Global leaders should learn the lesson of coordination and peace from the platform of G-20.

Editorial: जी-20 के मंच से वैश्विक नेता सीखें समन्वय-शांति का पाठ  

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Global leaders should learn the lesson of peace from the G-20 platform.

Global leaders should learn the lesson of peace from the G-20 platform. देश की राजधानी नई दिल्ली में जी-20 देशों के शिखर सम्मेलन का आयोजन न केवल भारत अपितु पूरे विश्व के लिए ऐसा यादगार अनुभव है, जिसका दूरगामी असर अवश्य ही नजर आएगा। इस आयोजन की भव्यता जहां विश्व को आकर्षित कर रही है, वहीं इस दौरान होने वाली चर्चा और उठाए जाने वाले मुद्दों की गंभीरता भी विश्व को सम्मोहित कर रही है। इससे पहले विश्व में तमाम ऐसी बैठकें और सम्मेलन होते रहे हैं, लेकिन ऐसा पहली बार है, जब भारत की देवभूमि पर वसुधैव कुटुम्बकम की धारणा के साथ इस महा आयोजन का साक्षात्कार विश्व कर रहा है। इस दौरान विश्व नेताओं की राय और उनके फैसले विश्व को प्रेरित और लक्षित करेंगे। यह कितना सौहार्द कारी है कि भारत ने उन्हीं बातों को सामने रखा है, जोकि सदियों से विश्व कल्याण के लिए उसकी सोच का अहम हिस्सा रहे हैं।

भारत वैश्विक विकास और शांति का पक्षधर है और इस आयोजन का मुख्य आधार यही विचार है। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मानवता का कल्याण सुनिश्चित करने के लिए विश्व को एकजुट होने का आह्वान किया है। वास्तव में विश्व में आज इसी बात की सबसे बड़ी समस्या है। अगर मानवता का कल्याण सभी देशों की प्राथमिकता हो जाए तो न भूख रहेगी, न गरीबी रहेगी और न ही हिंसा। मोदी ने देशों के बीच हर प्रकार के आपसी अविश्वास को दूर कर के सभी वैश्विक चुनौतियों के ठोस समाधान की तरफ बढ़ने का आग्रह भी किया है।

प्रधानमंत्री मोदी का यह कथन उपयुक्त है कि यह वह समय है, जब बरसों पुरानी चुनौतियां, हमसे नए समाधान मांग रही हैं। हमें मानव केन्द्रित रुख के साथ अपने हर दायित्व को निभाते हुए ही आगे बढ़ना है। कोविड-19 के बाद विश्व में एक बहुत बड़ा संकट विश्वास के अभाव का आया है। युद्ध ने, इस विश्वास के संकट को और गहरा किया है। जब हम कोविड को हरा सकते हैं, तो हम आपसी विश्वास पर आए इस संकट पर भी विजय प्राप्त कर सकते हैं। प्रधानमंत्री का यह कहना देश के वैश्विक उद्देश्य को जाहिर करता है कि आज जी-20 के अध्यक्ष के तौर पर भारत पूरी दुनिया का आह्वान करता है, कि हम मिलकर सबसे पहले इस विश्वास के इस वैश्विक संकट को एक विश्वास, एक भरोसे में बदलें। यह हम सभी के साथ मिलकर चलने का समय है। उन्होंने सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास’ का मंत्र भी विश्व के नेताओं को दिया।

गौरतलब है कि इस समय विश्व ऐसे हालात से गुजर रहा है, जब प्राकृतिक असंतुलन बढ़ रहा है, अनेक देशों के बीच तनाव है। युद्ध की आग जल रही है और आतंकवाद नागों की भांति अपने फन लहरा रहा है। चीन जैसे देश इस आपदा में अपने लिए अवसर तलाश रहे हैं और पाकिस्तान जैसे देश उसके मोहरे बन चुके हैं। रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध का कोई वाजिब कारण समझ में नहीं आता सिवाय इसके कि यूक्रेन ने रूस का कहना मानने से इनकार कर दिया और नाटो देशों का सदस्य बन गया। जाहिर है, ऐसे ही अनेक समस्याएं दुनिया के समक्ष हैं, जिनसे पार पाना है। इसी विचार के साथ प्रधानमंत्री का यह कथन अनमोल है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में उथल-पुथल हो, उत्तर दक्षिण का विभाजन को, पूर्व एवं पश्चिम की दूरी हो, खाद्य, ईंधन एवं उर्वरक का प्रबंधन हो, आतंकवाद एवं साइबर सुरक्षा हो, स्वास्थ्य, ऊर्जा एवं जल सुरक्षा को, वर्तमान के साथ ही, आने वाली पीढिय़ों के लिए, हमें इन चुनौतियों के ठोस समाधान की तरफ बढऩा ही होगा।

मोदी ने इस बात को भी परिलक्षित किया है कि आखिर जी-20 का भारत में होना क्या मतलब रखता है। भारत वह देश है, जोकि अपनी समस्याओं से बाहर आ रहा है। यह देश अपने घोषित और अघोषित दुश्मनों से मुकाबला करते हुए, अपने यहां की गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और तमाम अन्य परेशानियों पर पार पाते हुए आगे बढ़ रहा है। जी-20 का एजेंडा विकासशील देशों के कल्याण के लिए काम करने का भी है। यह भी कितना श्रेयकर है कि जी-20 देशों में इस बार अफ्रीकी महाद्वीप के देशों का संगठन भी शामिल हो गया है।

दरअसल, विश्व को भारत का यह आग्रह स्वीकार करना होगा कि वैश्विक विश्वास की कमी को विश्वास और निर्भरता में बदला जाए। यह समय सभी के लिए एक साथ आगे बढ़ने का है। चुनौतियां चाहे उत्तर और दक्षिण के बीच विभाजन की हो, पूर्व और पश्चिम के बीच की दूरी की हो, उनका समाधान खोजना होगा। यह कितना अच्छा होगा अगर रूस-यूक्रेन युद्ध बंद हो जाए और पश्चिमी देशों का एजेंडा वैश्विक हो जाए। जी-20 के नेता भारत की भूमि से शांति, विकास और समन्वय का पाठ पढक़र जाएं, यह पूरे विश्व के लिए कल्याणकारी होगा। 

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