''केदारनाथ से 228 किलो सोना गायब हुआ''; शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा- क्यों नहीं उठती इस घोटाले की आवाज, जांच भी नहीं
Delhi Kedarnath Temple Controversy Kedarnath Dham Gold Scam Swami Avimukteshwaranand
Kedarnath Temple Controversy: दिल्ली के बुराड़ी में केदारनाथ मंदिर बनाने को लेकर बवाल बेहद तेज हो गया है। दरअसल, यह मंदिर केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर के तौर पर मनाया जा रहा है। जिससे विरोध की स्थिति पनप गई है। केदारनाथ धाम और पूरी केदार घाटी में दिल्ली में बनने वाले इस प्रतीकात्मक केदारनाथ मंदिर को लेकर नाराजगी व्याप्त है। केदारनाथ धाम से जुड़े साधू-संतों और पंडित-पुरोहितों व अन्य धर्मावलंबियों ने विरोध के सुर तेज कर रखे हैं।
वहीं इस कड़ी में ज्योतिर्मठ पीठ के शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती दिल्ली में बनने वाले केदारनाथ मंदिर के विरोध में सबसे आगे और मुखर दिख रहे हैं. अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि, हिमालय की गोद में स्थित केदारनाथ धाम दूसरा नहीं हो सकता है। वह एक ही है और एक ही रहेगा। केदारनाथ के प्रतीकात्मक मंदिर की कहीं भी स्थापना नहीं की जा सकती है। ऐसा करना केदारनाथ धाम की गरिमा को ठेस पहुंचाना है और धाम के महत्व को कम करने का प्रयास है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि, आखिर केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर को दिल्ली में बनाने की जरूरत क्यों है?
केदारनाथ से 228 किलो सोना गायब, अब एक और घोटाला करना है
दिल्ली में बनने वाले केदारनाथ मंदिर के विरोध में अपनी बात कहते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने एक बड़ा दावा भी किया है। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, केदारनाथ में सोना घोटाला हुआ है, उस मुद्दे को क्यों नहीं उठाया जाता? वहां घोटाला करने के बाद अब दिल्ली में केदारनाथ बनेगा? जिसके बाद फिर एक और घोटाला होगा। स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का कहना है कि, केदारनाथ में 228 किलो सोने का घोटाला हुआ है। वहां से 228 किलो सोना गायब है। क्यों नहीं इसके बारे में आवाज उठाई गई। क्यों नहीं इसे लेकर कोई जांच शुरू हुई। इसके लिए कौन जिम्मेदार है? अब वे कह रहे हैं कि दिल्ली में केदारनाथ बनाएंगे, ऐसा नहीं हो सकता।
शिवपुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों का नाम
अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि, प्रतीकात्मक केदारनाथ इसलिए नहीं हो सकता क्योंकि शिवपुराण में 12 ज्योतिर्लिंगों की व्याख्या है। उन ज्योतिर्लिंगों का नाम और स्थान तय है और उसके बारे में जानकारी दी गई है। इसलिए जब केदारनाथ का पता हिमालय में है तो वह दिल्ली में कैसे हो सकता है? अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा है कि, इसके पीछे राजनीतिक कारण हैं। राजनीतिक लोग हमारे धार्मिक स्थलों में प्रवेश कर रहे हैं।
पीएम मोदी के मिलने पर क्या बोले स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद?
मुंबई में अनंत अंबानी और राधिका के आशीर्वाद समारोह के दौरान पीएम मोदी ने वहां शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती से मुलाक़ात की थी और उन्हें आकर प्रणाम किया था। इस पर अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि "हां, पीएम मोदी मेरे पास आए और प्रणाम किया। हमारा नियम है कि जो भी हमारे पास आएगा, हम उसे आशीर्वाद देंगे। नरेंद्र मोदी जी हमारे दुश्मन नहीं हैं। हम उनके शुभचिंतक हैं और हमेशा उनके भले की बात करते हैं। अगर वे कोई गलती करते हैं, तो हम उन्हें बताते भी हैं।
उद्धव ठाकरे के साथ 'विश्वासघात' हुआ- स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद
दरअसल, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती मुंबई में आज शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के अनुरोध पर उनके आवास पहुंचे थे। यहीं उन्होंने मीडिया से बातचीत में अपना वक्तव्य दिया। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, "हम हिंदू धर्म को मनाने वाले हैं और इसी के साथ हम 'पुण्य' और 'पाप' में विश्वास करते हैं। 'विश्वासघात' को सबसे बड़ा पाप कहा जाता है, यही 'विश्वासघात' उद्धव ठाकरे के साथ हुआ है। अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि, उन्होंने हमें बुलाया और उनके अनुरोध पर हम आए। उन्होंने स्वागत किया, हमने उसने कहा कि उनके साथ हुए विश्वासघात से हम दुखी हैं। जब तक वे दोबारा सीएम नहीं बन जाते, हमारा दर्द दूर नहीं होगा।
दिल्ली केदारनाथ मंदिर के ट्रस्ट का बयान
इधर दिल्ली में बनने वाले केदारनाथ मंदिर पर वहां के ट्रस्ट का बयान सामने आया है। 'केदारनाथ मंदिर दिल्ली धाम' ट्रस्ट बुराड़ी के अध्यक्ष सुरिंदर रौतेला ने कहा, "दिल्ली में जो मंदिर बनने जा रहा है, वह मंदिर बन रहा है, ना कि धाम बन रहा है। श्री केदारनाथ धाम ट्रस्ट, दिल्ली इसका निर्माण कर रहा है। उत्तराखंड सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री हमारे अनुरोध पर भूमिपूजन के लिए यहां आए थे। सुरिंदर रौतेला ने कहा कि भारत में कई मंदिर प्रसिद्ध मंदिरों पर आधारित हैं। इस पर कोई विवाद नहीं होना चाहिए। कुछ लोग अपने राजनीतिक लाभ के लिए विवाद पैदा कर रहे हैं।