प्रधानमंत्री इमरान खान को ईयू के खिलाफ सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी: वित्त मंत्री

प्रधानमंत्री इमरान खान को ईयू के खिलाफ सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी: वित्त मंत्री

प्रधानमंत्री इमरान खान को ईयू के खिलाफ सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी: वित्त मंत्री

प्रधानमंत्री इमरान खान को ईयू के खिलाफ सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी: वित्त मंत्री

इस्लामाबाद: पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान बेतुके बयानों के लेकर अपनों के ही निशाने पर बने हुए हैं। अब उनकी ही पार्टी के नेता पीएम को नसीहत देते नजर आ रहे हैं। बुधवार को पाक वित्त मंत्री शौकत तारिन ने इमरान खान के यूरोपीय संघ को लेकर दिए बयान पर रोष व्यक्त किया है। ईयू ने पाकिस्तान से यूक्रेन पर रूस द्वारा हमला किए जाने का विरोध करने के लिए कहा था। जिसपर इमरान खान में सार्वजनिक रूप से अपनी प्रतिक्रिया दी थी।

सार्वजनिक प्रतिक्रिया देने से बचें प्रधानमंत्री

मीडिया से बातचीत में तारिन ने विरोध जताते हुए कहा कि, पीएम को इस मुद्दे पर सार्वजनिक रूप से प्रतिक्रिया नहीं देनी चाहिए थी। साथ ही उन्होंने कहा कि यूरोपीय संघ पाकिस्तान को यह नहीं बताना चाहिए कि क्या करना है और क्या नहीं। यह प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी है कि वो पाकिस्तान की प्रतिष्ठा की रक्षा किस तरह से करते हैं। हालांकि इस दौरान उन्होंने इस बात को खारिज किया कि यूरोपीय संघ की सार्वजनिक आलोचना से पाकिस्तान के साथ उसके संबंधों पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

रैली में यूरोपीय संघ के खिलाफ की थी बयानबाजी

दरअसल, पाक पीएम इमरान खान ने अपने एक हालिया भाषण में यूरोपीय संघ के खिलाफ बयानबाजी की थी। ईयू ने पाकिस्तान से यूक्रेन पर आक्रमण के लिए रूस की निंदा करने और मास्को के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र में विश्व के अन्य देशों के साथ खड़े होने के लिए कहा था। जिसपर एक रैली के दौरान इमरान खान ने सार्वजनिक तौर से यूरोपीय संघ के प्रतिनिधियों को लताड़ा था। पाक विदेश मंत्रालय पहले इस संबंध में अपनी चिंता व्यक्त कर चुका है।

देश के आर्थिक विकास को लेकर दी जानकारी

वहीं, पाक में आर्थिक विकास के बारे में जानकारी देते हुए तारिन ने कहा कि सरकार चीन के साथ निवेश योजनाओं पर चर्चा कर रही है। उन्होंने कहा, "हमने उद्योगों, कृषि, आईटी क्षेत्र और व्यापार सहित क्षेत्रों में उनके समर्थन की मांगा की है।" उन्होंने कहा कि पाकिस्तान औद्योगीकरण के बिना प्रगति नहीं कर सकता है। सरकार ने चीन से 60 अरब अमेरिकी डालर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी) के तहत विभिन्न परियोजनाओं को शुरू करने की मांग रखी है।