RBI Repo Rate Unchanged- बैंक कर्जदारों को RBI से बड़ा झटका; लगातार छठी बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं

बैंक कर्जदारों को RBI से झटका; इस उम्मीद पर फिर गया पानी, MPC बैठक के बाद Repo Rate को लेकर गवर्नर ने की यह घोषणा

RBI Repo Rate Unchanged Governor Shaktikanta Das Anounced

RBI Repo Rate Unchanged Governor Shaktikanta Das Anounced

RBI Repo Rate Unchanged: बैंक से सस्ते लोन की उम्मीद पर एक बार फिर पानी फिर गया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार छठी बार रेपो रेट (ब्याज दर) में कोई बदलाव नहीं किया है। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Shaktikanta Das) ने वीरवार सुबह इस बारे में जानकारी दी।

गवर्नर ने बताया कि, चालू वित्त वर्ष 2023-24 की आखिरी तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक में लगातार छठी बार रेपो रेट को न बदलने का फैसला लिया गया है। बैठक में रेपो रेट को न घटाया गया और न ही बढ़ाया गया। इसलिए रेपो रेट 6.50% के अपने पुराने स्‍तर पर बरकरार रहेगा। रेपो रेट के साथ-साथ रिवर्स रेपो रेट में भी कोई बदलाव नहीं किया गया है। रिवर्स रेपो रेट को भी उसके पुराने स्तर 3.35 फीसदी पर बरकरार रखा गया है।

मालूम रहे कि, आरबीआई मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक हर 2 महीने में एक बार होती है। बैठक में लोन ब्याज दर, महंगाई समेत अन्य वित्तीय मामलों की समीक्षा की जाती है और इस कड़ी में कुछ अहम फैसले भी लिए जाते हैं। इससे पहले दिसंबर 2023 में आरबीआई एमपीसी की बैठक हुई थी। इस बैठक में भी रेपो रेट को 6.50 प्रतिशत पर बनाए रखा गया था.

रेपो रेट न बढ़ने से क्या फायदा हुआ?

रेपो रेट घटा नहीं दिया तो जाहिर सी बात है कि लोन सस्ता नहीं होगा। ज्यादा ब्याज दर के साथ लोन मिलेगा भी और ज्यादा ब्यान दर के साथ लोन चुकाना भी होगा। लेकिन रेपो रेट न बढ़ने से भी फायदा ही हुआ है। अगर रेपो रेट बढ़ जाता तो बैंक से मिलने वाला कार, होम सहित अन्य कर्ज महंगा हो जाता है। कर्ज की EMI ज्यादा ब्याज से चुकानी होती है। हालांकि रेपो रेट में बढ़ोतरी का उन ग्राहकों को फायदा होता है जिन्होंने एफडी (FD) करा रखी है। उनकी एफडी पर ब्याज बढ़ जाता है।

जीडीपी ग्रोथ अनुमान कितना?

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में जीडीपी ग्रोथ 7.3 प्रतिशत रहने का अनुमान है। वहीं, वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी 7 प्रतिशत की दर से बढ़ सकती है। जीडीपी ग्रोथ अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में 7.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.8 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 7.0 प्रतिशत और चौथी तिमाही 6.9 प्रतिशत रह सकती है। इससे पहले अक्तूबर में गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा था कि सभी कारकों को ध्यान में रखते हुए वर्तमान वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए वास्तविक GDP वृद्धि 7% अनुमानित है... जिसमें तीसरी तिमाही में 6.5% और चौथी तिमाही में 6% रहेगी। जबकि 2024-25 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर 6.7%, दूसरी तिमाही के लिए 6.5% और तीसरी तिमाही के लिए 6.4% अनुमानित है।

महंगाई दर का अनुमान कितना?

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से दिसंबर के बीच महंगाई दर 5.5 प्रतिशत अनुमानित रही है। वहीं पूरे चालू वित्त वर्ष के दौरान महंगाई दर 5.4 प्रतिशत अनुमानित है। गवर्नर ने कहा कि अगले वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई दर कम होने की संभावना है और यह 4 से 4.5 प्रतिशत पर रह सकती है। महंगाई दर वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में 5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.7 प्रतिशत रह सकती है। इससे पहले अक्तूबर में गवर्नर ने कहा कि था 2024-25 की पहली तिमाही के लिए सीपीआई मुद्रास्फीति 5.2%, दूसरी तिमाही के लिए 4% और तीसरी तिमाही के लिए 4.7% रहने का अनुमान है।

मई 2022 से 6 बार बढ़ चुका है Repo Rate

आपको बता दें कि मई 2022 से 6 बार Repo Rate बढ़ चुका है। आखिरी बार फरवरी 2023 में आरबीआई ने रेपो रेट में .25 अंक की बढ़ोतरी (Repo Rate Hike) की थी। मई 2022 से फरवरी 2023 तक 6 बार रेपो रेट बढ़ने में कुल 2.50 फीसदी की बढ़ोतरी हो चुकी है। हालांकि, आपको यह भी मालूम रहे कि, मई 2022 से पहले कोरोना महामारी के दौरान रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया था। इससे पहले आरबीआई ने रेपो रेट में कटौती भी की थी। साथ ही कई बैठकों में लगातार रेपो रेट को उसी पैमाने पर स्थिर रखा था।

क्या होता है रेपो रेट?

दरअसल, आरबीआई जब बैंकों को कर्ज देता है तो रेपो रेट (RBI Repo Rate) के हिसाब से उस कर्ज पर ब्याज लेता है। वहीं जब बैंकों को आरबीआई से कर्ज महंगा पड़ता है तो वह आगे ग्राहकों को भी कर्ज महंगा देती हैं। इसलिए रेपो रेट कम होने से मतलब है कि बैंक से मिलने वाला लोन सस्ता हो जाता है और अगर बढ़ोत्तरी हो जाती है तो आपका लोन महंगा हो जाता है।

रिवर्स रेपो रेट क्या होता है?

जब बैंकें अपना पैसा आरबीआई में जमा करती हैं तो आरबीआई बैंकों को रिवर्स रेपो रेट (RBI Reverse Repo Rate) के हिसाब से उस पैसे पर ब्याज देता है। बाजार में जब भी बहुत ज्यादा नकदी दिखाई देती है, आरबीआई रिवर्स रेपो रेट बढ़ा देता है, ताकि बैंक ज्यादा ब्याज कमाने के लिए अपनी रकम उसके पास जमा करा दें।