marriage ceremony

marriage ceremony: निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सान्निध्य में आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में 48 जोड़े परिणय सूत्र में बंधे

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चंडीगढ़ /पंचकूला /मोहाली /औरंगाबाद, marriage ceremony: संत निरंकारी मिशन के तत्वावधान में आज यहां आयोजित सामूहिक विवाह समारोह में मिशन की आध्यात्मिक निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज के पावन सान्निध्य में 48 जोडे़ परिणय सूत्र में बंधे | महाराष्ट्र के 56वें वार्षिक निरंकारी संत समागम के समापन के बाद उसी स्थान पर औरंगाबाद के बिडकीन डीएमआयसी में यह समारोह संपन्न हुआ |

मिशन के सामाजिक सुधार कार्यक्रम के अंतर्गत सादे, पर प्रभावशाली ढंग से आयोजित इस समारोह का शुभारंभ निरंकारी मिशन के पारंपरिक ‘जयमाला’ एवं ‘सांझा हार’ से हुआ |  संगीत के बीच पवित्र मंत्र स्वरुप 4 निरंकारी लांवां पढ़ी गयी एवं हर लांवां के अंत में सद्गुरु माता जी, निरंकारी राजपिता जी एवं अन्य श्रद्धालु भक्तों द्वारा इन नव परिणीत जोड़ों पर फूलों की वर्षा की गई |

विवाह समारोह के अंत में इन नव विवाहित जोड़ों को सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने अपनी दिव्य वाणी द्वारा आशीर्वाद प्रदान करते हुए कहा कि आज इस समारोह में दुल्हे और दुल्हनों के परिणय सूत्र में बंधने से दोनों ओर के परिवारों का मिलन हुआ है तो दोनों ने एक-दूसरे के परिवार को अपनाना है |

आपस में ताल मेल रखते हुए प्रेम, नम्रता आदि दिव्य गुणों को अपनाकर जीवन में आने वाली कठिनाईयों को सुलझाना है | निरंकारी शादियों की विशेषता दर्शाने वाला जो सांझा हार है वह इसी बात का प्रतीक है कि गृहस्थ की जिम्मेदारी वर एवं वधू दोनों की है |  जीवन में सत्संग, सेवा, सिमरण करते हुए निराकार प्रभू को प्राथमिकता देनी है | अंत में सत्गुरु माता जी ने नव विवाहित जोड़ों को जीवन का आध्यात्मिक पहलू मजबूत रखते हुए उनके जीवन में हर प्रकार के खुशियों की मंगल कामना की |

समारोह की विशेषताएँ
आज के इस समारोह का स्वरुप आंतर्राज्यिक था |  इस विवाह समारोह में महाराष्ट्र से मुंबई, औरंगाबाद, चिपलून, नाशिक, सोलापूर, डोंबिवली, सातारा, नागपूर, रायगड, पुणे, कोल्हापूर एवं अहमदनगर क्षेत्रों से दुल्हे एवं दुल्हनें शामिल थी | महाराष्ट्र के अतिरिक्त पंजाब, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश एवं दिल्ली से भी दुल्हे, दुल्हनें इस समारोह में शामिल थी |

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