साइबर सैल पुलिस ने डिजिटल अरेस्ट मामले में तीन शातिर आरोपियो को किया काबू

Cyber Cell Police Arrested three Vicious Accused
इंस्पेक्टर इरम रिजवी की टीम को फिर बड़ी कामयाबी।
रंजीत शम्मी चंडीगढ़। Cyber Cell Police Arrested three Vicious Accused: यूटी पुलिस का अहम थाना माने जाने वाले साइबर सैल पुलिस को फिर उस वक्त एक बड़ी कामयाबी मिली।जब पुलिस ने भोलेभाले लोगो को झांसे में लेकर डिजिटल अरेस्ट कर ठगी करने के मामले में तीन शातिर आरोपियो को गिरफ्तार किया है।पकड़े गए आरोपियो की पहचान 28 वर्षीय धर्मेंद्र,36 वर्षीय राम किसन सिंह उर्फ रामू और 24 वर्षीय शाकिब के रूप में हुई है। जानकारी के मुताबिक पता चला कि थाना साइबर सैल पुलिस को गुप्त सूचना और टेक्निकल तकनीक के जरिए सूचना मिली थी कि डिजिटल अरेस्ट और ठगी करने वाले आरोपी यूपी और आगरा में सक्रिय है। मामले को गंभीरता से लेते हुए और चंडीगढ़ पुलिस के आला अधिकारियों के दिशा निर्देशों के चलते थाना साइबर सैल के डीएसपी ए वेंकटेश की सुपरविजन में थाना प्रभारी इंस्पेक्टर इरम रिजवी की टीम ने आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो मामले का खुलासा हुआ। पुलिस ने तुंरत उन्हें गिरफ्तार कर लिया।
केस सारांश:
जानकारी के अनुसार सैक्टर 10 की रहने वाली पीड़िता महिला ने पुलिस को बताया कि 3 मई 2025 की सुबह पीड़िता महिला को भारतीय टेलीकॉम रेगुलेटरी ऑथोरिटी ऑफ इंडिया(टीआरएआई)से एक कॉल आई।जिसमें दावा किया गया कि उनके सिम कार्ड का दुरुपयोग किया गया है।और उनके खिलाफ़ एक एफ़आईआर दर्ज की गई।इसके तुरंत बाद विजय खन्ना नामक एक व्यक्ति ने एक व्हाट्सएप वीडियो कॉल किया।जिसने उन्हें जेट एयरवेज के सीईओ से जुड़े एक हाई-प्रोफाइल मनी लॉन्ड्रिंग मामले से संबंधित उनके नाम पर जारी किए गए दो गिरफ़्तारी वारंट के बारे में गलत जानकारी दी।कई हाई-प्रेशर वीडियो कॉल में स्कैमर्स ने फ़र्ज़ी गिरफ़्तारी वारंट दिखाए।डीआईजी सीबीआई जैसे वरिष्ठ अधिकारियों का रूप धारण किया और सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न न्यायाधीशों का रूप धारण किया।और पीड़िता महिला को गोपनीयता की शपथ लेने के लिए मजबूर किया। "उनके धन की पुष्टि" और "उनका नाम साफ़ करने" के लिए, उन्होंने उन्हें धोखा देकर उनकी जीवन भर की बचत लगभग 2.5 करोड़ कई धोखाधड़ी से संचालित बैंक खातों में जमा करवा दी।
जांच की मुख्य बातें:
भारत में अलग-अलग स्थानों से खोले गए बैंक खाते, घोटाले से जुड़े कई मोबाइल नंबर अलग-अलग राज्यों से संचालित पाए गए। केवाईसी,सीडीआर,आईपी और खाता वेरीफाई के साथ विस्तृत तकनीकी विश्लेषण किया गया। 6 जून 2025 को हाथरस और आगरा (यूपी) में छापे मारे गए। दो आरोपी हाथरस निवासी धर्मेंद्र सिंह (28 वर्ष) और आगरा निवासी राम किसन सिंह उर्फ रामू (36 वर्ष) को गिरफ्तार किया गया। उन्होंने धोखाधड़ी में इस्तेमाल के लिए जानबूझकर बैंक खाते खोले और किराए पर दिए थे।8 जून को बुधनपुर, सहारनपुर (यूपी) में एक और छापेमारी की गई। सहारनपुर निवासी एक और आरोपी साकिब (24 वर्ष) को गिरफ्तार किया गया। उसने अपने नाम से एक खाता और फर्म खोलने तथा अपने साले और सहयोगियों को 10% कमीशन के बदले में धोखाधड़ी वाले लेन-देन के लिए इसका इस्तेमाल करने की अनुमति देने की बात स्वीकार की। पूछताछ के दौरान, सभी आरोपियों ने अपनी भूमिका स्वीकार की और बताया कि अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। आगे की जांच के लिए पुलिस हिरासत की मांग की गई है। धोखाधड़ी नेटवर्क के अन्य सदस्यों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने तथा धोखाधड़ी से प्राप्त धन का पता लगाने और उसे वापस पाने के प्रयास जारी हैं।
साइबर सैल पुलिस की लोगो को एडवाइजरी
कोई भी पुलिस/सीबीआई/ईडी अधिकारी फोन/व्हाट्सएप पर पैसे या व्यक्तिगत विवरण नहीं मांगेगा। ऐसा कोई भी कॉल धोखाधड़ी है। फर्जी गिरफ्तारी वारंट या अधिकारियों को दिखाने वाले वीडियो कॉल पर भरोसा न करें। गिरफ्तारी से बचने या झूठे मामलों को निपटाने के लिए कभी भी पैसे ट्रांसफर न करें। स्थानीय पुलिस या साइबर अपराध हेल्पलाइन (1930) से संपर्क करके संदिग्ध कॉल की पुष्टि करें।