सीएम योगी ने भूजल संरक्षण को लेकर दिए निर्देश; भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग अनिवार्य, तालाबों से मिट्टी निकालने की छूट

Rainwater Harvesting is a National Need
Rainwater Harvesting is a National Need: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को नमामि गंगे एवं ग्रामीण जलापूर्ति विभाग (लघु सिंचाई) की उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की. उन्होंने कहा कि जल संकट आज हमारी सामूहिक चिंता का विषय बन चुका है. मुख्यमंत्री ने कहा कि चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप वर्षा जल को रोककर धीरे-धीरे उसे भूमि में समाहित होने देते हैं. यह केवल स्थानीय प्राथमिकता नहीं है बल्कि राष्ट्रीय आवश्यकता है. चेक डैम, तालाब और ब्लास्टकूप केवल पानी रोकने की व्यवस्था नहीं बल्कि समेकित जल प्रबन्धन है, जो बड़े बांधों की तुलना में यह काफी किफायती है.
मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि प्रदेश विभिन्न भागों स्थानीय/बरसाती नदी/ नालों में विभाग द्वारा अद्यतन 6,448 चेकडैमों का निर्माण किया जा चुका है. प्रत्येक चेकडैम से औसतन 20 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता विकसित होती है. इस प्रकार निर्मित चेकडैमों से कुल 1,28,960 हेक्टेयर अतिरिक्त सिंचन क्षमता सृजित हुई है और हर साल 10 हजार हेक्टेयर मीटर से अधिक भूजल रिचार्ज हो रहा है. उन्होंने कहा कि इन प्रयासों से अन्नदाता किसान वर्ष में दो से तीन फसल लेने में सक्षम हुए हैं.
वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के हित के लिए वर्षा जल संचयन और ग्राउंड वाटर रिचार्जिंग की दिशा में प्रदेश सरकार लगातार कदम उठा रही है. वित्तीय वर्ष 2022-23 से अब तक 1,002 चेकडैमों की डी-सिल्टिंग और मरम्मत कर उनकी क्षमता में वृद्धि की गई है. इसी तरह प्रदेश के 1 से 5 हेक्टेयर के 16,610 तालाबों में से 1,343 का पुनर्विकास और जीर्णोद्धार किया गया है, वहीं वर्ष 2017-2025 तक 6192 ब्लास्टकूप के माध्यम से 18576 हेक्टेयर सिंचन क्षमता सृजित हुई है.
रेन वाटर हार्वेस्टिंग पर विशेष बल देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में 100 वर्ग मीटर से बड़े सभी भवनों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा अनिवार्य रूप से होनी चाहिए. उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए यह कदम निर्णायक साबित होगा.
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2017 तक प्रदेश में 82 अतिदोहित और 47 क्रिटिकल क्षेत्र थे. सतत प्रयासों के परिणामस्वरूप वर्ष 2024 में यह घटकर 50 अतिदोहित और 45 क्रिटिकल क्षेत्र रह गए हैं, जो संतोषजनक है. उन्होंने कहा कि इस दिशा में और तेजी लाकर आने वाले वर्षों में इन क्षेत्रों को पूरी तरह सामान्य श्रेणी में लाने का प्रयास होना चाहिए.
नलकूपों के पानी के दुरुपयोग रोकने की वैज्ञानिक पद्धति
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को राजकीय नलकूपों के जीर्णोद्धार और आधुनिकीकरण को लेकर सिंचाई विभाग के अधिकारियों के साथ उच्चस्तरीय बैठक की. बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश के किसानों को बेहतर सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि नलकूपों से पानी के दुरुपयोग को रोकने के लिए वैज्ञानिक पद्धति अपनाई जाए और वाटर कंजर्वेशन की समुचित व्यवस्था की जाए.
मुख्यमंत्री ने सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना, बाण सागर, मध्य गंगा जैसी प्रमुख सिंचाई परियोजनाओं की समीक्षा कर उसमें कमियों को दूर करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं के सशक्त क्रियान्वयन से ग्रामीण और शहरी इलाकों में पानी की समस्याओं का समाधान सुनिश्चित होगा. मुख्यमंत्री ने तराई क्षेत्र के किसानों की समस्याओं पर विशेष ध्यान देते हुए कहा कि रिजर्व वायर को डिसिल्ट कर उसे पुनर्जीवित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक किसानों को सिंचाई की सुविधा मिल सके. साथ ही, कटान रोकने के लिए सिल्ट का उपयोग करने के निर्देश दिए.