13 tips for parents to reduce exam anxiety in kids

माता-पिता बच्चों के परीक्षा- तनाव को ऐसे करें कम

13 tips for parents to reduce exam anxiety in kids

13 tips for parents to reduce exam anxiety in kids.

डॉ. स्वतंत्र जैन

प्रत्येक व्यक्ति को अपने जीवन के विभिन्न पड़ावों में कई तरह की समस्याओं एवं मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। आर्थिक व स्वास्थ्य से संबंधित समस्याओं के अलावा  मनुष्य के जीवन में कुछेक ऐसी समस्याएं भी आती हैं, जिन्हें हम अपने भाई-बहन, माता-पिता अथवा यार दोस्तों से सांझा नहीं करना चाहते या कर नहीं सकते। ऐसे में हमें एक ऐसे राहगीर की तलाश रहती है, जिसके सामने हम अपने मन को खोलकर रख सकें। आपको यह जानकर प्रसन्नता होगी कि अपने प्रिय पाठकों की ऐसी समस्याओं के समाधान हेतु अर्थ प्रकाश में एक कालम प्रारंभ किया गया है। इस कॉलम में कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय (Kurukshetra University) के मनोविज्ञान विभाग से सेवानिवृत्त प्रोफेसर व एक अनुभवी एवं व्यापक दृष्टिकोण वाली मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता-डॉ. स्वतंत्र जैन हर सप्ताह किसी महत्वपूर्ण मनोवैज्ञानिक एवं सामयिक विषय पर एक लेख देंगी I

माता-पिता बच्चों के परीक्षा- तनाव (Exam-stress) को ऐसे करें कम 

आज-कल बच्चों की परीक्षाओं का समय है। परीक्षाओं का 'भूत ना केवल बच्चों पर अपितु उनके माता-पिता पर भी सवार हो जाता है। कुछ अजब सा तनाव शुरू हो जाता है और मार्च शुरु होने से पहले ही घोर तनाव से घिर जाते हैं हमारे प्यारे बच्चे  और उनके साथ-साथ उनके अभिभावक भी!

कुछ पास होने के लिये, कुछ अपनी उम्मीदों पर खऱा उतरने के लिये तो कुछ माता-पिता व अध्यापकों की उम्मीदों को पूर्ण करने के लिये, कुछ डर से तो कुछ आत्म विश्वास की कमी के कारण- लगभग सभी को तनाव!

क्या इस तनाव से बचने या इसे कम करने का कोई कारगर तरीका नहीं है?

है ना - बच्चों के इस तनाव को कम और ज्यादा करने की कुंजी केवल और केवल उनके मां-बाप के हाथों में है। जी हां, यह बिल्कुल सत्य है।


        अभी चूंकि परीक्षाएं अत्यन्त निकट हैं, सभी अभिभावकों से अनुरोध है कि आपको यदि लगता है कि आपके बच्चे की चिन्ता का स्तर पहले ही अधिक है तो निम्न उपाय करें :
 

1.  किसी अच्छे परामर्शदाता से उसके चिन्ता एवं बुद्धि के स्तर की जांच अवश्य कराएं। क्योंकि इन दोनों परीक्षण के बाद ही परामर्शदाता आपको           बता सकते हैं कि आपको अपने बच्चे से कितनी अपेक्षा रखनी चाहिये एवं उसके तनाव को कम करने के लिये क्या करना चाहिये।
2.  यदि सचमुच चिन्ता अधिक है तो उसके साथ अत्यन्त प्रेम व सहानुभूति के साथ पेश आएं।

3.  ऐसी स्थिति में उन पर अपनी अपेक्षाओं का बोझ व दबाव उन पर कतई ना डालें।

4.  ध्यान रहे कि कई बच्चों के व्यक्तित्व की यह विशेषता होती है कि एक साथ या अधिक देर तक नहीं पढ़ सकते। अत: ऐसे बच्चों को कुछ अन्तराल      के साथ ही पढऩे के लिये प्रेरित करें।

5.  कुछ बच्चों में अन्य किस्म की सीखने सम्बन्धित असामथ्र्यता होती है जिस के कारण वे सदा तनाव में रहते हैं। ऐसी स्थिति में भी अच्छे कॉन्सलर से      प्रामर्श लेना चाहिये।

6.  एक टॉपिक ख़त्म करने पर कुछ अन्तराल अवश्य दें, ताकि वे एक-दूसरे टॉपिक को दोहराते हुए तनाव में ना आ जाएं।

7.  बच्चों के खान-पान (diet and lifestyle) का विशेष ध्यान रखें, उन्हें ठूंस-ठूंस कर मत खिलाएं। हो सके तो उन्हे ताजे फलों का जूस, और               मस्तिष्क को तरोताज़ा रखने वाली चीजें खिलाएं जैसे बादाम, अखऱोट आदि।

8.  बच्चों को स्वच्छ, शुद्ध व ताज़ी वायु व हवादार कमरे में पढऩे के लिये कहें ओर कुछ देर खेलना भी उनके लिये आवश्यक है और मस्तिष्क                 तरोताजा रहता है।

9.   उनके अत्याध्कि दबाव को कम करने के लिये उन्हें इस बात का आश्वासन दिलाना ज़रूरी है कि आपको उनके कम अंक आने से कोई परेशानी          नहीं है और ना ही आप उनसे नाराज़ होंगे।

10.  ब्च्चों के सामने कभी भी किसी से यह दर्द सांझा मत करें कि आप उस के कम नम्बरों की वजह से परेशान हैं।
 

11. बहुत से बच्चे जिनकी उपलब्धि का स्तर अपने आप ही अत्यन्त उच्च होता है, उन्हें अपने स्वयं के तनाव से मुक्त करना भी बहुत आवश्यक है,           अत: उन्हे समझाएं कि कुछ प्रतिश्त नम्बर कम भी आ गये तो कुछ बिगडऩे वाला नहीं।
 

12. यदि उसे आपकी किसी भी किस्म की सहायता की आवश्यकता है तो उसे डांटने या शार्मिन्दा करने के बजाए उसकी प्यार से सहायता करें,             क्योंकि उसे आपके स्नेह व हौसले की अत्याधिक आवश्यकता है।
 

13.  यदि फिर भी काम ना चले तो किसी अच्छे मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से परामर्श लेना ना भूलें।

 

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हम प्राय: अपने बच्चों की दूसरे बच्चों से तुलना करके उन्हें उनके समान बनने या उनके जितने नम्बर लाने के लिये उन पर अत्याधिक दबाव बना देते हैं, जिस के कारण बच्चे अनचाहे तनाव में आ जाते हैं। हम अभिभावकों को यह समझना आवश्यक है कि सभी बच्चे एक समान नहीं होते, सभी की योग्यता व बुद्धि का स्तर एक जैसा नहीं होता, सभी बच्चों की पढ़ाई में रूचि एक समान नहीं होती, सभी की प्रेरणा व प्रेरक तत्व भी एक समान नहीं होते और सभी के व्यक्तित्व के गुण-दोष भी एक समान नहीं हो सकते। यदि कुछ भी एक समान नहीं होता, तो फिर हम एक जैसी अपेक्षा कैसे रख सकते हैं?


        तनाव या चिन्ता का एक आदर्श स्तर होता है। इस आदर्श स्तर से कम और अधिक चिन्ता होना - दोनों ही बच्चे के लिये हानिकारक हैं। परन्तु हमें यह समझना होगा कि सभी बच्चों की चिन्ता का स्तर एक समान नहीं होता। कुछ बच्चों के तनाव/चिन्ता का स्तर उस स्तर से निम्न, तो कुछ का स्तर उससे ऊपर होता हैं। इसी लिये सभी अभिभावकों को अपने बच्चों के तनाव अथवा चिन्ता का स्तर पता होना आवश्यक हैं। किसी भी अच्छे मनोवैज्ञानिक परामर्शदाता से आप अपने बच्चे के तनाव या चिन्ता का स्तर जान सकते हैं।


        ध्यान रहे कि जिन बच्चों की चिन्ता का स्तर पहले से ही ज्यादा है, उन पर और अधिक दबाव बनाना खऱाब ही नहीं, अत्यन्त ख़तरनाक हो सकता है। अत: ऐसे बच्चों पर किसी भी किस्म का दबाव या तनाव बनाने से बिल्कुल परहेज़ रखना होगा। इसके विपरीत उनके तनाव को कम करने के उपाय करने चाहिये ताकि अधिक तनाव के कारण वे परीक्षा में घबरा कर सब कुछ भूल ना जाएं। यदि ज़रूरत महसूस हो तो अच्छे परामर्शदाता से परामर्श ले सकते हैं।
       

हां, जिन बच्चों की चिन्ता का स्तर आदर्श स्तर से कम है, उन पर दबाव जरूर बनाना चाहिये, किन्तु एक अच्छे परामर्शदाता की निगरानी में ही।

 

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