हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को लगाई फटकार, 1.5 करोड़ का देना होगा मुआवजा
- By Gaurav --
- Tuesday, 30 Sep, 2025

Carmel Convent accident: High Court reprimands Chandigarh administration
Carmel Convent accident: पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने 8 जुलाई 2022 को चंडीगढ़ के कार्मेल कॉन्वेंट स्कूल में पेड़ की शाखा गिरने से हुए दर्दनाक हादसे में चंडीगढ़ प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई है। कोर्ट ने मृत छात्रा हीराक्षी के पिता को 1 करोड़ रुपये और घायल छात्रा इशिता शर्मा को 50 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए हैं। इस हादसे में हीराक्षी की मौत हो गई थी, जबकि इशिता का बायां हाथ कट गया था।
जस्टिस कुलदीप तिवारी की बेंच ने प्रशासन की उस दलील को सिरे से खारिज कर दिया, जिसमें हादसे को "ईश्वर की इच्छा" बताया गया था। कोर्ट ने इसे इंजीनियरिंग विभाग की घोर लापरवाही करार देते हुए प्रशासन के "संवेदनहीन रवैये" की कड़ी निंदा की। कोर्ट ने कहा कि प्रशासन ने बीमार पेड़ की वैज्ञानिक जांच नहीं कराई और शाखाओं की कटाई पर रोक लगाकर हादसे को न्योता दिया।
हाईकोर्ट ने घायल छात्रा इशिता के पूरे इलाज, कृत्रिम हाथ या ट्रांसप्लांट सर्जरी का खर्च उठाने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने कहा, "एक परिवार ने अपनी बेटी को हमेशा के लिए खो दिया, और दूसरी बच्ची का भविष्य प्रभावित हुआ है। यह नुकसान कभी पूरा नहीं हो सकता, लेकिन न्याय व्यवस्था को संवेदनशील होना होगा।"
जांच समिति की सिफारिशों पर अमल न होने पर नाराजगी
मृत छात्रा के पिता और घायल छात्रा की ओर से दायर याचिका में बताया गया कि जस्टिस जितेंद्र चौहान आयोग की 30 दिसंबर 2022 की रिपोर्ट में प्रशासन की लापरवाही साबित हुई थी। आयोग ने हीराक्षी के परिवार को 1 करोड़ और इशिता को 50 लाख रुपये मुआवजा देने की सिफारिश की थी। साथ ही, इशिता के इलाज का खर्च इंजीनियरिंग विभाग द्वारा उठाने की बात कही गई थी। हालांकि, छह महीने बीतने के बावजूद प्रशासन ने केवल 20 लाख रुपये हीराक्षी के पिता को और 10 लाख रुपये इशिता को दिए, जो सिफारिश से काफी कम थे।
कोर्ट का सख्त रुख
हाईकोर्ट ने जांच समिति की सिफारिशों को उचित ठहराते हुए कहा कि समिति ने अपने अधिकारों का उल्लंघन नहीं किया। कोर्ट ने प्रशासन को निर्देश दिया कि वह तत्काल बाकी मुआवजा राशि का भुगतान करे और घायल छात्रा के इलाज की पूरी जिम्मेदारी ले। यह फैसला पीड़ित परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
चंडीगढ़ प्रशासन की इस लापरवाही ने शहर में पेड़ों के रखरखाव और सार्वजनिक सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। स्थानीय निवासियों ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है और मांग की है कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।