श्रीलंका में सरकार विरोधी-प्रदर्शनों के 100 दिन बाद फिर खुला राष्ट्रपति सचिवालय, भारी सुरक्षा बल तैनात

श्रीलंका में सरकार विरोधी-प्रदर्शनों के 100 दिन बाद फिर खुला राष्ट्रपति सचिवालय, भारी सुरक्षा बल तैनात

श्रीलंका में सरकार विरोधी-प्रदर्शनों के 100 दिन बाद फिर खुला राष्ट्रपति सचिवालय

श्रीलंका में सरकार विरोधी-प्रदर्शनों के 100 दिन बाद फिर खुला राष्ट्रपति सचिवालय, भारी सुरक्षा बल तैन

आर्थिक संकट (Economic Crisis) और प्रर्दशनकारियों (Demonstrators) से जूझ रहे श्रीलंका (Sri Lanka) में नई सरकार (Sri Lanka New government) का गठन हो गया है. इसके बाद आज राष्ट्रपति कार्यालय (Sri Lanka Presidential Office) को फिर से खोला गया है. इस दौरान सचिवालय (Secretariat) में सुरक्षाकर्मी (Security Personnel) तैनात किए गए हैं. आज से सचिवालय में कामकाज शुरू हो रहा है. कार्यालय की मरम्मत और सफाई का काम इसी हफ्ते वीकेंड में शुरू किया गया था. गाले रोड को पहले ही खोला जा चुका है.

प्रदर्शनकारी 100 दिन से ज्यादा समय तक इस जगह को बाधित किए रहे. जुलाई के शुरू में प्रदर्शनकारियों ने भवन के प्रमुख कार्यालयों पर कब्जा कर लिया था जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागना पड़ा था. करीब चार महीने तक गाले रोड पर प्रदर्शनकारी जमा थे. इनमें वे लोग भी शामिल थे जिनका रोजगार देश की आर्थिक तंगी के कारण छिन गया था. 

बता दें, श्रीलंका में भारी राजनीतिक उथल-पुथल के बाद 23 जुलाई को मंत्रीमंडल ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे की अगुवाई में पहली बार बैठक की थी. बैठक में देश में हालात सामान्य बनाने को लेकर चर्चा हुई थी. श्रीलंका में शुक्रवार को तड़के शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे लोगों को खदेड़ दिया गया था. यही नहीं, प्रदर्शनकारियों और वकीलों समेत 11 लोगों को गिरफ्तार भी किया गया, जिसके बाद नई सरकार विपक्ष और मानवाधिकार संगठनों ने निशाने पर आ गई है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय का दबाव भी श्रीलंका सरकार झेल रही है.

कर्ज से ऐसे निपटेगा श्रीलंका

नई सरकार को अगस्त तक अन्तर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष को ऋण पुनर्गठन को लेकर एक रिपोर्ट सौंपने की योजना बना रही है. रिपोर्ट में सरकार को आश्वासन देना होगा कि श्रीलंका में ऋण स्थिरता बहाल की जाएगी. सरकार को यह दिखाना होगा कि श्रीलंका अपने कर्ज को चुकाने की क्षमता के साथ धन की अपनी जरूरतों को संतुलित कर सकता है. इस मौके पर विक्रमसिंघे सरकार को जनता का समर्थन भी दिखाना पड़ सकता है. हालांकि, मीडिया रिपोर्ट्स में उनकी लोकप्रियता पर सवालिया निशान लग रहे हैं. निर्वाचन के दौरान कोलंबो में 'गो रानिल गो' के नारे लग चुके हैं.