Milk Price Hike: अमूल समेत देश की इन तीन बड़ी कंपनियों ने बढ़ाए दूध के दाम, जानें ताजा रेट

Milk Price Hike: अमूल समेत देश की इन तीन बड़ी कंपनियों ने बढ़ाए दूध के दाम, जानें ताजा रेट

Amul Hikes Price Of Milk

Amul Hikes Price Of Milk

Amul Hikes Price Of Milk- दिल्लीवासियों पर एक बार फिर से महंगाई की मार पड़ी है. अमूल कंपनी ने दूध के दाम में 2 रुपए प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी की है. कंपनी के अनुसार अब फुल क्रीम दूध की कीमत 61 से बढ़कर 63 रुपए प्रति लीटर हो जाएगी. बता दें कि इससे पहले अमूल और मदर डेयरी ने अगस्त में आखिरी बार दूध के दामों में 2 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि की थी और उससे पहले मार्च में दूध के दाम बढ़ाए गए थे. यानी यह साल में तीसरी बार है जब अमूल ने दूध के दाम बढ़ाए हैं.

उत्पादन महंगा होने से बढ़ी कीमतें

हालांकि अमूल ने दूध दे दामों में वृद्धि को लेकर अभी कोई बयान जारी नहीं किया है, लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि महंगाई बढ़ने की वजह से दूध की उत्पादन लागत बढ़ने की वजह से अमूल ने दूध के दाम बढ़ाए हैं. महंगाई बढ़ने से पशुओं के चारे के दाम भी पिछले साल के मुकाबले 20 प्रतिशत बढ़ गए हैं, जिसकी वजह से दूध का उत्पादन भी महंगा हो गया है.

बता दें कि मदर डेयरी दिल्ली-एनसीआर में दूध सप्लाई करने वाली प्रमुख कंपनियों में से एक हैं. कंपनी प्रति दिन 30 लाख लीटर दूध पॉली बैग और वेंडिंग मशीन के माध्यम से बेचती है. बता दें कि दूध घरों में सबसे अधिक खपत वाली वस्तुओं में से एक है. ऐसे में त्योहारी सीजन से पहले दूध की कीमतों में बढ़ोत्तरी से घरेलू बजट प्रभावित हो सकता है.

पांच अन्य सहकारी समितियों में होगा अमूल का विलय

बता दें कि केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने कुछ दिनों पहले घोषणा की थी कि अमूल को एक बहु-राज्य सहकारी समिति (एमएससीएस) बनाने के लिए पांच अन्य सहकारी समितियों के साथ विलय कर दिया जाएगा. पिछले हफ्ते पूर्वोत्तर परिषद (एनईसी) के 70वें पूर्ण सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि विलय की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.

शाह ने कहा था कि "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार प्राकृतिक कृषि और डिजिटल कृषि को प्राथमिकता दे रही है और प्राकृतिक उत्पादों के प्रमाणीकरण के लिए, अमूल और पांच अन्य सहकारी समितियों को मिलाकर एक बहु-राज्य सहकारी समिति बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि एमएससीएस प्रमाणन के बाद उत्पादों का निर्यात सुनिश्चित करेगा ताकि लाभ सीधे किसानों के बैंक खातों में जा सके.