सात नए इलेक्ट्रॉनिक्स प्रोजेक्ट्स को सरकार की मंजूरी, पांच हजार से अधिक लोगों को मिलेगा रोजगार

Imports In Electronics Sector

Imports In Electronics Sector

नई दिल्ली: Imports In Electronics Sector: सरकार ने इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ECMS) के तहत सात बड़े प्रोजेक्ट्स को मंजूरी दी है, जिनकी कुल लागत 5,532 करोड़ रुपये है. इनसे देश की इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए आयात पर निर्भरता कम होगी. बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा.

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि ये प्रोजेक्ट्स मल्टी-लेयर पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल, कॉपर लैमिनेट्स और पॉलीप्रोपाइलीन फिल्म्स जैसे महत्वपूर्ण कंपोनेंट्स का स्थानीय उत्पादन बढ़ाएंगे. इससे भारत में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में 38-40% मूल्यवर्धन होगा, जो चीन के बराबर है.

इन प्रोजेक्ट्स में केन्स सर्किट्स, एसआरएफ लिमिटेड, सिरमा स्ट्रैटेजिक इलेक्ट्रॉनिक्स और असेंट सर्किट्स जैसी कंपनियों ने बड़ा निवेश किया है. ये प्रोजेक्ट्स 44,406 करोड़ रुपये का उत्पादन करेंगे और 'मेक इन इंडिया' व 'आत्मनिर्भर भारत' मिशन को मजबूती देंगे. खासकर तमिलनाडु में केन्स टेक्नोलॉजी के चार प्रोजेक्ट्स से 2,480 नौकरियां पैदा होंगी. इनमें पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल और कॉपर लैमिनेट्स का उत्पादन शामिल है.

केन्स टेक्नोलॉजी के सीईओ कुमार सुब्रमण्यम ने ईटीवी भारत को बताया, "हमने एचडीआई बोर्ड, हाई-लेयर काउंट पीसीबी, कैमरा मॉड्यूल असेंबली और कॉपर क्लैड लैमिनेट के लिए चार आवेदन किए हैं. यह पहली बार है जब हम भारत में कॉपर क्लैड लैमिनेट का उत्पादन कर रहे हैं. हमारा पीसीबी प्लांट तैयार है और इस वित्तीय वर्ष के अंत तक निर्माण पूरा हो जाएगा. हमें उम्मीद है कि अप्रैल 2026 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा."

केन्स टेक्नोलॉजी के कार्यकारी उपाध्यक्ष रमेश कन्ना ने परियोजना में तेज़ी से प्रगति की पुष्टि की. उन्होंने कहा, "भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है और भवन निर्माण दिसंबर के मध्य तक पूरा हो जाना चाहिए. मशीनरी का ऑर्डर दे दिया गया है और मार्च 2026 तक उत्पादन शुरू हो जाना चाहिए." उन्होंने आगे कहा, "शुरुआत में, हम मल्टीलेयर और एचडीआई पीसीबी बनाएंगे, उसके बाद सितंबर 2026 तक लचीले पीसीबी बनाएंगे."

अंबर ग्रुप की कंपनी असेंट सर्किट्स को तमिलनाडु में 991 करोड़ रुपये के प्रोजेक्ट की मंजूरी मिली है, जिसका निर्माण सितंबर 2026 तक पूरा होगा. इसके अलावा, उत्तर प्रदेश के जेवर हवाई अड्डे के पास 3,200 करोड़ रुपये का एक और प्रोजेक्ट प्रस्तावित है.

अंबर ग्रुप के सीईओ जसबीर सिंह ने ईटीवी भारत को बताया, "हम इस मंज़ूरी के लिए इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय और भारत सरकार के आभारी हैं. प्लांट का निर्माण कार्य पहले ही शुरू हो चुका है और अगले साल सितंबर तक पूरा हो जाना चाहिए."

उन्होंने उत्तर प्रदेश में जेवर हवाई अड्डे के पास विस्तार योजनाओं का भी खुलासा किया, जहां अंबर ने उच्च-घनत्व इंटरकनेक्ट (एचडीआई) पीसीबी सुविधा के लिए 3,200 करोड़ रुपये का एक और आवेदन किया है. उन्होंने कहा, "भूमि आवंटन प्राप्त हो गया है, और ईसीएमएस की मंज़ूरी मिलते ही हम तुरंत निर्माण शुरू कर देंगे।"

इन प्रोजेक्ट्स से भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स आयात बिल हर साल 18,000-20,000 करोड़ रुपये कम होगा. देश में पीसीबी की 20%, कैमरा मॉड्यूल की 15% और कॉपर लैमिनेट की लगभग 100% जरूरतें स्थानीय स्तर पर पूरी होंगी. ये प्रोजेक्ट्स तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में शुरू होंगे, जिससे क्षेत्रीय विकास को भी बढ़ावा मिलेगा.

क्यों है महत्वपूर्ण?

  • 5,195 लोगों को मिलेगा रोजगार
  • इलेक्ट्रॉनिक्स आयात में 18,000-20,000 करोड़ रुपये की सालाना बचत
  • स्थानीय उत्पादन से आत्मनिर्भरता बढ़ेगी
  • तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश में औद्योगिक विकास

मंत्रालय के सचिव एस. कृष्णन ने कहा कि इस योजना को जबरदस्त समर्थन मिला है. 59,350 करोड़ रुपये के निवेश लक्ष्य के मुकाबले 1.15 लाख करोड़ रुपये के प्रस्ताव आए हैं. इससे देश में 1.4 लाख नई नौकरियां पैदा होंगी और 10 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का उत्पादन होगा.

2026 तक भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार 300 अरब डॉलर को पार करेगा. ये नए प्लांट्स आयात कम करने, आपूर्ति को मजबूत करने और उच्च-कौशल वाली नौकरियां पैदा करने में अहम भूमिका निभाएंगे. मंत्री वैष्णव ने कहा, 'ये प्रोजेक्ट्स आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम हैं. स्थानीय नवाचार और मजबूत नीतियों के साथ भारत जल्द ही वैश्विक इलेक्ट्रॉनिक्स आपूर्ति में अहम भूमिका निभाएगा.'