इतिहास पर आपातकाल का धब्बा, देशवासी नहीं करेंगे माफः डॉ अरविंद शर्मा

इतिहास पर आपातकाल का धब्बा, देशवासी नहीं करेंगे माफः डॉ अरविंद शर्मा

Emergency is a Blot on History

Emergency is a Blot on History

: लोकतंत्र की निर्मम हत्या, विभिषका से नहीं उभरा देश
: आपातकाल से अछूती युवा पीढी को हकीकत से रूबरू कराना जिम्मेदारी
: प्रधानमंत्री मोदी ने संविधान की रक्षा करते हुए लोकतंत्र सेनानियों को दिया सम्मान

कैथल। Emergency is a Blot on History: सहकारिता, कारागार, निर्वाचन, विरासत एवं पर्यटन मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि दुनिया के सबसे बडे लोकतंत्र भारत और इसके गौरवशाली इतिहास पर आपातकाल गहरा धब्बा था। लोकतंत्र की निर्मम हत्या और ऐसी विभिषका से जहां लोकतंत्र सेनानी व उनके परिवार आज तक नहीं उभर पाए हैं। आज हमारी जिम्मेदारी है कि लोकतंत्र सेनानियों का त्याग इतिहास के पन्नों तक सीमित न रहे और इस हकीकत से अछूती युवा पीढी को उनके संकल्प, साहस से रूबरू कराया जाए।

बुधवार शाम को अग्रसेन धर्मशाला, कैथल में आपातकाल के काले अध्याय से 50 वर्ष पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के तौर पर पहुंचे सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने जिला के लोकतंत्र सेनानियों व उनके परिजनों को सम्मानित किया। गणमान्य नागरिकों को संबोधित करते हुए सहकारिता मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि गौरवशाली इतिहास, समृद्ध सांस्कृतिक विरासत, परंपराओं को अपने में समेटने वाला हमारा देश भारत दुनिया में विश्वगुरू के तौर पर अपनी पहचान रखता है। भारत के गौरवशाली इतिहास को बनाने और इसे बरकरार रखने में हर दिन, हर महीने का अपना विशिष्ट स्थान है। देश का जन-जन वाकिफ है देश की आजादी के महीने अगस्त से। दुनिया के सबसे बडे लोकतांत्रिक देश के संविधान लागू होने के महीने जनवरी से। जून का महीना भारतीयों को याद दिलाता है छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक का, प्लासी के संघर्ष का, झांसी की रानी लक्ष्मीबाई के अमर बलिदान की। भारत के गौरवशाली दिनों से भरपूर यही जून का महीना भारतीय इतिहास के सबसे काले दिनों की भी याद दिलाता है। 

उन्होंने कहा कि 25 जून 1975 की काली रात में देश में लोकतंत्र की निर्मम हत्या की गई थी। उस विभिषिका से हमारा देश आज भी नहीं उभर सका है। 50 साल पहले, लोकतांत्रिक भारत के इतिहास में घृणित आपातकाल का घृणित अध्याय जोडा गया था। यह वो दिन थे, जो इतिहास में दर्ज ही नहीं हुए, बल्कि देश, देशवासियों की आत्मा पर गहरे घाव छोड गए। सत्ता के मद में चूर कांग्रेस सरकार ने रात के सन्नाटे में आपातकाल लागू करके भारत के लोकतांत्रिक ढांचे पर सबसे बड़ा प्रहार किया गया था। उन्होंने कहा कि यह केवल संवैधानिक संकट नहीं था, यह उस आत्मा पर हमला था जो हमें अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, समानता और न्याय का अधिकार देती है। यह हमला डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के उस विचार पर, जिसमें उन्होंने एक राष्ट्र-एक विधान के विचार पर खुद को बलिदान कर दिया था। यह हमला बाबा साहब डॉ भीमरावम अम्बेडकर और संविधान निर्मात्री सभा के सदस्यों की मेहनत, उनके विचार पर हमला था।

कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के इतिहास का काला दौर था। लाखों लोगों ने इमरजेंसी का पूरी ताकत से विरोध किया था। लोकतंत्र के समर्थकों पर उस दौरान इतना अत्याचार किया गया, इतनी यातनाएं दी गईं कि आज भी मन सिहर उठता है।  कांग्रेस की तत्कालीन सरकार की जिद और अहंकार के चलते देश के 1 लाख 11 हजार लोगों को आपातकाल की आड में जेल में डाल दिया गया। जयप्रकाश नारायण, अटल बिहारी वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी, मोरारजी देसाई जैसे महान नेताओं को जेलों में डाला गया, प्रेस की स्वतंत्रता छीनी गई, न्यायपालिका को बेबस बनाया गया और नागरिक अधिकारों को निलंबित कर दिया गया। उन्होंने कहा कि इमरजेंसी के इन 21 महीनों में देश के नागरिकों ने न केवल असहनीय पीडा झेली, बल्कि अनेकों जघन्य अपराध होते देखे। 1975 में जब आपातकाल लगाया गया तो 24 वर्षीय नरेंद्र मोदी ने लाखों देशवासियों की भांति तत्कालीन सरकार की इस दमनकारी नीति के खिलाफ आवाज उठाई थी।
कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि हरियाणा की धरती भी इस संघर्ष में पीछे नहीं रही। यहां के अनेक नागरिकों ने व्यक्तिगत जीवन की परवाह किए बिना लोकतंत्र की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व अर्पित कर दिया। किसी ने जेल की सजा काटी, किसी ने अपने परिवार और करियर की चिंता किए बिना संविधान की रक्षा को सर्वोपरि रखा। आज जब हम उन सेनानियों को श्रद्धा और सम्मान अर्पित करते हैं, तो यह केवल औपचारिकता नहीं, बल्कि लोकतंत्र के प्रति हमारे समर्पण की अभिव्यक्ति है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश की एकता, अखंडता को मजबूत करने से लेकर दुश्मनों से देश की सुरक्षा करने के ऐतिहासिक उदाहरण जनता को दिए हैं। जम्मू-कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी जी के एक राष्ट्र-एक विधान के सपने को साकार करने की बात हो या आप्रेशन सिंदूर के माध्यम से पाकिस्तान की धरती पर आतंकवाद व आतंकवादियों को मिट्टी में मिलाना सुनिश्चित करना, पूरी दुनिया इसका लोहा मान रही है।  

कैबिनेट मंत्री डॉ अरविंद शर्मा ने कहा कि लोकतंत्र की इसी चेतना और सतर्कता को जीवित रखने के लिए भाजपा सरकार ने लोकतंत्र सेनानियों को हर स्तर पर सम्मान देने का कार्य किया है। समय-समय पर उनके परिजनों को सार्वजनिक मंचों पर सम्मानित किया गया है, और उनके गौरवपूर्ण संघर्ष को सराहने हेतु विशेष योजनाएं भी शुरू की गई हैं। वर्ष 2014 में हरियाणा में भाजपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने इमरजेंसी के दौरान जेल जाने और असहनीय कष्ट सहने वालों को स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस पर सम्मानित करने की परंपरा को शुरू किया व उन्हें लोकतंत्र सेनानी के तौर पर सम्मान दिया। वर्ष 2016 में ऐसे 891 लोगांे को चिन्हित करके ताम्र पत्र देकर सम्मानित किया गया। वर्ष 2017 में शुभ्र ज्योत्सना पेंशन योजना के तहत लोकतंत्र सेनानियों व उनकी विधवाओं को पेंशन देने 10 हजार रूपए मासिक पेंशन देने की व्यवस्था की गई। उनके लिए हरियाणा रोडवेज की सामान्य बसों में मुफत यात्रा व वोल्वो बसों में 75 प्रतिशत किराया माफ किया गया। वर्ष 2024 में मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने 1 जुलाई 2024 से उनकी मासिक पेंशन को 10 हजार रूपए से बढाकर 20 हजार रूपए किया है। हमारा प्रयास यही है कि लोकतंत्र सेनानियों का त्याग केवल इतिहास के पन्नों तक सीमित न रहे, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की स्मृति और प्रेरणा का हिस्सा बने।