Chief Minister Yogi Adityanath participated in the 'Divya Geeta Prerana मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में की शिरकत

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में की शिरकत

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Chief Minister Yogi Adityanath participated in the 'Divya Geeta Prerana

Chief Minister Yogi Adityanath participated in the 'Divya Geeta Prerana  मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि श्रीमद्भगवदगीता के 18 अध्यायों के 700 श्लोक को भारत का हर सनातन धर्मावलंबी जीवन का मंत्र मानकर आदर भाव के साथ आत्मसात करने का प्रयास करता है। श्रीमद्भगवदगीता नई प्रेरणा देती दिखाई देती है। श्रीमद्भगवदगीता धर्म से ही शुरू होती है और अंत में भी उसी मर्म के साथ विराम लेती है। श्रीमद्भगवदगीता धर्म की वास्तविक प्रेरणा है। भारत की मनीषा ने धर्म को कर्तव्य के साथ जोड़कर देखा है। हमने धर्म को उपासना विधि मात्र नहीं माना है। उपासना विधि उसका छोटा सा भाग है। हर व्यक्ति अपने पंथ, संप्रदाय, उपासना विधि के अनुरूप आस्था को तय कर लेता है, लेकिन मुख्य रूप से धर्म हमारे यहां जीवन जीने की कला है। हमने इसे ही ‘वे ऑफ लाइफ’ के रूप में कहा है। 

मुख्यमंत्री व गोरक्षपीठाधीश्वर महंत योगी आदित्यनाथ ने जनेश्वर मिश्र पार्क में आयोजित ‘दिव्य गीता प्रेरणा उत्सव’ में रविवार को यह बातें कहीं। 

हमने हर कर्तव्य को पवित्र भाव के साथ माना, सब कुछ होते हुए भी कभी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा
सीएम योगी ने कहा कि श्रीमद्भगवदगीता भगवान की दिव्य वाणी है। सीएम ने श्लोक ‘धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः’ को सुनाया। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी ऐसा नहीं होता होगा, जहां युद्ध का मैदान धर्म क्षेत्र के रूप में जाना जाता हो, लेकिन हमने हर कर्तव्य को पवित्र भाव के साथ माना है। अच्छा करेंगे तो पुण्य और गलत करेंगे तो पाप के भागीदार बनेंगे। यह मानकर हर सनातन धर्मावलंबी अच्छा करने का प्रयास करता है। भारत ने विश्व मानवता को प्राचीन काल से ही संदेश दिया है। हमने कभी नहीं कहा है कि जो मैं कह रहा हूं, वही सब कुछ है या हमारी उपासना विधि सर्वश्रेष्ठ है। सब कुछ होते हुए भी हमने कभी श्रेष्ठता का डंका नहीं पीटा। जो भी आया, उसे शरण दिया। जिसके ऊपर भी विपत्ति और चुनौती आई, सनातन धर्मावलंबी उसके सहयोग के लिए खड़ा हो गया। 

जहाँ धर्म और कर्तव्य होगा, वहां जय ही होनी है
सीएम योगी ने कहा कि भारत की भूमि ने जियो और जीने दो की प्रेरणा दी। ‘अयं निजः परो वेति गणना लघुचेतसाम्। उदारचरितानां तु वसुधैव कुटुम्बकम्’ की प्रेरणा भी भारत की धरती ने ही दी है। हमने पूरी भारत की धरती को धर्म क्षेत्र माना, इसलिए युद्ध का मैदान भी हमारे लिए धर्म क्षेत्र है। यह कर्तव्यों से जुड़ा हुआ क्षेत्र है, क्योंकि धर्म क्षेत्र में युद्ध भी कर्तव्यों के लिए लड़ा जा रहा है। सीएम ने कहा कि अंत में धृतराष्ट्र पूछ ही पड़ते हैं कि बताओ तो क्या होने जा रहा है। इस युद्ध का क्या परिणाम है तो उन्हें बताया जाता है कि युद्ध का परिणाम तो पहले से तय है: यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम॥
हम मानते रहे हैं कि यतो धर्मस्ततो जयः—जहाँ धर्म और कर्तव्य होगा, वहीं जय होनी है। अधर्म के मार्ग पर चलने वाले की कभी विजय नहीं हो सकती। यही भारत के सनातन धर्म की परंपरा व प्रकृति का अटूट नियम है। 

भगवान श्रीकृष्ण ने दी निष्काम कर्म की प्रेरणा 
सीएम योगी ने आज के समय के लिए दो उदाहरण भी दिए। कहा कि ‘स्वधर्मे निधनं श्रेयः, परधर्मो भयावहः’ यानी अपने धर्म और कर्तव्य पर चलकर मृत्यु को वरण करना श्रेयस्कर है, लेकिन स्वार्थ के लिए कर्तव्य से च्युत होना पतन का कारण बनेगा। कभी भी धोखे से यह मत करना। भगवान ने कर्म की प्रेरणा दी, वह कर्म, जिसमें फल की इच्छा न हो। सीएम ने कहा कि बीज लगते ही हम फल की इच्छा करते हैं। बीज सही लगेगा तो पेड़ फलेगा और फल दे ही देगा। भगवान श्रीकृष्ण ने भी निष्काम कर्म की प्रेरणा दी। 

निष्काम कर्म के प्रेरणास्रोत हैं सरसंघ चालक जी 
सीएम योगी ने मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत को निष्काम कर्म का प्रेरणास्रोत बताया। बोले-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ शताब्दी महोत्सव के कार्यक्रम से जुड़ रहा है। दुनिया से आए अंबेसडर, हाई कमिश्नर्स हमसे पूछते हैं कि आप लोगों का आरएसएस से जुड़ाव है, तब हम कहते हैं कि हां! हमने स्वयंसेवक के रूप में कार्य किया है। वे इसकी फंडिंग का पैटर्न पूछते हैं, तब हम बताते हैं कि यहां ओपेक के देश या इंटरनेशनल चर्च पैसा नहीं देता। यहां संगठन समाज के सहयोग से खड़ा हो रहा है और समाज के लिए हर क्षेत्र में समर्पित भाव से कार्य करता है। किसी भी पीड़ित की जाति, मत-मजहब, क्षेत्र, भाषा की परवाह किए बिना हर स्वयंसेवक उसकी सेवा को ही अपना कर्तव्य मानता है। 

आरएसएस ने सेवा के साथ सौदेबाजी नहीं की, लेकिन कुछ लोगों ने सेवा को ही सौदे के माध्यम बना लिया
सीएम योगी ने कहा कि राष्ट्र प्रथम के भाव के साथ हर पीड़ित संग खड़ा होना (जो भारत को परम वैभव तक ले जाने में सहायक हो सकता है) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की प्रेरणा है। आरएसएस ने पिछले 100 वर्षों में सेवा के साथ कोई सौदेबाजी नहीं की, लेकिन कुछ लोगों ने दुनिया व भारत में सेवा को ही सौदे के माध्यम बनाया है। वे लोभ, लालच और दबाव से भारत की डेमोग्राफी को बदलने के लिए छल व छद्म का सहारा लेकर अपना ताना-बाना बदलकर भारत की आत्मा पर प्रहार करने का प्रयास कर रहे हैं। इन स्थितियों में भगवान की वाणी श्रीमद्भगवदगीता नई प्रेरणा बन सकती है। 

140 करोड़ भारतवासियों के लिए दिव्य मंत्र है श्रीमद्भगवदगीता
सीएम ने स्वामी ज्ञानानंद का अभिनंदन करते हुए कहा कि उन्होंने जिओ गीता को जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में इसे बहुत छोटे-छोटे उदाहरण के माध्यम से प्रस्तुत करने का प्रयास किया है। श्रमिक, किसान, महिला, छात्र, नौजवान, नौकरीपेशा, चिकित्सक, अधिवक्ता, व्यापारी, योद्धा, सैनिक के लिए गीता की प्रेरणा क्या है, उन्होंने इसे जिओ गीता के माध्यम से प्रस्तुत किया है। उनकी छोटी-छोटी पुस्तकें अत्यंत प्रेरणादाई होती हैं। श्रीमद्भगवदगीता केवल जेल के कैदियों के लिए नहीं, बल्कि 140 करोड़ भारतवासियों के लिए दिव्य मंत्र है। यह जीवन में सफलता का मार्ग प्रशस्त करने के साथ ही जीवन जीने की कला का मार्ग है। हर व्यक्ति को इसे अपने जीवन का हिस्सा बनाना चाहिए। 

इस दौरान मुख्य अतिथि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सर संघ चालक डॉ. मोहन भागवत, जियो गीता के संस्थापक स्वामी ज्ञानानंद जी महाराज, अखिल भारतीय आचार्य महासभा के महासचिव स्वामी परमात्मा नंद जी, श्रीधराचार्य जी महाराज, संतोषाचार्य जी महाराज ‘सतुआ बाबा’, स्वामी धर्मेंद्र दास जी महाराज, रामचंद्र दास जी महाराज, स्वामी शशिकांत दास जी महाराज, रामलाल, राज्यसभा सांसद डॉ. दिनेश शर्मा, कार्यक्रम संयोजक मणि प्रसाद मिश्र आदि मौजूद रहे।