ा वर्ग, एससी, एसटी समाज के प्रत्याशी उतारे हैं, उनकी जाति आप के प्रत्याशियों से मिल रही है। ऐसे में इन सीटों पर आप, कांग्रेस को नुकसान पहुंच रही है। वास्तव में तमाम राजनीतिक विश्लेषण इस समय बेशक जारी हैं, लेकिन गुजरात (Gujarat) की जनता भी अन्य राज्यों की तरह विकास के बारे में ही सोच रही है। इस समय पूरे देश में बेरोजगारी और आर्थिक मंदी का दौर जारी है। यह गौर करने लायक बात है कि इन चुनावों में राष्ट्रीय मुद्दों पर विचार नहीं हो रहा, अपितु बिजली, पानी, रोड, शिक्षा, पेंशन, महंगाई आदि की ही बातें हो रही हैं। लोग महंगाई के बारे में सबसे ज्यादा बात कर रहे हैं। ऐसे में राजनीतिक दलों के लिए इन मुद्दों के लिए काम करना जहां चुनौतीपूर्ण है वहीं यह तय है कि जनता ऐसे मुद्दों की पूर्ति की सोच कर ही मतदान केंद्रों तक आएगी।

AAP आप ने राज्य में वही सब मुद्दे दोहराए हैं, जिन पर वह पंजाब (Punjab) में चुनाव जीत चुकी है, और दिल्ली में भी उन्हीं के बूते उसने जीत हासिल की थी। आप के इस जिताऊ फार्मूले को अब कांग्रेस ने भी अपना लिया है। पार्टी ने पंजाब चुनाव में भी फ्री बांटने के अनेक वादे किए थे, लेकिन बावजूद इसके उसे कामयाबी हासिल नहीं हुई थी, लेकिन गुजरात चुनाव में उसने फिर से हर महीने 300 यूनिट तक फ्री बिजली देने, 10 लाख लोगों को रोजगार देने, किसानों की कर्ज माफी आदि के वादे किए हैं। वहीं भाजपा ने छात्राओं को ई-स्कूटी के अलावा 20 लाख रोजगार देने, 10 हजार करोड़ के बजट से 20 हजार सरकारी स्कूलों को उत्कृष्ट स्कूलों में बदलने की बात कही है।

(Gujarat) गुजरात चुनाव जहां राजनीतिक दलों के लिए अग्निपरीक्षा बन चुके हैं, वहीं जनता का मूड समझने का भी जरिया बनने जा रहे हैं। साल 2024 में आम चुनाव होने जा रहे हैं। इन चुनावों के जरिए मतदाता का मन समझने का पार्टियों को मौका मिलेगा। हालांकि चुनाव परिवर्तन का सबसे बड़ा जरिया होते हैं, गुजरात (Gujarat) को भी विकास की दरकार है। सामान्य से लेकर सर्वोच्च तक हर एक के लिए विकास जरूरी है, राज्य में जहां बेहतर सडक़, पानी, बिजली और शिक्षा व्यवस्था की जरूरत है, वहीं रोजगार का प्रबंध भी आवश्यक है। गुजरात की जनता को ठोस चुनावी वादों पर यकीन करते हुए निर्णय लेना होगा। 

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