“रौता खेम में किसान बगावत पर! सरकार के जमीन अधिग्रहण के फैसले के खिलाफ उबाल”

Farmers on the Verge of revolt in Rauta Khem

Farmers on the Verge of revolt in Rauta Khem

पटना (बिहार) : Farmers on the Verge of revolt in Rauta Khem: सहरसा जिले के सौर बाजार प्रखंड के रौता खेम ग्राम में आज विशेष बैठक बुलाई गई, जिसमें रौता,बथनहा,परास, हनुमान नगर चकला,दमगरी,सुहत,भेलवा के ग्रामीणों ने एक स्वर में सरकार के भूमि अधिग्रहण के फैसले का कड़ा विरोध किया। ग्रामीणों का कहना है कि पहले ही सरकार ने ग्रिड परियोजना के लिए गाँव की उपजाऊ ज़मीन ले ली और ग्रीनफील्ड सिक्स लेन की सड़क जो गांव होकर गुजरेगी उसमें किसनों का 250-300 एकड़ जमीन जाने की संभावना है जिससे यहाँ के किसान संकट और विपिद्दा में है। अब अगर 1000 बीघा से अधिक भूमि को औद्योगिक क्षेत्र के नाम पर अधिग्रहित किया गया, तो पूरा गाँव भूमिहीन और बेघर हो जाएगा।

गाँव के लोगों ने स्पष्ट कहा कि – “हम किसी भी हालत में अपनी ज़मीन नहीं देंगे। जमीन हमारी जीवनरेखा है। खेती और घर छीन लिया गया तो हम जी कर क्या करेंगे?”

ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और सरकार से तीन स्पष्ट मांगें रखीं:

मौजा रौता खेम सहित अन्य गांव को औद्योगिक क्षेत्र घोषित करने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगे।

किसानों की आजीविका और आवास को सुरक्षित रखने का ठोस प्रबंध किया जाए।

भूमि अधिग्रहण का आदेश रद्द कर न्यायपूर्ण समाधान निकाला जाए।

बैठक में उपस्थित पूर्व उपसरपंच शैलेन्द्र कुमार सिंह और किसान नेता संतोष कुमार सिंह,बीरन्द्र यादव,मोहित लाल यादव,गणेश लाल यादव,सुनील साह,दिनेश साह,अशोक यादव,शिवजी पोद्दार,उमानंद मेहता,रमन सिंह,राजू सिंह,श्रवण सिंह,अनिल सिंह ने कहा कि यदि प्रशासन ने किसानों की बात नहीं सुनी, तो आंदोलन की राह अपनाई जाएगी। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि हालात गंभीर हुए तो आत्मदाह जैसे कठोर कदम उठाने से भी पीछे नहीं हटेंगे।बैठक में उपस्थित पूर्व विधायक किशोर कुमार से ग्रामीण ने अनुरोध किया कि आप हमलोगों का जमीन को बचाये।आपने हमेशा हमलोगों को मदद किया है और अब सरकार हमारी जमीं छीन कर आजीविका को संकट में डालना चाहती है।किशोर कुमार ने कहा की मुझे जो भी करना पड़ेगा करेंगे किसी भी हालत में किसान का जमीन सरकार नहीं छीन सकती है।हम औद्योगिक विकास के विरोधी नहीं है लेकिन जहाँ सरप्लस जमीन है और खेती योग्य नहीं है वहाँ औद्योगिक विकाश करे।

ग्रामीणों का आरोप है कि बार–बार बड़े प्रोजेक्ट्स के नाम पर उनकी उपजाऊ जमीन छीनी जा रही है, जबकि गाँव का रकबा पहले से ही छोटा है। ऐसे में 1000 बीघा अतिरिक्त भूमि का अधिग्रहण गाँव को पूरी तरह बर्बादी की ओर धकेल देगा।

गाँव के लोग मानते हैं कि यह फैसला न केवल किसानों की जीविका छीन लेगा, बल्कि उनके बच्चों के भविष्य को भी अंधकारमय बना देगा। अब ग्रामीणों की नज़र जिला प्रशासन और सरकार पर है कि क्या वे किसानों की आवाज़ सुनेंगे या फिर उन्हें सड़क पर उतर कर संघर्ष करना पड़ेगा।100 ज्यादा किसान बैठक उपस्थित थे।सभी ने मिलकर जमीन बचाओं संघर्ष समिति का गठन किया गया।
बिहार से मुकेश कुमार सिंह की खास रिपोर्ट