महाराष्ट्र का 57वां निरंकारी संत समागम: हर्षोल्लास के साथ स्वैच्छिक सेवाओं का शुभारम्भ
- By Vinod --
- Tuesday, 26 Dec, 2023
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57th Nirankari Sant Samagam of Maharashtra
57th Nirankari Sant Samagam of Maharashtra- चंडीगढ़ /पंचकुला/ मोहालीI महाराष्ट्र के 57वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम का भव्य आयोजन सत्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता जी की पावन छत्रछाया में दिनांक 26, 27 एवं 28 जनवरी, 2024 को सेक्टर 12ए, 14 एवं 15, पतंजलि फूड फैक्ट्री के पास, मिहान, सुमठाणा, नागपूर (महाराष्ट्र) के विशाल मैदानों में आयोजित किया जा रहा है। मानव जीवन को अंतर्मन के सुकून से भरपूर करते हुए संसार में अमन शांति का कल्याणकारी संदेश जन मानस तक पहुंचाना ही इस संत समागम का मुख्य उद्देश्य है।
इस भव्य आध्यात्मिक आयोजन की तैयारियों के लिए स्वैच्छिक सेवाओं का विधिवत उद्घाटन संत निरंकारी मंडल के प्रचार-प्रसार के मेम्बर इंचार्ज, आदरणीय श्री मोहन छाबड़ा जी, के करकमलों द्वारा रविवार, 24 दिसंबर, 2023 को नागपूर सहित मुंबई एवं महाराष्ट्र के अलग अलग स्थानो से आये हजारों श्रद्धालु भक्तों की उपस्थिति में बड़े हर्षोल्लासपूर्ण वातावरण में किया गया।
इस अवसर पर संत निरंकारी मंडल के लेखा जोखा विभाग के मेम्बर इंचार्ज श्री जोगिंदर मनचंदा, प्रचार प्रसार के कॉर्डिनेटर, डॉ.दर्शन सिंह, समागम समिति के चैयरमन श्री शम्भुनाथ तिवारी, समन्वयक श्री किशन नागदेवे एवं सेवादल के केन्द्रीय अधिकारी श्री गुलेरिया और श्री सुरेंद्र दत्ता आदि उपस्थित थे। समागम समिति के अन्य सदस्यों के अतिरिक्त समस्त महाराष्ट्र के क्षेत्रीय संचालकों ने सेवादल स्वयंसेवकों सहित इस समारोह में भाग लिया।
स्वेच्छा सेवाओं के उद्घाटन अवसर पर आदरणीय श्री मोहन छाबड़ा जी ने अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि सत्गुरु की असीम कृपा से ही इस वर्ष नागपूर में महाराष्ट्र के 57वें वार्षिक निरंकारी सन्त समागम का आयोजन हो रहा है और नागपूर ही नहीं बल्कि पूरे महाराष्ट्र के श्रद्धालु भक्तों को सेवा का अनुपम अवसर प्राप्त हुआ है |
उन्होंने आगे कहा कि इस तरह के समागमों का आयोजन सत्गुरु के दिव्य दृष्टीकोन के अनुसार मानव को मानव के साथ जोड़ने का होता है | मनुष्य जब ईश्वर के साथ अपना नाता जोड़ता है तो सहज ही में वह सभी प्रकार के भेदभावों से ऊपर उठकर विश्वबंधुत्व के सूत्र में बंध जाता है | यह समागम एक ऐसा अवसर है जहां आकर हर मनुष्य ब्रह्मानुभूती से आत्मानुभूती प्राप्त करते हुए अपना रुतबा उँचा बना सकता है तथा स्वयं सुंदर जीवन जी कर धरती के लिए एक वरदान बन सकता है |
उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र के वार्षिक निरंकारी संत समागमों की परंपरा काफी पुरानी है। 1968 में महाराष्ट्र का पहला संत समागम मुंबई के मशहूर शिवाजी पार्क मैदान में आयोजित हुआ और तब से 52 संत समागम मुंबई महानगर में ही संपन्न हुए। पहली बार मुंबई के बाहर 2020 में नाशिक नगरी में 53वां संत समागम आयोजित किया गया। कोरोना के दो वर्ष वर्चुअल रूप में इन समागमों का आयोजन होने के बाद पिछले वर्ष 56वां समागम छत्रपती संभाजी नगर में आयोजित किया गया और इस वर्ष यह सौभाग्य नागपुर नगरी को प्राप्त हो रहा है जिसका साक्षी पूरा विश्व बनेगा।
समालखा में आयोजित 76वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के उपरांत से ही हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी प्रत्येक भक्त को महाराष्ट्र के निरंकारी संत समागम की प्रतीक्षा बेसब्ररी से है। अतः 57वें वार्षिक निरंकारी संत समागम में प्रत्येक श्रद्धालु भक्त अपनी पलके बिछाए हुए हर्षोल्लास के साथ सम्मिलित होकर स्वयं को कृतार्थ करने हेतु अति उत्सुक है।
इस दिव्य संत समागम को पूर्णतः सफल बनाने हेतु निरंकारी सेवादल के स्वयंसेवक एवं बड़ी संख्या में सम्मिलित हुए श्रद्धालु भक्त लगन एवं तन्मयता के साथ तैयारियों में लगे हुए है।