Gursharan Singh Naat Utsav

गुरशरण भाजी को याद करते हुए होगा नाट उत्सव का आगाज़

Gursharan Singh Naat Utsav

3 से 7 दिसंबर तक होगा, गुरशरण सिंह नाट उत्सव

चंडीगढ़, 1 दिसंबर 2022: Gursharan Singh Naat Utsav, Commencing from Dec 3

दलित समाज और महिलाओं को समर्पित होंगे नाटक 
सुचेतक रंगमंच मोहाली (Suchetak Rangmanch Mohali) हर साल की तरह इस बार भी पांच दिनों तक चलने वाला गुरशरण सिंह नाट उत्सव करने जा रहा है। 3 से 7 दिसंबर तक होने वाले इस वार्षिक नाट उत्सव (Annual Drama festival) का आयोजन पंजाब कला परिषद (Punjab Arts Council) और चंडीगढ़ संगीत नाटक अकादमी (Chandigarh Sangeet Natak Academy) के सहयोग से किया जा रहा है। इस वर्ष का नाट उत्सव जातपात का दर्द बर्दाश्त कर रहे दलित समाज (Dalits) और पुरुष प्रधान (Patriarchy) समाज की पीड़ा झेल रही महिला वर्ग (Women) की मुक्ति को समर्पित होगा। बता दें कि मरहूम  गुरशरण सिंह (Gursharan Singh) ने अपने जीवन के अंतिम वर्षों में ज्यादातर नाटक दलित समाज (Dalits) और महिलाओं की चिंताओं (Worries of Women) को लेकर ही किए थे।

गुरशरण सिंह नाट उत्सव का शुभारंभ 3 दिसंबर की शाम को छह बजे पंजाब कला भवन (Punjab Kala Bhawan) सेक्टर 16 में होगा। इस अवसर पर पंजाब कला परिषद (Punjab Arts Council) की तरफ़ से जनाब सुरजीत पातर (Surjit Patar) और लखविन्द्र जौहल (Lakhwinder Johal) शामल होंगे।

 

कला भवन में होगा सुचेतक रंगमंच द्वारा नाटकों का मंचन   
इस नाट उत्सव का आगाज़ यां पॉल सार्त्र (Jean-Paul Sartre) के नाटक 'द रेस्पेक्टेबल प्रॉस्टिट्यूट' ('The Respectable Prostitute') के पंजाबी रूपांतरण (Translation) 'कौन जाने साडी पीड' के साथ होगा। ये नाटक नस्लवाद पर केंद्रित हैं, लेकिन शब्दीश (Shabdeesh) ने इस का पंजाबी रूपांतरण भारतीय संदर्भ में जातिवाद (Castism) के दुष्परिणामों के संदर्भ में किया है। अगले दिन सुचेतक रंगमंच मोहाली का नाटक 'नटी बिनोदानी' होगा, जो 1874 में थिएटर का हिस्सा बनती है और 1896 में अपनी चुनी हुई दुनिया को हमेशा के लिए छोड़ जाती है। इस वियोग की वेदना का कारण सहायक कलाकारों का पुरुष प्रधान भाव था, जिसे नटी बिनोदानी का चेतन स्त्री मन स्वीकार नहीं कर सका। इन दोनों नाटकों का निर्देशन अनीता शब्दीश (Aneeta Sabdeesh) ने किया है।

अदाकार मंच मोहाली 5 दिसंबर को डॉ. साहिब सिंह (Dr. Sahib Singh), जो इसके लेखक और अभिनेता भी हैं, के निर्देशन में एक एकल नाटक 'लच्छू कबरिया' प्रस्तुत करेंगे। यह नाटक दलित समाज के संघर्ष की भी बात करेगा। यह गरीब किसानों को भी निजाम के खिलाफ संघर्ष में शामिल होने के लिए आमंत्रित करेगा।

अगले दिन सार्थक रंगमंच पटियाला में डा. लख्खा लहरी (Dr. Lakha Lehri) के निर्देशन में दिवंगत नाटककार अजमेर सिंह (Lt. Ajmer Singh) द्वारा रचित नाटक 'टूमाँ' का मंचन होगा। यह नाटक पंजाब के प्रसिद्ध किस्से  'किहर सिंह की मौत' से प्रेरित है, जिसमें भोले-भाले नायक की उसके लालची ससुराल वालों द्वारा हत्या कर दी जाती है।
गुरशरण सिंह नाट उत्सव के अंतिम दिन दो नाटक होंगे। इस दिन पहला नाटक सुचेतक स्कूल ऑफ एक्टिंग (Suchetak School of Acting) के अदाकारों द्वारा गुरशरण सिंह द्वारा रचित 'बेगमो की धी' होगा, जो अनीता शब्दीश के मार्गदर्शन में अभिनय सीख रहे हैं। गुरशरण सिंह नाट उत्सव का अंतिम नाटक  सुचेतक रंगमंच मोहाली द्वारा ‘दिल्ली रोड ते इक्क हादसा' होगा। यह एकल नाटक पाली भूपिंदर सिंह (Pali Bhupinder Singh) की रचना है, जिसका निर्देशन अनीता शबदीश ने किया है और इसमें भी वही कलाकार हैं।