Mohali Consumer Court Action on Construction Company: मोहाली में कंस्ट्रक्शन कंपनी पर कोर्ट का एक्शन

मोहाली में कंस्ट्रक्शन कंपनी पर कोर्ट का एक्शन; प्लॉट बुकिंग के लाखों रूपए ले लिए, मगर पूरा नहीं किया प्रोजेक्ट, अब करना होगा यह काम

Mohali Consumer Court Action on Construction Company

Mohali Consumer Court Action on Construction Company

Mohali Consumer Court Action on Construction Company: मोहाली में जिला उपभोक्ता अदालत ने मैसर्स मनोहर इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड नाम की एक कंपनी पर भारी जुर्माना ठोका है। दरअसल, कंपनी ने एक उपभोक्ता के साथ प्लॉट की बुकिंग की थी। इस दौरान कंपनी ने उपभोक्ता से बुकिंग के लाखों रूपए भी ले लिए और बचे हुए बाकी रुपए प्रोजेक्ट पूरा होने पर लेने की बात कही। लेकिन कंपनी ने तय समय पर प्रोजेक्ट पूरा नहीं किया किया। साथ ही उपभोक्ता से और रुपयों की डिमांड कर दी सो अलग।

इधर प्रोजेक्ट पूरा न होते देख उपभोक्ता ने कंपनी को और रुपए नहीं दिए बल्कि जिला उपभोक्ता अदालत में आकर कंपनी के खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी। जहां अदालत ने भी मामले में सुनवाई करते हुए कंस्ट्रक्शन कंपनी को 12% ब्याज के साथ बुकिंग के रुपयों को उपभोक्ता को लौटाने का आदेश सुना दिया। यही नहीं अदालत ने मानसिक रूप से हुई परेशानी, शोषण और अदालती खर्च के रूप में उपभोक्ता को अलग से 50 हजार रुपये हर्जाना देने की बात कही।

पूरा मामला क्या है? विस्तार से पढ़िए

जानकारी के अनुसार, जिला उपभोक्ता अदालत में शिकायतकर्ता हरबंस सिंह और उनकी पत्नी बलजीत कौर ने बताया कि उन्होंने 2012 में मुल्लांपुर पाम गार्डन में 18,500 रुपये प्रति गज के हिसाब से 250 गज का एक प्लॉट की बुकिंग इस कंपनी के साथ की थी। बुकिंग के दौरान कुल पेमेंट की 30 प्रतिशत राशि उन्होंने कंपनी को दी। उन्होंने 13,87,500 लाख रुपए का भुगतान दो चेकों के रूप में कंपनी को किया। कंपनी ने कहा कि, बाकी के बचे रुपए अब प्रोजेक्ट पूरा होने पर और प्लॉट पर कब्जा मिलने के बाद वह लेगी।

लेकिन लगभग दो साल बाद साल 2014 में कंपनी ने एक पत्र भेजा और कहा कि, प्रोजेक्ट अंतिम चरण में है। सवा नौ लाख रुपये दिए जाएं। वहीं यह पत्र मिलने के बाद जब उन्होंने प्रोजेक्ट के संबंध में जानकारी जुटाई और कंपनी के कार्यालय में पहुंचे तो पता चला कि प्रोजेक्ट पर कोई काम नहीं हुआ है। जिसे देखते हुए उन्होंने कंपनी से कहा कि बुकिंग के वक्त उनका जो करार हुआ था। उसके मुताबिक अभी कंपनी द्वारा सवा नौ लाख रुपये मांगना सही नहीं है। क्योंकि न तो अभी प्रोजेक्ट पूरा है और न ही उन्हें प्लॉट मिला है।

शिकायतकर्ता हरबंस सिंह ने अदालत में कहा कि, सौदा होने के बाद उन्होंने कई बार प्रोजेक्ट को लेकर जानकारी ली लेकिन उन्हें कोई काम हुआ नहीं दिखाई दिया। कंपनी द्वारा भेजे गए पत्र में उनसे गलत कहा गया। इतना ही नहीं कंपनी उन्हें किसी सरकारी संस्था से मंजूर कोई साइट प्लान भी नहीं दिखा पाई। कंपनी द्वारा दिखाई गई सीएलयू भी किसी विभाग से मंजूर नहीं है। हरबंस सिंह ने अदालत के सामने मांग रखी कि प्लॉट की बुकिंग के वक्त जो रुपए उन्होंने कंपनी को दिए थे वो 18 प्रतिशत ब्याज के साथ उन्हें वापिस दिलाएं जाएं और अन्य मुआवजे के रूप में 83 हजार रुपये दिए जाएं।

कंपनी ने अपनी दलील में क्या कहा?

इधर, उपभोक्ता की शिकायत के जवाब में कंपनी ने दलील दी कि उसके द्वारा जो पत्र उपभोक्ता को भेजा गया उसका उपभोक्ता ने दो साल तक जवाब नहीं दिया। वहीं प्रोजेक्ट में देरी होने का कारण राज्य में खनन पर लगाई गई पाबंदी थी। इसके बावजूद कंपनी ने समय पर प्रोजेक्ट को पूरा करने की पूरी कोशिश की। कंपनी ने कहा रियल स्टेट में आई मंदी के चलते सौदे में कोई मुनाफा नजर नहीं आने के चलते उपभोक्ता प्लॉट में कोई रुचि नहीं रख रहा था और उसे सरेंडर करना चाहता था। इसके लिए उसे बिना किसी कटौती के उसके रुपए लौटाने की बात भी कही गई।

बतादें कि, कंपनी ने मामले में शिकायत को निरस्त करने की मांग की। लेकिन अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कंपनी पर एक्शन ले लिया। अदालत ने कंपनी को उपभोक्ता द्वारा दी गई राशि 12 प्रतिशत ब्याज के साथ 30 दिन में लौटाने के आदेश दिए। वहीं इसके अलावा मानसिक रूप से हुई परेशानी, शोषण और अदालती खर्च के रूप में पचास हजार रुपये हर्जाना भरने को भी कहा।

अदालत की दलील- कब्ज़ा मिलने से पहले पूरी राशि मांगना गलत

सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने कहा कि बुकिंग के वक्त उपभोक्ता और कंपनी में करार हुआ था कि 30 प्रतिशत राशि अभी जमा करवाने के बाद बाकी राशि कब्ज़ा मिलने के बाद जमा की जाएगी। इस करार के बावजूद कंपनी ने बिना प्रोजेक्ट पूरा किये और प्लॉट पर उपभोक्ता को कब्ज़ा दिए उससे सवा नौ लाख रुपये मांग लिए। काम पूरा होने से पहले ही कंपनी के पैसे मांगने पर उपभोक्ता का कंपनी से विश्वास उठ गया। इस बात से नाराज होकर ही उपभोक्ता ने अदालत में शिकायत दी। अदालत ने कहा कि कंपनी ने झूठे वादे करके उपभोक्ता से पैसे लेने की कोशिश की है। इसलिए यह बिल्कुल गलत है।

रिपोर्ट- निजी संवाददाता