पिछड़ा वर्ग के हित में लिए गए निर्णयों को लागू करने में सरकार को ईमानदारी दिखानी होगी
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पिछड़ा वर्ग के हित में लिए गए निर्णयों को लागू करने में सरकार को ईमानदारी दिखानी होगी

Show Honesty in Implementing the Decisions

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हरियाणा में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने पिछड़ा वर्ग के आरक्षण में 15 प्रतिशत से 27 प्रतिशत बढ़ोतरी कर और क्रिमिलेयर की सीमा छः लाख से बढ़ाकर 8 लाख रुपए की है। निश्चित रूप से आपकी सरकार का यह निर्णय सराहनीय और काबिले तारीफ है। इस फैसले से पिछड़ा वर्ग के युवाओं को शिक्षण संस्थानों में अधिक दाखिले हो पाएंगे साथ ही सरकारी नौकरियों में भी अधिक से अधिक युवाओं को नियुक्ति के अवसर प्राप्त होंगे। 

मुख्यमंत्री जी असली मामला अब शुरू होता है। इस लेख के माध्यम से मामला सरकार के संज्ञान में लाना चाहता हूं कि प्रदेश में इस समय कुल स्वीकृत सरकारी पद साढ़े चार लाख हैं, जबकि 2.7 लाख नियमित कर्मचारी ही काम कर रहे हैं। इस प्रकार से राज्य में लगभग पौने दो लाख सरकारी पद खाली पड़े हैं । इस समय सरकारी स्वीकृत पदों में पिछड़ा वर्ग का 65000 से भी अधिक पदों का बैकलॉग है। अनुसूचित जाति का लगभग 62000 बैकलॉग है। इस प्रकार वर्तमान में अनुसूचित जाति के आरक्षित पदों की बात की जाए तो तृतीय श्रेणी में अभी केवल 12 प्रतिशत पद भरे हुए हैं। द्वितीय श्रेणी में केवल 10 प्रतिशत और प्रथम श्रेणी में लगभग सात प्रतिशत ही पद भरे हुए हैं। चतुर्थ श्रेणी में तो केवल चार प्रतिशत पद ही भरे हुए हैं। इतना ही नहीं चतुर्थ श्रेणी के स्वीपर के पदों पर तो अनुबंध के आधार पर कर्मचारी लगाए हुए हैं। इन पदों पर कोई भी नियमित कर्मचारी नहीं है। खाली पदों के मुकाबले हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड के तहत या सीधे विभागों के जरिए लगभग एक लाख 18 हजार कर्मचारी बहुत ही कम वेतन में काम कर रहे हैं। गौरतलब है कि पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति का हजारों की संख्या में बैकलॉग तो है ही, साथ ही हरियाणा रोजगार कौशल निगम की भर्तियों में अभी तक किसी प्रकार का आरक्षण नहीं दिया जा रहा है, जबकि पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा बार-बार सार्वजनिक मंचों से व सरकारी आदेश जारी कर कहा जा चुका है कि हरियाणा कौशल रोजगार निगम की भारतीयों में पिछड़ा वर्ग वह अनुसूचित जाति के युवाओं को आरक्षण मिलेगा। इतना ही नहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने तो कई बार अपने वक्तव्यों और भाषणों में यह भी कहा है कि निजी क्षेत्र के विश्वविद्यालयों में भी हरियाणा के युवाओं को आरक्षण दिया जाएगा, परिणाम अभी तक सीफर है। प्रदेश में हरियाणा निजी विश्वविद्यालय अधिनियम बनाया गया है। इस अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, किसी विश्वविद्यालय को हरियाणा के मूल निवासियों के छात्रों के लिए प्रवेश हेतु कम से कम एक चौथाई सीटें आरक्षित करनी होती हैं, जिनमें से 10% सीटें अनुसूचित जाति वर्ग के छात्रों के लिए आरक्षित होंगी, लेकिन निजी विश्वविद्यालयों द्वारा इस अधिनियम की भी पालना नहीं की जा रही। ऐसे में सरकार की मनसा पर सवालिया निशान उठना वाजिब है। मुख्यमंत्री  द्वारा ढोल पीट पीट कर दावा किया जा रहा है कि विधानसभा चुनाव से पहले 50000 पदों पर पक्की भर्तियां की जाएगी । इन भर्तियों में तो लंबी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। जब तक स्वीकृत पदों की भर्ती प्रक्रिया पूरी होती है तब तक आप पहले हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड द्वारा की गई भर्तियों में आरक्षण के आधार पर अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग के युवाओं की भर्ती तो कीजिए। इन भर्तियों में लंबी प्रक्रिया अपनाने की भी आवश्यकता नहीं है। हरियाणा सरकार पिछड़ा वर्ग व अनुसूचित जाति के हित में लिए गए निर्णयों को लागू करने में दृढ़ इच्छा शक्ति और ईमानदारी दिखाते हैं तो यह निर्णय सिरे चढ़ सकते हैं नहीं तो विधानसभा चुनाव में खाली हाथ भी लौटना पड़ सकता है। प्रबल इच्छा शक्ति का प्रयोग करेंगे तभी यह कार्य सिरे चढ पाएगा। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग अनुसूचित जाति के संगठनों द्वारा लगातार बैकलॉग पूरा करने और हरियाणा कौशल रोजगार निगम लिमिटेड की भर्तियों में आरक्षण देने की बात उठाई जा रही है सरकार है। सरकार द्वारा इस दिशा में कोई ठोस कदम दिखाई नहीं दे रहा।यदि आप सरकारी भर्तियों का बैकलॉग और हरियाणा कौशल रोजगार निगम की भर्तियों में पूरा आरक्षण देंगे तो लोग आपके कहे हुए पर विश्वास करेंगे और निश्चित रूप से आपको चुनाव में फायदा मिलेगा ।इससे आपके नेतृत्व में निखार आएगा और लोगों में एक बोल्ड मुख्यमंत्री की पहचान भी बन पाएगी।