Digital Banking: PM Modi ने दी बड़ी सौगात, 75 जिलों को मिलीं डिजिटल बैंकिंग यूनिट

Digital Banking: PM Modi ने दी बड़ी सौगात, 75 जिलों को मिलीं डिजिटल बैंकिंग यूनिट

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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को देश के 75 जिलों में डिजिटल बैंकिंग यूनिटों (डीबीयू) की वर्चुअल शुरुआत की। इससे अब पैसा भेजने से लेकर लोन लेना तक और आसान हो जाएगा। इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि डीबीयू जीवन को आसान बनाने के अभियान में एक बड़ा कदम है। यह एक विशेष बैंकिंग व्यवस्था है जो न्यूनतम डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर से अधिकतम सेवाएं देने का काम करेगी। ये सेवाएं कागजी लिखा-पढ़ी और झंझटों से मुक्त होगी।

75 जिलों में डीबीयू शुरू करने की हुई थी घोषणा

इनमें सुविधा होगी और एक मजबूत डिजिटल सुरक्षा भी होगी। देश के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में कम से कम एक डीबीयू की शुरुआत की गई है। इनमें उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक और तमिलनाडु में चार-चार यूनिटें शुरू की गई हैं। अभी डीबीयू पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू की गई हैं और आने वाले समय में इनका विस्तार किया जाएगा। इस साल एक फरवरी को पेश बजट में 75 जिलों में डीबीयू शुरू करने की घोषणा की गई थी।

यह होगा फायदा

प्रधानमंत्री ने देश की सभी बैंक शाखाओं को कम से कम 100 व्यापारियों को जोड़कर उन्हें पूरी तरह से डिजिटल लेनदेन करने के लिए प्रेरित करने के लिए भी कहा। डीबीयू को शुरू करने के मौके पर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि डीबीयू के आरंभ होने से अब वे लोग भी डिजिटल बैंकिंग कर सकेंगे जिनके पास मोबाइल फोन या इंटरनेट सुविधा नहीं है।

छह माह के भीतर डीबीयू की तैयारी पूरी

इस मौके पर रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि सिर्फ छह माह के भीतर डीबीयू की तैयारी पूरी कर ली गई। डिजिटल बैंकिंग यूनिट अभी दो प्रकार से काम करेगी। एक तरीका होगा जहां लोग खुद ही डिजिटल बैंकिंग करेंगे। दूसरे तरीके के तहत डीबीयू में आने वाले लोगों को मदद पहुंचाने की व्यवस्था होगी।

डीबीयू में मिलेंगी ये सुविधाएं

  • डीबीयू में चौबीसों घंटे और सातों दिन पैसा जमा कर सकेंगे और निकाल सकेंगे।
  • ई-केवाईसी और वीडियो केवाईसी की सुविधा से ग्राहक डीबीयू में खाता खोलने के साथ फिक्स्ड डिपाजिट भी कर सकेंगे।
  • सरकारी स्कीमों की जानकारी और उनका लाभ ले सकेंगे।
  • डेबिट-क्रेडिट कार्ड के साथ फास्ट टैग जारी करा सकेंगे।
  • किसी भी प्रकार के बिल का भुगतान कर सकेंगे।
  • डीबीयू की मदद से खुदरा कारोबारी व एमएसएमई छोटे लोन के लिए आवेदन कर सकेंगे और उसका भुगतान भी ले सकेंगे।
  • डीबीयू से वित्तीय साक्षरता बढ़ेगी। ये सरकार के वित्तीय समावेशी कार्यक्रम को सुदूर इलाके तक पहुंचाएंगी।

किन राज्यों में कितनी यूनिटें और कहां

1. उत्तर प्रदेश (चार यूनिटें) - वाराणसी, कानपुर देहात, लखनऊ व झांसी

2. उत्तराखंड (एक यूनिट) - हरिद्वार

3. पंजाब (तीन यूनिटें) - फरीदकोट, लुधियाना, जालंधर

4. दिल्ली (एक यूनिट) - दक्षिण दिल्ली

5. हरियाणा (एक यूनिट) - फरीदाबाद

6. हिमाचल प्रदेश (एक यूनिट) - सोलन

7. जम्मू-कश्मीर (दो यूनिटें) - जम्मू, श्रीनगर

8. बिहार (एक यूनिट) - दानापुर

9. झारखंड (दो यूनिटें) - ईस्ट सिंहभूम, रांची

10. मध्य प्रदेश (दो यूनिटें) - सागर, इंदौर

फोन बैंकिंग राजनीति ने बैंकों को कर दिया था असुरक्षित : मोदी

रविवार को डिजिटल बैंकिंग यूनिटों (डीबीयू) को शुरू करने के मौके पर प्रधानमंत्री ने संप्रग सरकार की बैंकिंग प्रणाली पर तीखा कटाक्ष किया। मोदी ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में देश फोन बैंकिंग प्रणाली से डिजिटल बैंकिंग प्रणाली पर शिफ्ट हो गया है। तभी आज भारत की अर्थव्यवस्था एक निरंतरता के साथ आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 के पहले की फोन बैंकिंग लोगों को भलीभांति याद होगी जब बैंकों को ऊपर से फोन आता था और तय होता था कि बैंक कैसे काम करें। किसे लोन दें।

फोन बैंकिंग राजनीति ने बैंकों को असुक्षित कर दिया

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस फोन बैंकिंग राजनीति ने बैंकों को असुक्षित कर दिया था, गड्ढे में उतार दिया था। देश की अर्थव्यवस्था को असुरिक्षत कर दिया था। उस दौरान हजारों करोड़ के घोटालों के बीज पड़े और उसके बाद निरंतर घोटाले ही घोटाले की खबरें आया करती थीं। लेकिन अब डिजिटल बैं¨कग से सब पारदर्शी तरीके से चल रहा है। फंसे हुए कर्ज (एनपीए) की पहचान की दिशा में काम किया गया और लाखों-करोड़ों रुपये बैंकिंग प्रणाली में वापस आए।

नई स्व-संचालित व्यवस्था हो रही तैयार

लोन के लिए टेक्नोलाजी और एनालिटिक्स के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया गया ताकि एक पारदर्शी और वैज्ञानिक व्यवस्था खड़ी हो सके। प्रधानमंत्री ने कहा कि डीबीयू जैसी नई शुरुआत और फिनटेक के इनोवेटिव इस्तेमाल के जरिये अब बैंकिंग व्यवस्था के लिए एक नई स्व-संचालित व्यवस्था तैयार हो रही है। इसमें उपभोक्ताओं के लिए जितनी स्वायत्तता है, बैंकों के लिए भी उतनी ही सुविधा और पारदर्शिता है।