Save sports from politics, investigation of allegations should be fair

Editorial : राजनीति से खेल को बचाओ, आरोपों की जांच हो निष्पक्ष

editoriyal2

Save sports from politics, investigation of allegations should be fair

Save sports from politics, investigation of allegations should be fair : भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation of India) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पर लगे यौन शोषण के आरोपों की जांच के लिए केंद्र सरकार के खेल मंत्रालय की ओर से दो जांच कमेटियों का गठन स्वागत योग्य है। इस मामले के सामने आने के बाद केंद्र सरकार की यह जिम्मेदारी बनती है कि वह उन सभी आरोपों की जांच कराए जोकि सामने आ रहे हैं। हालांकि इस मामले में सभी पक्षों को सामने रखे जाने की जरूरत भी है। मौजूदा परिस्थितियां ऐसी हो गई हैं कि राजनीतिक दांवपेच से खेल संगठन भी नहीं बचे हैं। हर ढंग से परख की जाए तो खेल जगत में ही ऐसे भीषण मामले सामने आएंगे जोकि इस कर्मकौशल आधारित कार्यक्रम को बेहद दागदार बना सकते हैं। यह मामला तो कुश्ती संघ से जुड़ा है, अगर दूसरे खेलों के संबंध में भी सच्चाई सामने लाई जाए तो हो सकता है, खेल, खिलाडिय़ों और इनके आयोजकों पर से भरोसा उठ जाए। अब खेल केवल शारीरिक सौष्ठव का परिचय देकर पदक जीतने वाले कार्यक्रम नहीं रह गए हैं, अपितु इनके जरिए धन एवं बाहुबल का प्रदर्शन भी किया जाने लगा है। सिफारिश और पसंद योग्यता पर हावी हो जाती है और फिर अयोग्य भी सीढिय़ां चढऩे लगते हैं।

भारतीय कुश्ती महासंघ (Wrestling Federation of India) के मामले में सच क्या है, यह जांच के बाद ही सामने आएगा। हालांकि यह आवश्यक है कि जांच कमेटियों बगैर किसी दबाव में आए अपने काम को अंजाम दें। इस समय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) ने इस्तीफा देने से साफ इनकार कर दिया है। यह तब है, जब वे भाजपा के सांसद हैं और यूपी में सर्वाधिक रसूखदार नेता भी हैं। पिछले 11 वर्षों से वे कुश्ती महासंघ की अध्यक्षता कर रहे हैं। यह कुर्सी उनके लिए प्रतिष्ठा की बात है, लेकिन न केंद्र सरकार उनसे इस्तीफा ले सकी है और न ही वे मीडिया की ओर से लगातार इस मामले की कवरेज से किसी दबाव में दिख रहे हैं। अभी आधिकारिक रूप से उनकी ओर से यही कहा गया है कि उन पर लगे आरोप गलत हैं। जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती, तब तक कुश्ती महासंघ से उन्होंने खुद को दूर रखने की बात कही है। वैसे, यह भी खूब है कि महिला कुश्ती खिलाडिय़ों की ओर से अभी तक इस संबंध में पुलिस को कोई शिकायत नहीं दी गई है। हालांकि यौन शोषण के आरोपों के अलावा पहलवानों ने अपनी जान का खतरा भी बताया है।

यह सवाल अहम है कि आखिर पहलवान एकाएक धरने पर बैठ कर प्रदर्शन क्यों करने लगे। जब किसी महिला पहलवान (Female Wrestler) को ऐसे किसी कड़वे अनुभव से गुजरना पड़ा तो उन्हें इसकी शिकायत अपने विभाग को या फिर पुलिस को देनी चाहिए थी। लेकिन यह भी नहीं हुआ। जाहिर है, कानून सभी के लिए समान है। ओलंपिक स्टार खिलाडिय़ों का देश आभारी हो सकता है, क्योंकि उनकी मेहनत से ही देश को विश्व स्तर पर खेलों में सम्मान की प्राप्ति होती है, लेकिन इसके बावजूद खिलाड़ी विशेष तो नहीं हो सकते। खिलाडिय़ों ने मीडिया को अपनी शिकायत निवारण का जरिया बनाया और सरकार पर दबाव बनाकर जांच कमेटियों का गठन करवा लिया। हो सकता है, कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के रूतबे से भयभीत होकर खिलाडिय़ों ने इतनी हिम्मत न जुटाई होकि वे पुलिस थाने जा सकें। हालांकि अगर उनके आरोपों में सच्चाई है तो आज नहीं तो कल उन्हें पुलिस थाने जाना ही पड़ेगा। अगर यह एक जंग है तो फिर खिलाडिय़ों ने इसे तय नियमों के अनुसार लडऩे का फैसला क्यों नहीं किया?

कुश्ती महासंघ (wrestling federation) के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह ने यह पद चुनाव के जरिए हासिल किया है। न्यायिक प्रणाली कहती है कि जब तब आरोप हैं, तब किसी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। यह अदालत का कार्य है कि वह किसी को निर्दोष या दोषी करार दे। तब बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) पर खाप पंचायतों समेत दूसरे वर्गों का इस्तीफे के लिए दबाव बनाना बहुत जल्दबाजी है। कुश्ती संघ के एक महीने बाद चुनाव भी होने हैं, ऐसे में राजनीतिक खेमेबाजी से भी इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरे कुश्ती संघ में ही वर्ग विभेद हो गया है, जब कुछ खिलाड़ी सबकुछ ठीक करार दे रहे हैं वहीं कुछ धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। इन खिलाडिय़ों को राजनीतिक प्रश्रय भी मिल रहा है। अगले वर्ष लोकसभा चुनाव भी प्रस्तावित हैं। सवाल यह है कि आखिर किसे सच माना जाए और किसे झूठा। इतना तो तय है कि इस मामले में कुछ न कुछ ऐसा है, जोकि छिपा हुआ है। जांच कमेटियों को यह देखना चाहिए कि बगैर पक्षपात के सच उजागर हो। किसी पर यूं ही आरोप नहीं लगाए जा सकते वहीं किसी के चरित्र पर ऐसे ही कीचड़ नहीं उछाला जा सकता। राजनीति अपनी जगह है, लेकिन खेल को खेल ही रहने दिया जाना चाहिए। 

ये भी पढ़ें ....

Editorial: आतंकवाद को प्रश्रय देना बंद करे पाक तो ही उससे हो बात

ये भी पढ़ें ....

Editorial: कुश्ती संघ के अध्यक्ष पर आरोप गंभीर, सरकार कराए जांच