Do not worship them even by mistake on Sunday

रविवार के दिन भूलकर भी न करें इनकी पूजा, देखें क्या है खास

Pooja

Do not worship them even by mistake on Sunday

Do not worship them even by mistake on Sunday हिंदू धर्म में बहुत से पेड़-पौधों को पूजनीय स्थान प्राप्त है। तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास माना जाता है, तो  पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान होते हैं। वैसे ही शमी का पौधा शनिदेव को समर्पित है।

सप्ताह में रविवार sunday का दिन सूर्य  देव को समर्पित है। मान्यता है कि इस दिन सूर्य देव की पूजा करने और व्रत आदि रखने से सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है. सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। इस खास दिन उनकी पूजा से भगवान की कृपा प्राप्त होती है। लेकिन क्या आप जानते हैं सप्ताह के कुछ दिन ऐसे होते हैं, जिस दिन अमूक देवी-देवता की पूजा न करने की परंपरा है। अगर आप गलती से उनकी पूजा कर भी लेते हैं तो पुण्य नहीं पाप के भागीदार बनते हैं। 

रविवार के दिन न छूएं ये पौधे

तुलसी का पौधा

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार तुलसी के पौधे में मां लक्ष्मी का वास होता है। मान्यता है कि नियमित रूप से तुलसी के पौधे की पूजा और जल देने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और भक्तों के घर में वास करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं रविवार के दिन तुलसी के पौधे को जल देने के साथ-साथ छूने की भी मनाही होती है।

मान्यता है कि रविवार और एकादशी के दिन तुलसी में जल नहीं देना चाहिए। और न ही उन्हें स्पर्श करना चाहिए। ऐसा करने से मां लक्ष्मी रुष्ठ हो जाती हैं। ऐसा माना जाता है कि रविवार और एकादशी के मां लक्ष्मी का व्रत होता है इसलिए इन्हें जल नहीं दिया जाता। 

पीपल का पेड़

ज्योतिष के मुताबिक पीपल के पेड़ में ब्रह्मा, विष्णु और महेश विराजमान होते हैं। और सूर्यास्त के बाद मां लक्ष्मी का वास होता है। लेकिन रविवार के दिन पीपल के पेड़ के नीचे जाना भी मना होता है। ऐसी धार्मिक मान्यता है कि पीपल के पेड़ पर रविवार के दिन अलक्ष्मी का वास होता है। और जो व्यक्ति पीपल के पास जाता अलक्ष्मी उसके घर मे वास कर जाती है। और व्यक्ति की आर्थिक स्थिति खराब होने लगती है।

शमी का पौधा

सूर्य देव के पुत्र शनिदेव को शनिवार का दिन समर्पित है और रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। शमी का पौधा शनिदेव को समर्पित होता है इसलिए इसकी पूजा के लिए विशेष रूप से शनिवार का दिन निर्धारित है। रविवार को छोड़कर बाकी के 6 दिन शमी के पौधे की पूजा की जा सकती है। लेकिन रविवार के दिन शमी के पौधे की पूजा करने से परहेज करें। 

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