Political crisis continues in Himachal

हिमाचल में राजनीतिक संकट बरकरार सुक्खू व विक्रमादित्य आमने सामने

Political crisis continues in Himachal

Political crisis continues in Himachal

Political crisis continues in Himachal- शिमला। हिमाचल में पिछले दिनों सुक्खू सरकार पर आया संकट फिलहाल खत्म होने का नाम नहीं ले रहे, जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने दिल्ली में हाईकमान से मुलाकात के बाद सख्त तेवर अपना लिए हैं। वहीं पर दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र के सुपुत्र विक्रमादित्य ने अपने शोसल मीडिया से कांग्रेस का टैग भी हटा चुके हैं। अब चर्चा चल रही है कि विक्रमादित्य भाजपा से मिलकर सरकार बना सकते हैं। जबकि मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू सरकार को स्थिर बनाए रखने के लिए वीरभद्र गुट को साधने की रणनीति तैयार की गई है। इसके अलावा कांग्रेस के 34 विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूरी ताकत लगाई जाएगी। 

छह अयोग्य विधायकों सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, इंद्र दत्त लखनपाल, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा और रवि ठाकुर के बारे में अब और अधिक सोच विचार नहीं करने का फैसला हुआ है। अब मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू का पूरा फोकस सरकार और संगठन की मजबूती पर है। 

इसी कड़ी में कांग्रेस सरकार को स्थिर बनाए रखने के लिए हरसंभव कदम उठाना शुरू कर दिए गए हैं। शनिवार को महाधिवक्ता कार्यालय में हुई बीस नियुक्तियां भी इसी रणनीति का परिणाम है। बीते वर्ष सरकार ने महाधिवक्ता कार्यालय में 35 नियुक्तियां की थीं। 

लंबे समय से संगठन की ओर से और नियुक्तियों की मांग उठ रही थी। अब सरकार ने 20 और अतिरिक्त महाधिवक्ता और उप महाधिवक्ता नियुक्त कर दिए हैं। किसी भी सरकार को सत्ता में पहुंचाने के लिए अहम भूमिका निभाने वाले कांगड़ा जिले में भी भरपाई का काम शुरू हो गया है। 

जिला के फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया को कैबिनेट रैंक का दर्जा देते हुए राज्य योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष नियुक्त करते हुए सरकार ने जिला को अधिमान देने का प्रयास किया। युवा विधायक भवानी सिंह पठानिया की नियुक्ति से मुख्यमंत्री ने कांगड़ा जिला की अनेदखी होने के आरोपों को दूर करने का संदेश दिया है। 

दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में पूर्व सीएम वीरभद्र के मंत्री बेटे विक्रमादित्य की सीएम सुखविंदर सुक्खू से नाराजगी खत्म नहीं हो रही। सूत्रों के मुताबिक विक्रमादित्य हिमाचल में कांग्रेस सरकार का साथ छोड़ सकते हैं। वह यहां पिता के नाम पर ‘वीरभद्र कांग्रेस’ बना सकते हैं।

विक्रमादित्य पिछले 3 दिन से दिल्ली में डटे हुए हैं। जिसके बाद वह अपने सोशल मीडिया अकाउंट से कांग्रेस का टैग भी हटा चुके हैं। उन्होंने खुद को हिमाचल का सेवक बताया है।