आगरा के चर्चित पनवारी कांड पर 34 साल बाद कोर्ट ने सुनाया फैसला, 36 लोगों दोषी करार, 15 हुए बरी
Agra Panwari Kaand News
Agra Panwari Kaand News: आगरा का पनवारी कांड तो आपको याद ही होगा. अरे! वही पनवारी कांड, जिसकी वजह से आगरा में जातीय हिंसा भड़क उठी थी. पूरे शहर में 10 दिनों तक कर्फ्यू लगा था. इस घटना की आंच की तपिश में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और प्रदेश की राजधानी लखनऊ भी दहक उठे थे. खुद तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को चलकर आगरा आना पड़ा था. इसी मामले में अब आगरा की कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है. जातीय झगड़े के इस मामले में अदालत ने 100 में से 36 आरोपियों को दोषी करार दिया है. वहीं 15 लोगों को बरी किया है. मामले में 27 अन्य आरोपियों की पहले ही मौत हो चुकी है.
खबर में आगे बढ़ने से पहले जान लेते हैं कि यह पनवारी कांड है क्या. यह मामला 21 जून 1990 का है. उस दिन सिकंदरा थाना क्षेत्र के गांव पनवारी में रहने वाले चोखेलाल जाटव की बेटी मुंद्रा की बारात आई थी. दूल्हा रामदीन सदर थाना क्षेत्र के नगला पद्मा का रहने वाला था. बारात तो पनवारी पहुंच गई, लेकिन चढ़त जाटों के मुहल्ले से होनी थी. जैसे ही बारात की चढ़त शुरू हुई, जाट समुदाय के लोग अपने घरों के बाहर आ गए और चढ़त रूकवा दी. इस घटना को लेकर बड़ा बवाल हुआ. अगले दिन यानी 22 जून को पुलिस ने चढ़त कराने की कोशिश की, लेकिन जाट समुदाय के 5-6 हजार लोगों की भीड़ ने बारातियों को घेर लिया.
जला दिए गए थे जाटव परिवारों के घर
इस दौरान भीड़ को भगाने के लिए पुलिस ने बल प्रयोग किया. वहीं जाट समुदाय के लोगों ने भी जवाब के तौर पर पथराव और फायरिंग की. इस घटना में गोली लगने से सोनी राम जाट की मौत हो गई. इस पूरे घटनाक्रम का यह टर्निंग पॉइंट था. जैसे ही यह खबर फैली, पूरे आगरा में लोग सड़कों पर उतर आए. जाटव परिवारों के दर्जनों घरों में आग लगा दी गई. देखते ही देखते पूरा शहर दंगे की चपेट में आ गया. हालात को देखते हुए डीएम आगरा ने शहर में 10 दिन के लिए कर्फ्यू लगा दिया था. चूंकि मामला दलितों और सवर्णों के बीच टकराव का था, इसलिए खबर मिलते ही पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी आगरा पहुंच गए थे.
विधायक का भी आया था दंगे में नाम
तत्कालीन केंद्रीय मंत्री रामजी लाल सुमन ने बारात की चढ़त कराने पहुंचे थे. दंगा भड़कने पर तत्कालीन जिलाधिकारी आगरा अमल कुमार वर्मा और एसएसपी कर्मवीर सिंह ने शांति कायम करने के लिए लोगों के साथ बैठकें की थी. इस मामले में सिकंदरा थाना पुलिस ने 22 जून 1990 को छह हजार अज्ञात लोगों के खिलाफ बलवा, जानलेवा हमला और एसएसी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया था. इस मुकदमे में फतेहपुर सीकरी से विधायक चौधरी बाबूलाल का नाम सामने आया था.
80 के खिलाफ हुई थी चार्जशीट
स्पेशल कोर्ट के डीजीसी हेमंत दीक्षित के मुताबिक इस मामले में 80 लोगों के खिलाफ चार्जशीट हुई थी. हालांकि इनमें 27 आरोपियों की मौत हो चुकी है. इनमें जो 53 आरोपी जीवित हैं, उनमें से कोर्ट ने तथ्यों और सबूतों के आधार पर 36 लोगों को दोषी माना है. वहीं तीन आरोपियों के गैरहाजिर होने पर उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया गया है. कोर्ट ने जिन लोगों को दोषी माना है, उनमें एक आरोपी 115 साल के बुजुर्ग भी हैं.