महंगा पेट्रोल-डीजल अर्थव्यवस्था पर करेगा चौतरफा वार! जानिए क्या हो सकते हैं परिणाम

महंगा पेट्रोल-डीजल अर्थव्यवस्था पर करेगा चौतरफा वार! जानिए क्या हो सकते हैं परिणाम

महंगा पेट्रोल-डीजल अर्थव्यवस्था पर करेगा चौतरफा वार! जानिए क्या हो सकते हैं परिणाम

महंगा पेट्रोल-डीजल अर्थव्यवस्था पर करेगा चौतरफा वार! जानिए क्या हो सकते हैं परिणाम

नई दिल्ली। पिछले 15 दिनों से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में जारी वृद्धि का देश की इकोनॉमी पर चौतरफा असर होने की बात की जा रही है। इससे उन सभी कंपनियों पर ज्यादा असर होने की संभावना है, जो कच्चे माल या तैयार माल की ढुलाई पर ज्यादा पैसा खर्च करती हैं। महंगाई की दर में भारी वृद्धि होने के अंदेशा से ना सिर्फ आने वाले दिनों में कर्ज की दरों में इजाफा होने की स्थिति बन रही है बल्कि राजकोषीय घाटे का प्रबंधन भी कठिन होगा।

जानकारों का कहना है कि अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतें मौजूदा स्तर पर ही बनी रहती है तो महंगे पेट्रोल डीजल को संभालना ज्यादा मुश्किल नहीं होगा लेकिन अगर कीमतों में वृद्धि का सिलसिला यूं ही जारी रहा तो फिर सभी पक्षों के लिए परेशानी ज्यादा होगी। हाल के दिनों में कई एजेंसियों ने वर्ष 2022-23 के लिए भारत की विकास दर के अनुमान को अगर घटाया है तो इसके लिए क्रूड की बढ़ती कीमतें और इसके संभावित असर ही जिम्मेदार हैं।

मंगलवार को सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में 80-80 पैसे की वृद्धि कर दी है। पिछले 15 दिनों में 13 बार कीमतें बढ़ाई जा चुकी हैं। इस वृद्धि से पिछले 15 दिनों में पेट्रोल और डीजल 9.20 रुपये महंगे हो चुके हैं। दिल्ली में पेट्रोल की खुदरा कीमत 104.61 रुपये प्रति लीटर हो गई है जबकि डीजल 95.87 रुपये प्रति लीटर हो चुका है। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक पेट्रोल की कीमत 100 रुपये से ज्यादा हो चुकी है जबकि कई राज्यों में डीजल भी 100 रुपये के स्तर को पार कर गया है।

प्रमुख उद्योग चैंबर सीआइआइ की चीफ इकोनॉमिस्ट बिदिशा गांगुली का कहना है कि 'पेट्रो उत्पादों के लगातार महंगा होने का कुछ असर तो तत्काल कुछ हफ्तों में देखने को मिल सकता है, बड़ा असर बाद में दिखता है। ऐसे में अगर क्रूड की कीमतें मौजूदा स्तर पर ही बनी रहती हैं तो मुझे लगता है कि बहुत व्यापक असर नहीं होगा। लेकिन, कंपनियां जिस तरह से पिछले कुछ दिनों से कीमतें बढ़ा रही हैं अगर वैसे ही आगे भी बढ़ाती हैं तो फिर मुश्किल है।'

उन्होंने कहा, 'हम मानते हैं कि एफएमसीजी से लेकर छोटे व मझोले उद्योगों तक के लिए उत्पादन लागत बढ़ने वाला है जिससे उनकी मार्जिन कम होगी। देखना होगा कि आगामी मौद्रिक नीति की बैठक में कैसा फैसला होता है।' वहीं, आनंद राठी शेयर्स व स्टाक ब्रोकर्स के निदेशक नवीन माथुर का कहना है कि 'महंगाई पिछले एक वर्ष से लक्ष्य दर (छह फीसद) के आस पास है लेकिन आरबीआइ ने महंगाई रोकने से ज्यादा विकास दर को सुधारने पर ध्यान दिया है। अब यह बदलेगा।'

माथुर ने कहा, 'हो सकता है 6-8 अप्रैल, 2022 को मौद्रिक नीति समिति की बैठक में ब्याज दरों को लेकर कोई बदलाव ना हो लेकिन इसके बाद की मौद्रिक नीति में निश्चित तौर पर ऐसा कदम उठाना होगा।' इनके अलावा, क्रिसिल की मुख्य अर्थशास्त्री दिप्ती देशपांडे का कहना है कि 'पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतों के बढ़ने की उम्मीद तो सभी को थी क्योंकि नवंबर, 2021 से इसमें कोई बदलाव नहीं हुआ था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड की कीमतों में 32 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी के बावजूद घरेलू कीमतों में कोई बदलाव नहीं किया गया था।'

देशपांडे ने कहा, 'मुझे लगता है कि इनकी कीमतों में वृद्धि का सिलसिला अभी जारी रहेगा। हमने वर्ष 2023 में महंगाई दर के 5.4 फीसद पर रहने का अनुमान इस आधार पर लगाया था कि क्रूड की कीमतें 90 डॉलर से नीचे रहेंगी। यूक्रेन-रूस की लड़ाई की वजह से क्रूड काफी ऊपर जा चुका है। मुझे लगता है कि अगर क्रूड लगातार इसी तरह से महंगा रहा तो सरकार को उत्पाद शुल्क घटाने का विकल्प आजमाना पड़ेगा।'