पीजीआई से निकलने वाले खतरनाक बायो मेडिकल वेस्ट नहीं लग रहा ठिकाने

पीजीआई से निकलने वाले खतरनाक बायो मेडिकल वेस्ट नहीं लग रहा ठिकाने

Dangerous Bio-Medical Waste

Dangerous Bio-Medical Waste

लोगों की जिंदगी के साथ किया जा रहा खिलवाड़

चंडीगढ़,  25 फरवरी: Dangerous Bio-Medical Waste: पीजीआई  से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट चंडीगढ़ की सीमा के पार जाकर लोगों की आबादी के पास जाकर ठिकाने लगाया जा रहा है। ठेकेदार के कर्मचारी इसे ट्रॉली में लोड कर खुले में गिरा रहे हैं जिससे बीमारियों और संक्रमण का खतरा है। यह पूरी करतूत कैमरे में क़ैद हुई है। पीजीआई से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट यहां से ट्राली में लोड होने के बाद पंजाब के तोगा के पास ले जाया जा रहा है। पीजीआई के ठेकेदार के कर्मचारी उसे ट्राली में लोड करने के बाद  धनास काली माता मंदिर के रास्ते शहर से दूर तोगां (पंजाब)जो कि पीजीआई से 6 से 7 किलो मीटर दूर हैं पर ले जाकर गोदाम पर एक ट्राली 1500 से 3000 रूपये में बेच रहे हैं।  नियम के अनुसार पीजीआई से निकलने वाला बायो मेडिकल वेस्ट सही ठिकाने लगाना और इंसीनरेटर में जलाना जरूरी होता है, लेकिन कुछ लालची लोगों ने इसे भी अपनी कमाई का जरिया बना दिया है। पीजीआई ठेकेदार की ट्राली को यहां तोगां गोदाम तक पहुंचाने की जिम्मेवारी  विनोद कुमार और उसके हेल्पर संदीप उर्फ जोनी की हैं, जो यह गोरख धधा पिछले कई महीनों से चला रहे हैं। इसे सही ठिकाने नहीं पहुंचाया जा रहा। ऐसा नहीं है कि अधिकारियों को इसकी जानकारी ना हो ? अधिकारियों और ठेकेदार की मिलीभगत से ही यह सब हो रहा है।। जब इस विषय में पीजीआई मेडिकल सुपरिटेंडेंट विपिन कौशल से बात करनी चाहिए, तो उनका फोन नहीं मिल पाया। सवाल ये है कि आख़िर शहर से दूर तोगां के गोदामों में ले जाकर इस खतरनाक बायो मेडिकल वेस्ट को बेचने की इजाजत किसने दी ?  लाखों लोगों की जिंदगी से कौन खेल रहा है ? सवाल ये भी है कि आख़िर कितने लोग इस गोरखधंधे में शामिल हैं ?             

छोटे बच्चे उठा रहे कूड़ा

पीजीआई कैंपस के घरों से निकलने वाला कूड़ा भी छोटी छोटी उम्र के बच्चों से  उठवाया जा रहा हैं। इसके जिम्मेवार पीजीआई कैंपस के ठेकेदार विनोद और संदीप उर्फ जोनी है ? जिन बच्चों द्वारा यह कूड़ा उठाया जा रहा है वो तीन पहिया मोटर साइकिल रेहड़ी पर लोड करके चलते हैं, जिसके कारण कोई भी बड़ा हादसा हो सकता है। इन वाहनों के ना कोई लाइसेंस हैं, ना कोई कागज। इस काम को  चंडीगढ़ की हाईटेक पुलिस की नाक के ठीक नीचे नाबालिग उम्र के लड़को द्वारा अंजाम दिया जा रहा हैं, जो कि तीन पहिया रेहड़ी पर बोरियो में भरकर पीजीआई कैंपस से निकालकर बेचने जाते हैं।  इस काम में लोगों ने अपने नाबालिग बच्चों को भी लगा रखा है। ऐसा लगता हैं कि अब स्मार्ट सिटी कहे जाने वाले चंडीगढ़ का समाज कल्याण विभाग भी सोया हुआ है। साथ ही साथ जो पीसीआर  जिप्सी चौराहों पर खड़ी रहती हैं, वो सब देख कर भी अनदेखा कर रही है।

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