एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस को ना समझें सामान्य पीठ का दर्द, ये लक्षण दिखें तो जरूर जाएं डॉक्टर के पास

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस को ना समझें सामान्य पीठ का दर्द, ये लक्षण दिखें तो जरूर जाएं डॉक्टर के पास

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस को ना समझें सामान्य पीठ का दर्द

एंकिलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस को ना समझें सामान्य पीठ का दर्द, ये लक्षण दिखें तो जरूर जाएं डॉक्टर के पास

नई दिल्ली: एंकीलॉजिंग स्पॉन्डिलाइटिस (एएस) एक तरह का सूजन है जिससे रीढ़ के जॉइंट्स प्रभावित होते हैं। इसके चलते स्पाइन की फ्लेक्सिबिलिटी कम होती जाती है और समय रहते उपचार न कराया जाए तो चलना-फिरना तक दूभर हो सकता है। वैसे एएस की समस्या महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में ज्यादा देखने को मिलती है। तो आइए जानते हैं इस प्रॉब्लम से बचाव के तरीके।

1· रूमैटोलॉजिस्ट से परामर्श लें: बिना उपचार के एएस एक बीमारी है। इस बीमारी के लक्षणों और संकेतों को समझना जरूरी है जिससे समय पर इसका पता लग सके। अधिकांश रोगी रूमैटोलॉजिस्ट के पास जाने से पहले जनरल प्रैक्टिशनर या ऑर्थोपेडिक्स तक ही जाकर रह जाते हैं। तो सही एक्सपर्ट के पास जाना चाहिए।

2· उपचार का पालन: एक बार जब रोगी को स्थिति का पता चल जाता है, तो सही उपचार से दर्द को कम करने में काफी हद तक कम किया जा सकता है। उपचार से रोग के बढ़ने की स्पीड को धीमा किया जा सकता है। उपचार में दवाएं दी जा सकती हैं, जो किसी की रीढ़ में सूजन को रोकने में मदद करती हैं।

डॉ. पी डी रथ, कंसल्टेंट रूमैटोटॉलिजस्ट, मैक्स हॉस्पिटल, नई दिल्ली का कहना है, “एएस जैसी स्थिति में, रोगियों को सक्रिय रहना चाहिए और अपने जोड़ों तथा मांसपेशियों को दिनभर चलायमान रखना चाहिए, इससे सूजन को कम करने में मदद मिलती है। जीवनशैली में कुछ बदलाव करने से एएस के साथ जीवन जीने के रास्ते को आसान बनाया जा सकता है, जैसे समय-समय पर सी-रिएक्टिव प्रोटीन (सिस्टमैटिक सूजन का एक सूचक) की जांच, नियमित व्यायाम, ओमेगा 3 से भरपूर सेहतमंद खाना, अलसी, फल और सब्जियां लेना आवश्‍यक है। नियमित रूप से ध्यान करना या उन्नत दवाओं का इस्तेमाल जैसे बायोलॉजिक्स से इस समस्या को काफी हद तक नियंत्रण में रखा जा सकता है।”

3· जीवनशैली में बदलाव: एएस की समस्या के उपचार में हेल्दी लाइफस्टाइल का बहुत बड़ा रोल है। एक ही जगह पर लंबे वक्त पर बैठे न रहें, काम के बीच छोटे-छोटे ब्रेक लेते रहें। मूवमेंट के साथ स्थिति बेहतर होती जाती है। यह ऐसा पेन नहीं होता जिसमें रोगी को आराम करने की आवश्यकता होती है। इसमें नियमित व्यायाम जैसे तैराकी, योग, दौड़ना, हल्के वजन के साथ एक्सरसाइज़ फायदेमंद रहती है जो हड्डियों और ज्वॉइंट्स को एक्टिव रखें।

4· सही खानपान: विटामिन डी, ई, ओमेगा 3 फैटी एसिड और कैल्शियम से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन हड्डियों को मजबूत बनाने और प्रतिरक्षा को बढ़ावा देने में मदद करता है। धूम्रपान और शराब के सेवन से बचना जरूरी है। एएस असंगत जीवनशैली के तरीकों और अस्वास्थ्यकर आदतों से बढ़ता है।