आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang), 24 सितंबर 2025 : आज नवरात्रि का तीसरा दिन, जानें मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए मुहूर्त

आज का पंचांग (Aaj Ka Panchang), 24 सितंबर 2025 : आज नवरात्रि का तीसरा दिन, जानें मां चंद्रघंटा की पूजा के लिए मुहूर्त

Aaj ka Panchang 24 September 2025

Aaj ka Panchang 24 September 2025

Aaj ka Panchang 24 September 2025: आज यानी 24 सितंबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि है। शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri Day 3) के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना करने का विधान है। मां चंद्रघंटा को शक्ति और साहस का प्रतीक माना गया है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां चंद्रघंटा

की पूजा करने से साधक को विशेष फल मिलता है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। इस दिन कई योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 24 September 2025) के बारे में।

तिथि: शुक्ल तृतीया

मास पूर्णिमांत: अश्विन

दिन: बुधवार

संवत्: 2082

तिथि: तृतीया पूर्ण रात्रि

योग: इन्द्र रात्रि 09 बजकर 03 मिनट तक

करण: तैतिल प्रातः 05 बजकर 56 मिनट तक

करण: गरज पूर्ण रात्रि

सूर्योदय और सूर्यास्त का समय

सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 10 मिनट पर

सूर्यास्त: शाम 06 बजकर 15 मिनट पर

चंद्रमा का उदय: सुबह 08 बजकर 13 मिनट पर

चन्द्रास्त: शाम 07 बजकर 27 मिनट पर

सूर्य राशि: कन्या

चंद्र राशि: तुला

पक्ष: शुक्ल

शुभ समय अवधि

अभिजीत मुहूर्त: कोई नहीं

अमृत काल: सुबह 09 बजकर 11 मिनट से 10 बजकर 57 मिनट तक

अशुभ समय अवधि

राहुकाल: दोपहर 12 बजकर 13 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक

गुलिकाल: सुबह 10 बजकर 42 मिनट से दोपहर 12 बजकर 13 मिनट तक

यमगण्ड: सुबह 07 बजकर 41 मिनट से प्रातः 09 बजकर 12 मिनट तक

आज का नक्षत्र

आज चंद्रदेव चित्रा नक्षत्र में रहेंगे…

चित्रा नक्षत्र- शाम 04 बजकर 16 मिनट तक

सामान्य विशेषताएं: बुद्धिमान, दृढ़ इच्छाशक्ति वाले, व्यावहारिक, संवेदनशील, सहजज्ञान युक्त, साहसी, ऊर्जावान, चिड़चिड़े, आकर्षक आकृति, मोहक नेत्र और वस्त्र-आभूषणों के शौकीन

नक्षत्र स्वामी: मंगल देव

राशि स्वामी: बुध, शुक्र

देवता: त्वष्टा (सृष्टि के देवता)

प्रतीक: रत्न

मां चंद्रघंटा का मंत्र

1. ओम देवी चन्द्रघण्टायै नमः॥

2. आह्लादकरिनी चन्द्रभूषणा हस्ते पद्मधारिणी।

घण्टा शूल हलानी देवी दुष्ट भाव विनाशिनी।।

3. या देवी सर्वभू‍तेषु मां चन्द्रघण्टा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥