बैंक लोन पर राहत की खबर; RBI ने फिर लिया बड़ा फैसला, Repo Rate को लेकर गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने किया ये ऐलान

RBI Keeps Repo Rate Unchanged in August MPC Meeting 2025

RBI Keeps Repo Rate Unchanged at 5.50% in August MPC Meeting 2025

RBI Repo Rate: अगर आपका बैंक लोन चल रहा है और आप EMI भर रहे हैं तो आपके लिए राहत की खबर है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने इस बार की मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में रेपो रेट (ब्याज दर) में बढ़ोतरी न करने का फैसला लिया है। यानि रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया है। हालांकि, रेपो रेट अगर घटा दिया जाता तो और ज्यादा राहत मिल जाती।

RBI गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार सुबह Repo Rate अपरिवर्तित रखने की जानकारी दी। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि, अगस्त माह की मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में सर्वसम्मति से रेपो रेट में कोई बदलाव न करने का फैसला लिया गया है। जिससे रेपो रेट अपनी पुरानी दर 5.50% पर बरकरार रहेगा। इसी तरह रिवर्स रेपो रेट को भी उसके पुराने स्तर 3.35 फीसदी पर ही बरकरार रखा गया है।

वहीं आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​ने जानकारी दी कि, इस वर्ष 2025-2026 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.5% रहने का अनुमान है। जो हमारे पहले के पूर्वानुमान के अनुसार जारी रहेगी। वहीं 2025-26 में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) मुद्रास्फीति अब 3.1% रहने का अनुमान है, जो पहले अनुमानित 3.7% से कम है। वहीं 2025-26 की चौथी तिमाही में मुद्रास्फीति 4% से ऊपर पहुँचने की संभावना है।

आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ​​ने कहा कि आज बदलती विश्व व्यवस्था में भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी अंतर्निहित शक्तियों का लाभ उठाते हुए उज्ज्वल संभावनाओं से भरी हुई है। वैश्विक उथल-पुथल और संघर्ष के जोखिम के बीच भारत अपने आप को गतिशील बनाए हुए है। हम भारत की आर्थिक नीतियों को और मजबूत बनाने और आगे ले जाने में लगे हुए हैं।

जून में घटाया था रेपो रेट

बता दें कि, इससे पहले जून माह में हुई मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में रेपो रेट घटाने का फैसला लिया गया था। तब रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कटौती करके इसे 6.0% से 5.50% करने का फैसला लिया गया था। जबकि इससे पहले फरवरी में हुई एमपीसी बैठक में आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती का फैसला किया था और यह घटकर 6.0% हो गया था।

इससे पहले अप्रैल में आरबीआई की ओर से 5 साल बाद रेपो रेट (ब्याज दर) में इतनी ही कटौती की गई थी। यानि आरबीआई ने रेपो रेट 0.25 प्रतिशत कम किया था। तब उस समय रेपो 6.50% से 6.25% हो गया था। आरबीआई के इस फैसले से देश के करोड़ों लोगों (खासकर मध्यम वर्ग) को बड़ी राहत मिली थी। लोग लंबे समय से रेपो रेट में कटौती का इंतजार कर रहे थे।

मालूम रहे कि, आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक हर 2 महीने में एक बार होती है। बैठक में लोन ब्याज दर, महंगाई समेत अन्य वित्तीय मामलों की समीक्षा की जाती है और इस कड़ी में बदलाव के संबंध में कुछ अहम फैसले भी लिए जाते हैं। मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग RBI गवर्नर के नेतृत्व में होती है। इस बार मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की मीटिंग 3 दिनों तक चली।

क्या होता है रेपो रेट?

आरबीआई जब बैंकों को कर्ज देता है तो रेपो रेट (RBI Repo Rate) के हिसाब से उस कर्ज पर ब्याज लेता है। वहीं जब बैंकों को आरबीआई से कर्ज महंगा पड़ता है तो वह आगे ग्राहकों को भी कर्ज महंगा देती हैं। इसलिए रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और अगर बढ़ोत्तरी हो जाती है तो आपका लोन महंगा हो जाता है।

जैसे अगर अभी आरबीआई की तरफ से रेपो रेट में बढ़ोतरी कर दी जाती तो आपकी लोन EMI पर महंगाई का बोझ बढ़ जाता। यानि आपको महीने में फिर ज्यादा ब्याज दर के साथ ईएमआई भरनी होती। जिससे आप बच गए। हालांकि, रेपो रेट में बढ़ोतरी का उन ग्राहकों को फायदा होता है जिन्होंने एफडी (FD) करा रखी है। उनकी एफडी पर ब्याज बढ़ जाता है।

रिवर्स रेपो रेट क्या होता है?

जब बैंकें अपना पैसा आरबीआई में जमा करती हैं तो आरबीआई बैंकों को रिवर्स रेपो रेट (RBI Reverse Repo Rate) के हिसाब से उस पैसे पर ब्याज देता है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें।