विश्व स्वास्थ्य दिवस पर हमें यह विचार करने की आवश्यकता है, कि आखिर हम कितने स्वस्थ हैं। आज के दौरान मानव के सामने अनेक बीमारियां और स्वास्थ्य रूकावटें हैं, लेकिन सबसे बड़ी बाधा कोरोना संक्रमण हो गई है। बीते वर्ष से शुरू हुई यह बाधा अब लगातार आगे बढ़ रही है। क्या हमें अब इसके साथ ही जीना पड़ेगा? सामने आ रहा है कि कोरोना की दूसरी लहर पहली से भी ज्यादा खतरनाक है।
इस वर्ष रिकार्ड 1.15 लाख नए केस सामने आए हैं, वहीं अब 10 संक्रमितों से 14 में यह संक्रमण में फैल रहा है। बीते वर्ष कोरोना महामारी के संबंध में पूरी दुनिया अज्ञान थी, लेकिन इस वर्ष इस महामारी के संबंध में बहुत सी बातें जानने और समझने के बावजूद अगर इसका प्रसार नहीं रूक रहा है तो इसे अज्ञानता नहीं कहा जाएगा, अपितु घोर लापरवाही कहा जाएगा। हालात ऐसे हैं कि देश के छह राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेश में महामारी फिर प्रचंड रूप धारण कर चुकी है। पंजाब में कोरोना के 80 फीसदी मामले यूके वैरिएंट से संबंधित है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के हवाले से यह बात सामने आई है। वहीं हरियाणा में मौतों का आंकड़ा हर हफ्ते 57 फीसदी बढ़ रहे हैं, मार्च के पहले हफ्ते में 13 मौतें हो रही थी, जबकि अब 51 हो रही हैं।
गौरतलब है कि विशेषज्ञों की ओर से यह कहा जा रहा है कि अप्रैल के मध्य में यह लहर अपने चरम पर होगी। संभावना इसकी भी जताई जा रही है कि मई के आखिर तक संक्रमण के मामलों में गिरावट आ सकती है। हालांकि ये सभी अनुमान ही हैं, क्योंकि बीते वर्ष भी ऐसे ही अनुमान लगाए गए थे, जोकि फिर विफल ही साबित हुए। देश में राजधानी दिल्ली समेत महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़ आदि राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेश में जिस तरह से संक्रमण के नए मामले सामने आ रहे हैं, उसके बाद जहां कफ्र्यू लगाकर नियंत्रण की कोशिश हो रही है, वहीं अब लॉकडाउन की संभावनाओं पर भी विचार किया जा रहा है। चंडीगढ़ में सात माह बाद प्रशासन ने नाइट कफ्र्यू लगा दिया है। इस दौरान रेस्टोरेंट रात 10 बजे बंद हो जाएंगे। लोगों को भी इससे पहले अपने घरों में पहुंचना होगा। यह निर्णय उचित ही है, बेशक लॉकडाउन जैसे कदम उठाना बेहद भारी होगा, लेकिन इस प्रकार के उपायों के जरिए प्रशासन उन लोगों पर अंकुश लगा सकता है, जोकि कोरोना के बावजूद अपनी आजादी का जश्न मनाते फिरते हैं और कोरोना को भी बांटते दिखते हैं।
पंजाब सरकार का मानना है कि वीकएंड पर लोग एक-दूसरे के साथ ज्यादा सामाजिक भागीदारी निभा रहे हैं, इसकी वजह से कोरोना के मामलों में इजाफा हो रहा है। इसकी भी आशंका है कि कोरोना का दूसरा स्ट्रेन फैलाने में एनआरआईज की अहम भूमिका दिख रही है। गौरतलब है कि पंजाब में 2583 नए कोरोना मरीज मिले हैं। सरकार ने यह तय किया है कि प्रत्येक शहर के एंट्री पॉइंट पर नाके लगाकर प्रोटोकॉल तोडऩे वालों के चालान काटेगी। इस बीच धार्मिक आस्था पर भी कोरोना संक्रमण का साया मंडरा रहा है, अर्थव्यवस्था पर भारी पड़ रहे कोरोना संक्रमण ने हरिद्वार में कुंभ स्नान को भी मुश्किल बना दिया है। केंद्र सरकार ने राज्य सरकार को चेताया है कि यहां रोजाना 50 हजार लोग पहुंच रहे हैं, और इसकी वजह से यहां सुपर स्प्रेडर बन सकता है। अब सरकार ने तय किया है कि साधु संतों से मदद ली जाएगी। यहां हालात ऐसे हैं कि राज्य की सीमाओं पर कोरोना नेगेटिव के प्रमाण पत्र जांचे जा रहे हैं और जिनके पास ये नहीं होते, उन्हें वापस लौटा दिया जाता है।
जैसे-जैसे कोरोना संक्रमण बढ़ा है, वैसे ही वैक्सीन लगवाने के लिए लोग आगे आने लगे हैं। भारत में टीकाकरण की रफ्तार दुनिया में सबसे ज्यादा है। सिर्फ अमेरिका ऐसा है, जहां प्रतिदिन भारत से ज्यादा टीके लगाए जा रहे हैं। भारत में औसतन 26.53 लाख लोगों का टीकाकरण हो रहा है। इस समय सभी का मानना है कि बीमारी को फैलने से रोकने के लिए टीकाकरण ही एकमात्र उपाय है। हालांकि वैक्सीन लगने के बाद भी लोगों को कोरोना हो रहा है और उनकी रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। इसके चलते चिंता दोहरी हो गई है।
डॉक्टरों के मुताबिक वैक्सीन का एकबार लग जाना कोरोना से मुक्ति का प्रमाणपत्र नहीं है, इसके लगने के बाद भी पूरी सावधानी बरतना आवश्यक है। वास्तव में लोगों में कोरोना का डर पहले से बहुत कम हो गया है। वे एहतियाती उपायों का पालन नहीं कर रहे हैं। यह स्थिति तब है जब सरकार बार-बार लोगों को मास्क पहनने, हाथों को साफ करने और सामाजिक दूरी बनाए रखने की सलाह दे रही है। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा बताए गए सेफ्टी प्रोटोकॉल की अनदेखी करने से मामलों में बढ़ोतरी हो रही है।
दरअसल, वैक्सीन के बाद भी व्यक्ति के पॉजिटिव निकलने का एक कारण डोज समय पर न मिलना है। लोगों को फस्र्ट डोज तो समय पर मिल रही है, लेकिन सेकंड डोज के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ रहा है। या तो डोज देरी से मिल रही है या फिर मिल ही नहीं रही। ऐसे में जिसने पहली डोज लगवा ली है और सेकंड डोज नहीं ली है, उनमें कोरोना के लक्षण दिखाई दे रहे हैं। हालांकि टीकाकरण के बाद संक्रमण हो भी जाए, तो डरने की जरूरत नहीं है। बल्कि टीकाकरण के बाद यह संक्रमण हल्का होगा। टीकाकरण दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए ट्रांसमिशन की संभावना को भी कम करता है। विशेषज्ञों के मुताबिक वैक्सीनेशन का मतलब वायरस का अंत होना नहीं है। बल्कि टीकाकरण वायरस के खतरनाक प्रभावों के खिलाफ पूरी तरह से आपके शरीर की रक्षा करता है।
संक्रमण तो किसी भी समय हो सकता है, टीकाकरण सिर्फ उन गंभीर मामलों को दूर करने में मदद कर सकता है। जिन लोगों को टीका लगाया गया है, उन्हें वायरस को रोकने के लिए सभी दिशा निर्देशों का पालन करने की जरूरत है। आज के समय यह जरूरी हो गया है कि प्रत्येक व्यक्ति संक्रमण से बचाव के संबंध में उपाय करे और खुद को वैक्सीन जरूर लगवाए। अगर ऐसा नहीं हुआ तो कोरोना संक्रमण बरकरार रहेगा और इसी प्रकार जीवन को संकटग्रस्त रखेगा। कोरोना से बचाव ही इसका इलाज है।