नई दिल्ली: जब आप किसी वजह से अंदर से टूट जाते हैं या टूटने की कगार पर होते हैं इस वक्त अगर कोई आपका हौंसला बढ़ाता है तो कितना अच्छा लगता है और यदि कोई सफल आदमी ये काम करे तो कहना ही क्या।दरअसल, जब कोई आपकी हौंसला अफजाही करता है तो आपके अंदर एक नया जज्बा पैदा होता है।जहां गिरने या हारने के बाद आप उसी जगह पर नहीं रुकते बल्कि फिर से लगन के साथ आगे बढ़ने का निरन्तर प्रयास शुरू कर देते हैं।अब आइए, इसी क्रम में आज आपको मिलवाते हैं एक नौजवान IPS अफसर से जिसकी बातें आपके अंदर एक जज्बे को जन्म देंगी।खासकर जो स्टूडेंट्स हैं उनके लिए इस नौजवान IPS अफसर की बातें बड़ी फायदेमंद साबित होंगीं।
बात कुछ यूं है कि, जब हमने इस नौजवान IPS अफसर की सोच को पढ़ा तो हमें काफी अच्छा लगा इसलिए हमने सोचा कि आप तक इस नौजवान IPS अफसर की सोच को जरूर पहुंचाया जाए।
कम ही उम्र में पा लिया एक बड़ा मुकाम…
मूल रूप से राजस्थान के नवलगढ़ क्षेत्र के रहने वाले
इस नौजवान IPS अफसर का नाम विजय सिंह गुर्जर है।विजय सिंह गुर्जर अपनी लगन से बहुत ही कम उम्र एक बड़े मुकाम पर हैं।बतादें कि, विजय सिंह गुर्जर एक बेहद साधारण घर में जन्मे थे।विजय सिंह गुर्जर के पिता उनकी पढ़ाई को लेकर काफी अलर्ट और सख्त रहते थे।विजय बताते हैं कि, जब उन्होंने कक्षा 10 के बोर्ड पेपर दिए और उनका परिणाम आया तो वह देखने गए।जैसा कि, पहले अखबारों में रोल नंबर के साथ परिणाम आते थे।तो उन्होंने राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर में अपना रोल नंबर ढूंढा, उन्हें छोटे छोटे अंको में लिखा अपना परिणाम दिखा और वह सेकंड डिवीज़न आये।अब जब वह घर पहुँचें तो पिताजी काफी नाराज़ थे और गुस्सा भी।उन्हें खूब डांट पड़ी, जहां वह गर्दन नीचे किये चुपचाप सबकुछ सुनते रहे।
डांट सुनते-सुनते खुद से और पिता जी से किया वादा…
विजय सिंह गुर्जर बताते हैं कि, जब पिताजी उन्हें डांट लगा रहे थे तो इस बीच उन्होंने खुद से और उनसे एक पक्का वादा किया।जिसमे उन्होंने कहा कि वह आगे से और ज्यादा मेहनत करेंगे।जिसके परिणाम उनके सामने बेहतरीन होंगे।
अच्छे-बुरे नंबर सफलता की गारंटी नहीं, पर न रुकने वाली मेहनत है…
विजय सिंह बताते हैं कि पहले वह दिल्ली पुलिस में सिपाही के पद पर तैनात थे लेकिन उनके मन में मुकाम कोई और पल रहा था।सिपाही की नौकरी करते करते वह आईपीएस बनने की चाह रख रहे थे।इस दौरान उन्होंने अपने नंबर नहीं देखे और लग पड़े आईपीएस बनने के लिए मेहनत करने।विजय सिंह गुर्जर ने अटूट मेहनत कर आखिरकार 2018 में भारतीय पुलिस सेवा को जॉइन कर लिया।विजय सिंह कहते हैं कि वह स्वयं के अनुभव और ढेरों अन्य उदाहरणों से बस इतना ही कह सकते हैं कि एक परीक्षा में अच्छे अंक आना सफल जीवन की गारंटी नहीं है और न ही खराब परिणाम आपकी असफलता की गारंटी रखता है।रिजल्ट अच्छा आया है तो और मेहनत करनी है, अगर किसी कारण से अच्छा नहीं आ पाया तो चिंता की बात नहीं है । 55 प्रतिशत से 10 वीं पास करने वाला आपका भाई विजय IPS बन सकता है तो मुझे भरोसा है आप सब मुझसे बेहतर हो और आगे आने वाले समय में इसे प्रमाणित भी करोगे ।
राजस्थान में 10वीं के जब परिणाम आये तब आईपीएस विजय गुर्जर ने लिखा ये नोट…
आज फेसबुक खोलकर देखा तो राजस्थान में 10वीं का परिणाम जारी हुआ और सब जगह 90 प्रतिशत से ज्यादा अंको वाले बच्चों के परिजनों की खुशियाँ नज़र आईं।अच्छा लगता है जब बच्चों का परिणाम देखकर माता पिता को ख़ुशी और गर्व करते देखता हूँ ।
इधर, यह सब देखते देखते मुझे अपने कक्षा 10 वाले परिणाम का ख्याल आया।राजस्थान पत्रिका और दैनिक भास्कर में छोटे छोटे अंको में लिखे परिणाम में अपना रोल नंबर ढूंढा , सेकंड डिवीज़न से पास हो पाया था। घर पंहुचा तो पिताजी नाराज़ भी थे और गुस्सा भी । खूब डांट पड़ी , मैं गर्दन नीचे किये चुपचाप सुनता रहा । हाँ , खुद से और पिताजी से वादा जरूर किया की आगे अच्छी मेहनत करूंगा । मेहनत करता रहा और आज भारतीय पुलिस सेवा में हूँ । मेरे स्वयं के अनुभव और ढेरों अन्य उदाहरणों से मैं इतना कह सकता हूँ , एक परीक्षा में अच्छे अंक आना सफल जीवन की गारंटी नहीं है और न ही खराब परिणाम असफलता की ।
हमारा हर एक बच्चा प्रतिभाशाली है और कुछ करने का दम और क्षमता रखता है । रिजल्ट अच्छा आया है तो और मेहनत करनी है, अगर किसी कारण से अच्छा नहीं आ पाया तो चिंता की बात नहीं है । 55 प्रतिशत से 10 वीं पास करने वाला आपका भाई विजय IPS बन सकता है तो मुझे भरोसा है आप सब मुझसे कहीं बेहतर हो और आगे आने वाले समय में आप यह प्रमाणित भी करोगे ।
— Vijay Singh Gurjar IPS (@VijayGurjar_IPS) July 29, 2020
Posted by Shiva Tiwari