अधूरी ही नहीं त्रुटिपूर्ण भी हैं प्रशासन की वेबसाइट पर जानकारियां
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अधूरी ही नहीं त्रुटिपूर्ण भी हैं प्रशासन की वेबसाइट पर जानकारियां

information on the administration's website

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चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन के पद का जिम्मा अस्थाई तौर पर एडवाइजर को, वेबसाइट पर लिखा गया एक्स ऑफीशियो
प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित ने बीते दिनों आदेश जारी कर सौंपा है एडवाइजर को यह चार्ज
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एडवाइजर को सौंपी है चीफ विजिलेंस अफसर के पद पर जिम्मेदारी, वेबसाइट पर यहां भी एक्स ऑफीशियो
विभागों के विभिन्न सोसायटियों के चेयरपर्सन रहते हैं एडवाइजर, चेयरमैन का जिम्मा अन्य अफसरों को, इसकी भी जानकारी अधूरी

करने वाली हैं। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि वास्तविकता क्या है।चंडीगढ़, 15 फरवरी (साजन शर्मा): information on the administration's website: चंडीगढ़ प्रशासन की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारियां न केवल अधूरी हैं बल्कि इस पर किये गए कई अपडेशन त्रुटिपूर्ण हैं। आम लोगों के लिये ये दी गई जानकारियां भ्रमित
चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन का पद फिलहाल बीते कुछ समय से एडवाइजर को दिया गया है क्योंकि कभी यहां रेगुलर चेयरमैन हुआ करता था लेकिन बीते कुछ साल से इस पद पर कोई जिम्मेदार अफसर को ट्रांसफर नहीं किया जा रहा लिहाजा कार्यकारी चेयरमैन का काम एडवाइजर को सौंपा जाने लगा। ठीक इसी प्रकार सेंट्रल विजिलेंस ऑफिसर यानि सीवीओ के पद पर भी केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से बाकायदा पत्र जारी कर एडवाइजर को इसका जिम्मा दिया गया है। चंडीगढ़ प्रशासन की वेबसाइट पर प्रशासन के आईटी विभाग की ओर से एडवाइजर को चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड और सीवीओ के पद पर एक्स ऑफीशियो दिखाया गया है। सूत्रों के अनुसार यह जानकारी बिलकुल गलत है। एडवाइजर के पास यह रेगुलर चार्ज नहीं है बल्कि उन्हें काम चलाने के लिये इन पदों का जिम्मा दिया गया है। चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड के चेयरमैन के पद पर बीते दिनों यूटी, चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारी लाल पुरोहित की ओर से बाकायदा आदेश जारी कर उन्हें चेयरमैन नियुक्त किया गया। इसी तरह सीवीओ की पोस्ट के लिये केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से एडवाइजर की सीवीओ तैनातीकेस्पेशल आर्डर जारी किये गए। दूसरा हर विभाग ने अपनी सोसायटियां बनाई हुई हैं। इन सोसायटियों का चेयरपर्सन के पद पर एडवाइजर ही होता है। जैसे स्पिक सोसायटी या रॉक गार्डन की बनी सोसायटी का चेयरपर्सन एडवाइजर जबकि चेयरमैन कोई अन्य अफसर रहता है। इन सोसायटियों बोर्ड व कारपोरेशनों की अधूरी जानकारी चंडीगढ़ प्रशासन की वेबसाइट पर डाली गई है। वेबसाइट पर पूरी इनफर्मेशन नहीं डाली गई हैं।

हमारे पास तो जो जानकारी विभाग भेजते हैं, उसे ही अपडेट कर सकते हैं

डायरेक्टर आईटी सुमित सिहाग से जब प्रशासन की वेबसाइट की अपडेशन को लेकर सवाल पूछा गया तो उन्होंने जवाब दिया कि जैसी जानकारियां विभाग उनके पास भेजते हैं, उनका काम तो उसे अपडेट करना है। जानकारी भेजने के लिये बाकायदा विभागों से लैटर जारी होते हैं। उनके पास जो भी इनफर्मेशन आती है, उसे तुरंत अपडेट कर दिया जाता है। अब कौन सी जानकारी गलत है या अधूरी है, इसको लेकर वह कुछ नहीं कह सकते क्योंकि इसके लिये तो संबंधित विभाग ही बात कर सकते हैं। खुद से तो वह वेबसाइट पर जानकारी नहीं बदल सकते चाहे वह गलत ही क्यों न हो। वेबसाइट को कितने दिनों बाद अपडेट किया जाता है पर उन्होंने कहा कि अपडेशन तो लगातार चलता रहता है। जैसे ही जानकारी मिलती है, तुरंत विभाग इसे वेबसाइट पर डाल देता है।

एडवाइजर कोई पोस्ट नहीं ले सकता

सामाजिक व आरटीआई कार्यकर्ता आरके गर्ग के मुताबिक एडवाइजर कोई पोस्ट नहीं ले सकता। उनकी नियुक्ति यूटी के प्रशासक को सलाह देने की होती है, न कि कोई ओहदा अपने पास रखने की। यह परंपरा बीते कुछ समय से शुरू हुई है कि एडवाइजर को कुछ विभागों का ओहदा देना शुरू कर दिया गया है जो सरासर गलत है। उन्होंने बताया कि एडवाइजर मनोद परिदा के समय में चंडीगढ़ हाऊसिंग बोर्ड का चेयरमैन और सीवीओ पद उनके पास था तो इसको लेकर उनकी ओर से विरोध दर्ज किया गया था जिस पर मनोज परिदा ने खुद संज्ञान लिया था और इस पर कमेंट मांगे थे। इसके बाद इन दोनों पदों पर एक्स ऑफीशियो लिखा जाने लगा। एक्स ऑफीशियो का भी मतलब है कि स्वत: इस पद पर नियुक्ति हुई, हालांकि एडवाइजर के मामले में उन्हें आदेश जारी कर पद सौंपा गया। इसी तरह सोसायटी, कारपोरेशन, बोर्ड इत्यादि को लेकर वेबसाइट पर अधूरी जानकारियां हैं। पता ही नहीं लगता कि चेयरमैन, चेयरपर्सन इत्यादि की जिम्मेदारी जिस अफसर के पास है तो बाकायदा उसको लिखा जा सके क्योंकि इन सोसायटियों, कारपोरेशन व बोर्ड इत्यादि में लोगों को बहुत से काम रहते हैं।