आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) 10 नवंबर 2025 : आज मार्गशीर्ष षष्ठी तिथि, जानें शुभ मुहूर्त का समय

आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang) 10 नवंबर 2025 : आज मार्गशीर्ष षष्ठी तिथि, जानें शुभ मुहूर्त का समय

Aaj ka Panchang 10 November 2025

Aaj ka Panchang 10 November 2025

Aaj ka Panchang 10 November 2025: आज यानी 10 नवंबर को मार्गशीर्ष (Margashirsha Month 2025) माह के कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि है और इस तिथि पर सोमवार पड़ रहा है। आज के दिन देवों के देव महादेव की पूजा की जाती है। साथ ही सोमवार का व्रत रखा जाता है।

इस शुभ अवसर पर भगवान शिव की भक्ति भाव से पूजा की जा रही है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जा रहा है। मार्गशीर्ष माह की षष्ठी तिथि पर कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 10 November 2025) के बारे में।

  • तिथि: कृष्ण षष्ठी
  • मास पूर्णिमांत: मार्गशीर्ष
  • दिन: सोमवार
  • संवत्: 2082
  • तिथि: पंचमी रात्रि 01:54 बजे तक (10 नवंबर तक)
  • योग: सिद्ध दोपहर 03:02 बजे तक
  • करण: कौलव दोपहर 03:05 बजे तक
  • करण: तैतिल रात्रि 01:54 बजे तक (10 नवंबर तक)

सूर्य और चन्द्रमा की स्थिति

  • सूर्योदय का समय: प्रातः 06:40 बजे
  • सूर्यास्त का समय: सायं 05:30 बजे
  • चंद्रोदय का समय: रात्रि 10:15 बजे
  • चंद्रास्त का समय: प्रातः 11:47 बजे

सूर्य और चन्द्रमा की राशियां

सूर्य की राशि: तुला
चन्द्रमा की राशि: मिथुन दोपहर 01:03 बजे तक, फिर कर्क राशि में प्रवेश

आज के शुभ मुहूर्त

  • अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11:43 बजे से दोपहर 12:27 बजे तक
  • अमृत काल: सायं 04:31 बजे से सायं 06:02 बजे तक

आज के अशुभ समय

  • राहुकाल: प्रातः 08:01 बजे से प्रातः 09:22 बजे तक
  • गुलिकाल: दोपहर 01:26 बजे से दोपहर 02:47 बजे तक
  • यमगण्ड: प्रातः 10:44 बजे से दोपहर 12:05 बजे तक

आज का नक्षत्र

  • चंद्रदेव आज पुनर्वसु नक्षत्र में विराजमान रहेंगे।
  • पुनर्वसु नक्षत्र: सायं 06:48 बजे तक
  • सामान्य विशेषताएं: ज्ञानवान, आशावादी, आत्मविश्वासी, आकर्षक, आध्यात्मिक, धार्मिक, संवाद में कुशल, बुद्धिमान, संतुलित, कल्पनाशील, दयालु और करुणामयी।
  • नक्षत्र स्वामी: बृहस्पति देव
  • राशि स्वामी: बुध देव और चंद्र देव
  • देवी: अदिति
  • प्रतीक: धनुष और तरकश

शिव मंत्र (Shiv Mantra)

1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।
उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥
परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।
सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥
वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।
हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥
एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

3. नमामिशमीशान निर्वाण रूपं विभुं व्यापकं ब्रह्म वेद स्वरूपं।।

4. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥

5. ॐ सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।