Albert Einstein Birthday Special lets know everything about the father of modern physics

Albert Einstein Birthday Special: एक महान विज्ञानिक जो पूरी दुनिया में बांट गया अपने अविष्कार, आइए जानते है उनके जीवन के कुछ दिलचस्प राज़ 

Albert Einstein Birthday Special lets know everything about the father of modern physics

Albert Einstein Birthday Special lets know everything about the father of modern physics

Albert Einstein Birthday Special: साइंस के इतिहास में आज का दिन (14 मार्च) बेहद खास माना जाता है. आज की दिन 1879 में महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंसटीन (Albert Einstein) का जन्म हुआ था। आइंसटीन ने कई आविष्कार किए जिसको लेकर उन्हें नोबल पुरस्कार (Nobel Prize) से सम्मानित किया गया था। उन्होंने स्वतंत्र रूप से पाइथागोरस प्रमेय के अपने स्वयं के मूल प्रमाण की खोज की। जब उन्होंने इसकी खोज की उस वक्त उनकी उम्र केवल 12 वर्ष थी। वहीं, जब वे 14 वर्ष के थे, तब तक उन्होंने इंटीग्रल और डिफरेंशियल कैलकुलस में महारत हासिल कर ली थी। अपने जीवनकाल में उन्होंने 150 से अधिक गैर-वैज्ञानिकों के साथ 300 से अधिक वैज्ञानिक पत्र प्रकाशित किए। आइए जानते है इस महान विज्ञानिक के जीवन की कुछ दिचस्प बातें।

अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म और शिक्षा
अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म 14 मार्च सन 1879 को जर्मनी के उल्म शहर में हुआ। किन्तु जर्मनी के म्युनिच शहर में वे बड़े हुए और इनकी शिक्षा का आरम्भ भी यही से हुआ। वे बचपन में पढ़ाई में बहुत ही कमजोर थे और उनके कुछ अध्यापकों ने उन्हें मानसिक रूप से विकलांग कहना शुरू कर दिया। 9 साल की उम्र तक वे बोलना नही जानते थे। वे प्रक्रति के नियमों, आश्चर्य की वेदना का अनुभव, कंपास की सुई की दिशा आदि में मंत्रमुग्ध रहते थे। उन्होंने 6 साल की उम्र में सारंगी बजाना शुरू किया और अपनी पूरी जिन्दगी में इसे बजाना जारी रखा।12 साल की उम्र में इन्होंने ज्यामिति की खोज की एवं उसका सजग और कुछ प्रमाण भी निकाला।16 साल की उम्र में वे गणित के कठिन से कठिन हल को बड़ी आसानी से कर लेते थे।

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विवाह और बच्चे
आइंस्टीन और मारीक ने जनवरी 1903 में शादी की। मई 1904 में, उनके बेटे हंस अल्बर्ट आइंस्टीन का जन्म बर्न, स्विट्जरलैंड में हुआ था। उनके बेटे एडुअर्ड का जन्म जुलाई 1910 में ज़्यूरिख़ में हुआ था। दंपति अप्रैल 1914 में बर्लिन चले गए, लेकिन आइंस्टीन का मुख्य रोमांटिक आकर्षण उनका पहला और दूसरा चचेरा बहन एलसा था, यह जानने के बाद कि मारीक अपने बेटों के साथ ज़्यूरिख लौट आए। उन्होंने 14 फरवरी 1919 को तलाक दे दिया, पांच साल तक अलग रहे। 20 वर्ष की आयु में एडुअर्ड का टूटना हुआ और सिज़ोफ्रेनिया का निदान किया गया। उसकी मां ने उसकी देखभाल की और वह कई समय तक शरण के लिए भी प्रतिबद्ध रही, आखिरकार उसकी मृत्यु के बाद स्थायी रूप से प्रतिबद्ध हो गई।

अल्बर्ट आइंस्टीन - विकिपीडिया

ऐसा था आइंस्टीन का दिमाग
साल 1985 में कैलिफोर्निया में थॅामस हार्वे और उनके सहयोगियों ने मिलकर आइंस्टीन के दिमाग का पहला अध्ययन प्रकाशित किया। इसमें इन्होंने दावा किया कि इनके दिमाग में न्यूरॅान्स और ग्लिया दो प्रकार की कोशिकाओं का असामान्य अनुपात था। इसके बाद आइंस्टीन के दिमाग को लेकर पांच और स्टडी प्रकाशित हुई जिसमें कहा गया कि आइंस्टीन के मस्तिष्क का अध्ययन करने से दिमाग के तंत्रिका संबंधी आधारों को उजागर करने में काफी मदद मिल सकती है। अल्बर्ट आइंस्टीन को उसकी उम्र के हिसाब से उसे मैथ्स और फिजिक्स की नॉलेज ज्यादा थी। अल्बर्ट जिसने 12 साल की उम्र में पायथागोरस ठेओरिएस का एक अपना ही प्रूफ दे डाला और चौदह साल की उम्र में इंटीग्रल कैल्कुलस में महारथ पा ली थी। 

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राजनीतिक और धार्मिक विचार
आइन्स्टाइन महात्मा गांधी से बहुत प्रभावित थे, जिनके साथ उन्होंने लिखित पत्रों का आदान-प्रदान किया। उन्होंने गांधी को "आने वाली पीढ़ियों के लिए एक रोल मॉडल" के रूप में वर्णित किया। आइंस्टीन ने मूल लेखन और साक्षात्कार की एक विस्तृत श्रृंखला में अपने आध्यात्मिक दृष्टिकोण की बात की थी। आइंस्टीन ने कहा कि उन्हें बारूक स्पिनोज़ा के दर्शन के प्रति अवैयक्तिक ईश्वरवाद के लिए सहानुभूति थी। वह एक व्यक्तिगत ईश्वर में विश्वास नहीं करता था जो खुद को मनुष्य के भाग्य और कार्यों से चिंतित करता है, एक दृश्य जिसे उसने भोले के रूप में वर्णित किया है। उन्होंने स्पष्ट किया, हालांकि, "मैं नास्तिक नहीं हूं",खुद को अज्ञेयवादी कहना पसंद करते हैं या "गहन धार्मिक अविश्वास"। यह पूछे जाने पर कि क्या वह एक पुनर्जन्म/मृत्यु के बाद का जीवन में विश्वास करते हैं, आइंस्टीन ने उत्तर दिया, "नहीं और एक जीवन मेरे लिए पर्याप्त है।"

दाह संस्कार की थी अंतिम इच्छा 
ब्रायन ब्यूरेल की पुस्तक पोस्टकार्ड्स फ्रॅाम द ब्रेन म्यूजियम के अनुसार पता चला कि आइंस्टीन चाहते थे कि जब उनका निधन हो तो उनका अंतिम संस्कार किया जाए। वो नहीं चाहते थे कि उनके शरीर और दिमाग का अध्ययन किया जाए। उनकी किताब के अनुसार वो चाहते थे कि उन्होंने पहले से ही लिख दिया था कि उनका अंतिम संस्कार किया जाए और राख को कहीं बिखेर दिया जाए। 

नोबेल पुरूस्कार
एल्बर्ट आइंस्टीन को 9 नवंबर 1922 को उन्हें 'सैद्धांतिक भौतिकी' में अपनी सेवाओं के लिए और विशेष रूप से फोटोइलेक्ट्रिक इफेक्‍ट की खोज के लिए 'फिजिक्‍स में 1921 का नोबेल पुरूस्कार दिया गया था। इसके अलावा कहा जाता है कि आइंस्टीन ने प्रिंसटन कार्यालय में एक ब्लैकबोर्ड पर लिखा था कि 'जो कुछ भी मायने रखता है उसे हमेशा गिना नहीं जा सकता है, और वह सब कुछ नहीं जो गिना जा सकता है, जरूरी नहीं वह मायने रखता हो।'

1955 में पैथोलॅाजिस्ट थॅामस हार्वे ने बिना अनुमति चुराया था दिमाग
आइंस्टीन का निधन 18 अप्रैल 1955 को प्रिंसटन अस्पताल में हुआ था। इसी दौरान पैथोलॅाजिस्ट थॅामस हार्वे ने उनका दिमाग चुरा लिया था। इसके लिए उसने उनके परिजनों से भी अनुमति नहीं ली थी। हालांकि, जब इसकी जांच हुई तो हार्वे ने कहा कि उसने इसके लिए परिजनों की अनुमति ली थी। उनके दिमाग का इस्तेमाल केवल विज्ञानिक हितों के लिए ही किया जाएगा। कहा जाता है कि आइंस्टीन के दिमाग की चोरी के चलते हार्वे का मेडिकल लाइसेंस भी निरस्त कर दिया था। मिडवेस्ट में भी उन्हें दिमाग के रिसर्च करने में रुकावट आई तो वे वेस्टन, मिसौरी चले गए और यहां पर अध्ययन किया। इसके बाद 1985 में हार्वे और उनके सहयोगियों ने मिलकर आइंस्टीन के दिमाग की एक स्टडी प्रकाशित की। जिसमें दावा किया गया कि उनके दिमाग में न्यूरॉन्स और ग्लिया (दो प्रकार की कोशिकाओं) का असामान्य अनुपात था। रिसर्च में यह भी दावा किया गया कि आइंस्टीन के दिमाग के अध्ययन से तंत्रिका संबंधी बीमारियों को उजागर करने में बहुत ही ज्यादा मदद मिल सकती है।