एसआरएम यू हाइनफ्रा केंद्र स्थापित करने रणनीतिक के संभावना तलाश रहे

Strategic U Hinfra Centre
( अर्थ प्रकाश / बोम्मा रेडड्डी )
अमरावती : Strategic U Hinfra Centre: (आंध्र प्रदेश) में ग्रीन हाइड्रोजन शिखर सम्मेलन 2025 सफलता के बाद एसआरएम यूनिवर्सिटी-आंध्र प्रदेश ने एक लचीले ग्रीन हाइड्रोजन तंत्र के निर्माण में अवसरों का पता लगाने के लिए स्वच्छ ऊर्जा के क्षेत्र में वैश्विक नेताओं के साथ एक उच्च-स्तरीय रणनीतिक चर्चा का मेजबानी की।
बैठक में जेके श्रीवास्तव हिनफ्रा पीएसए लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष श्री जेके श्रीवास्तव, केआईजी, पोलैंड में हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी समिति के अध्यक्ष और हिनफ्रा पीएसए के सीईओ श्री तोमोहो उमेदा, हिनफ्रा पीएसए, पोलैंड में निदेशक सुश्री कटारजीना ज़ुमुदा और एसआरएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के कार्यकारी निदेशक - अनुसंधान कर्ता डी नारायण राव सहित विश्वविद्यालय के अन्या शोधकर्ता उपस्थित थे।
माननीय मुख्यमंत्री श्री नारा चंद्रबाबू नायडू द्वारा उद्घाटन किए गए इस शिखर सम्मेलन ने 2030 तक भारत का सबसे बड़ा ग्रीन हाइड्रोजन हब बनने के राज्य के दृष्टिकोण को स्थापित किया। घोषणा को राज्य मंत्रिमंडल द्वारा तेजी से मंजूरी दे दी गई, जिससे सरकार की तीव्र, टिकाऊ ऊर्जा परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता को बल मिला और एसआरएम विश्वविद्यालय एपी को हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों के अनुसंधान एवं विकास गतिविधियों के लिए राज्य नोडल एजेंसी के रूप में पहचाना गया।
श्री श्रीवास्तव ने आंध्र प्रदेश की सराहना की समय-सीमा के भीतर संयुक्त पायलट परियोजनाओं को शुरू करने का विश्वास व्यक्त किया। उन्होंने हाइड्रोजन से संचालित कार्बन-न्यूट्रल डेटा केंद्रों की ओर ऊर्जा परिवर्तन विकसित करने, बंद पड़े कोयला संयंत्रों में अमोनिया को सह-प्रज्वलित करने और हाइड्रोजन-संचालित गतिशीलता समाधानों के निर्माण जैसे प्रस्तावों पर भी विचार किया।
श्री तोमोहो उमेदा ने हाइड्रोजन नवाचार को समर्थन देने के लिए एक आर्थिक रूप से टिकाऊ मॉडल की आवश्यकता पर ज़ोर दिया और नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता, हरित अमोनिया उत्पादन और बाज़ार की तैयारी में भारत की अद्वितीय बढ़त पर प्रकाश डाला। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय सहयोग द्वारा समर्थित स्थानीय समाधानों के महत्व पर भी ज़ोर दिया।
एसआरएम ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के कार्यकारी निदेशक-अनुसंधान प्रोफेसर डी नारायण राव ने उच्च दबाव वाले हाइड्रोजन सिलेंडरों (टाइप IV और V) के लिए विश्व स्तरीय विनिर्माण और परीक्षण बुनियादी ढांचे को संयुक्त रूप से विकसित करने और ऑनबोर्ड इलेक्ट्रोलिसिस और उत्प्रेरक डिजाइन और विकास की संभावनाओं पर चर्चा की।
इसके अलावा, चर्चा में एसआरएम यूनिवर्सिटी-एपी और हाइनफ्रा पीएसए के बीच सहयोग के लिए ठोस क्षेत्रों की पहचान करने पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिसका साझा लक्ष्य नवीन, मापनीय और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य हाइड्रोजन प्रौद्योगिकियों का विकास करना था।
दोनों पक्षों ने विश्वविद्यालय के आगामी औद्योगिक अनुसंधान पार्क में संयुक्त अनुसंधान एवं विकास इकाई और परीक्षण सुविधाओं को स्थापित करने की योजना में गहरी रुचि व्यक्त की, जहाँ बुनियादी समस्याओं की पहचान की जा सकेगी और उन्हें क्रियान्वित समाधानों के माध्यम से हल किया जा सकेगा। विश्वविद्यालय का नेतृत्व इस साझा मिशन को गति देने के लिए अगले तीन महीनों के भीतर इस इकाई की स्थापना करने का इरादा रखता है।
एसआरएम यूनिवर्सिटी-एपी, राज्य की हरित हाइड्रोजन अनुसंधान एवं विकास (आरएंडडी) के लिए नोडल एजेंसी के रूप में, प्रमुख प्रौद्योगिकियों और विनिर्माण संरचना के सह-विकास हेतु हाइनफ्रा पीएसए लिमिटेड के साथ मिलकर काम करेगी, जिससे अनुवादात्मक अनुसंधान और औद्योगिक कार्यान्वयन को सहायता मिलेगी। यह साझेदारी हाइड्रोजन अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता, स्थिरता और वैश्विक नेतृत्व की दिशा में एक बड़ी छलांग का प्रतीक है।