Jain Teerth Sammed Shikhar Protest News

तीर्थ स्थल को बचाने के लिए जैन मुनि का बड़ा त्याग; प्राण न्योछावर किए, सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस बनाने के विरोध में थे

Jain Teerth Sammed Shikhar Protest News

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Jain Teerth Sammed Shikhar Protest News: झारखंड के गिरिडीह में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस घोषित किए जाने पर भारी विरोध पैदा हो गया है| जैन मुनियों के साथ-साथ समुदाय के लोगों में भयंकर आक्रोश है| समुदाय के लोग जगह-जगह प्रदर्शन (Sammed Shikhar Protest) कर रहे हैं|

दरअसल, सम्मेद शिखर जैन समुदाय का सर्वोच्च तीर्थ स्थल है और इसीलिए समुदाय के लोग इसकी पवित्रता से जरा सा भी समझौता नहीं करने वाले| समुदाय के लोग तीर्थ स्थान सम्मेद शिखर को पवित्र स्थल घोषित किए जाने की मांग कर रहे हैं|

जैन तीर्थ स्थल सम्मेद शिखर

Jain Teerth Sammed Shikhar
Jain Teerth Sammed Shikhar 

तीर्थ स्थल को बचाने के लिए जैन मुनि का बड़ा त्याग

इधर, सम्मेद शिखर (Jain Teerth Sammed Shikhar) को टूरिस्ट प्लेस बनने से बचाने और उसकी पवित्रता के खातिर जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने अपने प्राण तक त्याग दिए हैं| बताया जाता है कि, जबसे उन्हें यह मालूम हुआ था कि जैन तीर्थ सम्मेद शिखर को टूरिस्ट प्लेस घोषित किया गया है तबसे वह लगातार इसके विरोध में थे|

यहां तक उन्होंने आमरण अनशन भी धारण कर लिया था और लगातार उपवास के बीच अब मंगलवार सुबह उनका निधन हो गया| जैन मुनि काे राजस्थान के सांगानेर में समाधि दी गई है| इस दौरान बड़ी संख्या में जैन मुनि और समुदाय के लोग मौजूद रहे। जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज 70 साल के करीब थे।

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सम्मेद शिखर के टूरिस्ट प्लेस बनने से क्या डर?

दरअसल, टूरिस्ट प्लेस बनने से सम्मेद शिखर (Jain Teerth Sammed Shikhar) की पवित्रता भंग होने का बड़ा डर है क्योंकि टूरिस्ट प्लेस बनने से यहां हर तरह के लोग पहुंचेंगे और उनके द्वारा अमर्यादित गतिविधियां भी की जाएंगी| जैसे अन्य टूरिस्ट प्लेस पर देखने को मिलती हैं|

जैन मुनियों और समाज का कहना है कि, सम्मेद शिखर के लिए सुविधाएं हों, इससे कोई दिक्कत नहीं है लेकिन टूरिस्ट प्लेस बनाकर इसकी आड़ में मांस-मछली और शराब का जो कारोबार किया जाएगा| वो हम कतई बर्दास्त नहीं कर पाएंगे| इसलिए हम सम्मेद शिखर को हरगिज टूरिस्ट प्लेस नहीं बनने देंगे| यह सब जैन समाज की भावनाओं और मान्यताओं के विरुद्ध है|

समाज का कहना है कि जैन समाज हमेशा अहिंसक रहा है और अभी अहिंसक तरीके से आंदोलन कर रहा है| अगर यह फैसला पीछे नहीं लिया गया तो आगामी दिनों में आंदोलन को उग्र भी किया जाएगा।