Ruckus in Congress over Observer's report, possibility of major changes

आब्जर्वर की रिपोर्ट पर कांग्रेस में मचा बवाल, बड़े बदलाव की संभावना, प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह और मंत्री विक्रमादित्य सिंह की कार्यप्रणाली पर उठाए सवाल 

Ruckus in Congress over Observer's report, possibility of major changes

Ruckus in Congress over Observer's report, possibility of major changes

Ruckus in Congress over Observer's report, possibility of major changes- शिमलाI प्रदेश में आए सियासी संकट के समाधान के लिए शिमला आए कांग्रेस हाईकमान के आब्जर्वर की रिपोर्ट लीक होने से प्रदेश की सियासत पर हंगामा मच गया है। रिपोर्ट में कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह को भी संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। वहीं सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह की  विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाए गए हैं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि भाजपा ने प्रदेश सरकार को गिराने के लिए षड़यंत्र रचा है और कुछ कांग्रेसी नेताओं ने भाजपा का साथ दिया है। रिपोर्ट में कहा गया कि इस पूरे षड़यंत्र की खबर मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को खबर ही नहीं लगी, जो कि गंभीर मामला है। यह रिपोर्ट संकट के समाधान के लिए हाईकमान के आब्जर्वर डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंद्र सिंह हुड्डा ने शिमला आकर मुख्यमंत्री, मंत्रियों और विधायकों से बात की थी। सभी कांग्रेसी नेताओं से बातचीत के बाद हाईकमान को रिपोर्ट सौंपी थी, जो अब मीडिया में लीक हो गई है। 

आब्जर्वर की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष और मंडी से सांसद प्रतिभा सिंह को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाया जाए और उन्हें मंडी से लोकसभा चुनाव लड़ाया जाए। इसके साथ ही रिपोर्ट में बागी विधायकों को वापस लाने के प्रयास करने की बात की गई है। सभी 6 बागी विधायक नहीं आते हैं तो उनमें से कुछ को वापस लाने का प्रयास किया जाएगा। प्रदेशाध्यक्ष प्रतिभा सिंह पर सवाल इसलिए भी उठा है कि बगावत करने वाले अधिकांश विधायक उनके खेमे के हैं।

जिसमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा और इंद्रदत्त लखनपाल तो पूरी तरह हॉलीलॉज के समर्थक माने जाते हैं। विधायकों की बगावत के समय भी प्रतिभा सिंह ने मीडिया के सामने ऐसे बयान दिए, जिससे पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच एकजुटता का संदेश नहीं गया। विक्रमादित्य सिंह लगातार बागियों के संपर्क में थे और दो बार बागियों से पंचकूला में मुलाकात कर चुके हैं। इसके बाद विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि मैं सरकार और हाईकमान के द्वारा सौंपे काम को किया है। वहीं विक्रमादित्य सिंह के दिल्ली में भाजपा नेताओं के साथ मुलाकात की अटकलें भी लगती रहीं हैं। विक्रमादित्य सिंह इसी बीच हमीरपुर में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और अनुराग ठाकुर के साथ एक कार्यक्रम में शामिल हुए।

यह कार्यक्रम सरकारी था, जिसमें विक्रमादित्य बतौर सरकार के प्रतिनिधि के रुप में शामिल हुए लेकिन सियायी उठापटक के दौर में अटकलें लगती रहीं हैं। विक्रमादित्य पर सवाल इसलिए भी उठा रहा है कि जब 6 विधायकों ने बगावत की, उसी समय विक्रमादित्य सिंह ने तीन विधायकों के साथ प्रेस कांफ्रेंस की और मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और शाम को इस्तीफा वापस ले लिया। इसके बाद दूसरे दिन सुबह मुख्यमंत्री के द्वारा रखे गए ब्रेकफास्ट में भी विक्रमादित्य नहीं पहुंचे, जिससे उनकी नाराजगी की चर्चा तेजी रहीं। इसके बाद डीके शिवकुमार ने विक्रमादित्य सिंह से बात की और फिर विक्रमादित्य डीके शिव कुमार के साथ मुख्यमंत्री के सरकारी आवास में पहुंचे। सियासी संकट के बीच विक्रमादित्य सिंह के रवैए पर सवाल उठे हैं। 

प्रदेश के चल रहे सियासी घटना क्रम के बीच मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने पार्टी हाईकमान के नेताओं और बागी विधायकों से दो बार मुलाकात की है। उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री ने भी दिल्ली दौरा कर हाईकमान के कुछ नेताओं से मुलाकात की है। इसी बीच मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू बीते कल दिल्ली गए। सूचना यह है कि मुख्यमंत्री ने पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकाअर्जुन खड़ेग और प्रियंका गांधी ने मुलाकात कर अपना पक्ष रखा है और आगामी लोकसभा चुनावों की रणनीति पर बात की है। प्रदेश के नेता दिल्ली जाकर हाईकमान के नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं लेकिन कोई अधिकारिक सूचना नहीं दी जा रही है और न ही हमेशा की तरह बड़े नेताओं के साथ फोटो जारी हो रहे हैं। जिससे साबित होता है कि पार्टी के नेता गोपनीय तरीके से मुलाकात कर रहे हैं। 

मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू के दिल्ली में हाईकमान से मुलाकात के बाद कांग्रेस संगठन में बड़े बदलाव की अटकलें तेज हो गई है। संभावना जताई जा रही है कि प्रदेशाध्यक्ष पद से प्रतिभा सिंह को हटाकर नए अध्यक्ष की ताजपोशी हाईकमान कर सकता है। आब्जर्वर की रिपोर्ट में भी यही सुझाव दिया गया है। अब देखना होगा कि कांग्रेस में बदलाव लोकसभा चुनाव के पहले होता है कि चुनाव के बाद होता है।