Keeping in view the sentiments of the people

Chandigarh: लोगों की भावनाओं के मद्देनजर अपनी जीत सुनिश्चित करने हेतु भाजपा स्थानीय प्रत्याशी पर ही खेलेगी दांव

Keeping in view the sentiments of the people

Keeping in view the sentiments of the people

Keeping in view the sentiments of the people- चंडीगढ़ (वीरेन्द्र सिंह)। देश की सबसे बडी पार्टी भारतीय जनता पार्टी द्वारा आज जारी प्रत्याशियों के लिस्ट में चंडीगढ लोकसभा सीट का नाम शामिल नहीं है इस सीट के लिए पार्टी में मंथन चल रहा है। सूत्रों के अनुसार पार्टी चंडीगढ से किसी लोकल प्रत्याशी को उतारने पर गंभीरता से विचार कर रही है क्योंकि सर्वे के अनुसार चंडीगढ के लोग किसी स्थानीय उम्मीदवार की ही मांग करते नजर आ रहे है।  

चंडीगढ़ से लोकल प्रत्याशियों में संजय टंडन, अरुण सूद सत्यपाल जैन के नाम पर विचार किया जा रहा है जबकि पूर्व मेयर अनूप गुप्ता व सरबजीत कौर भी आस लगाए बैठे हैं।  ऐसी स्थिति में टिकट किसके हाथ लगती है यह तो समय ही बताएगा  फिलहाल सूत्रों से यह भी पता चला है कि भाजपा की लोकल टीम ने भी स्थानीय उम्मीदवार की पैरवी की है तथा हाई कमान से चंडीगढ़ में किसी स्थानीय नेता को ही उम्मीदवार बनाने का की अनुशंसा की है  वहीं हाई कमान यहां से किसी बड़े नेता अथवा सेलिब्रिटी के नाम पर भी मंथन कर रहा है, इनमे युवराज सिंह, कंगना रानौत, अक्षय कुमार की चर्चा है।

भाजपा के लिए चंडीगढ़ की सीट बहुत महत्वपूर्ण है  पार्टी यहां से किसी प्रकार का रिस्क लेना नहीं चाहती। पार्टी किसी द्वारा किसी दिग्गज नेता को भी टिकट दिया जा सकता है,  जो भाजपा के लिए जिताऊ साबित हो। हालांकि यह तो अभी कयास लगाये जा रहे हैं, किंतु अंतिम निर्णय दिल्ली का राष्ट्रीय हाईकमान ही लेगा। चंडीगढ़ की सीट भाजपा किसी भी स्थिति में हारना नहीं चाहेगी, ऐसे में उसका गहन चिंतन और मंथन पूरे जोर-शोर से जारी है। 

हाईकमान करेगा फैसला: मल्होत्रा

चंडीगढ़ के भाजपा अध्यक्ष जतिन्दर पाल मल्होत्रा का कहना है कि पार्टी का टिकट किसे दिया जाना है, यह तो राष्ट्रीय हाईकमान ही तय करेगा। किंतु मेरी तरफ से बराबर फीड बैक हाईकमान को भेजी जाती रही है। पार्टी के वरिष्ठ एवं स्थानीय नेताओं, संघ के कार्यकर्ताओं से भी पार्टी स्तर पर बातचीत चलती रहती है। फिलहाल चंडीगढ़ की एक मात्र संसदीय सीट ‘हॉट सीट’ मानी जाती है। यहां पर चुनावी समर में उतरने वाला हर प्रत्याशी हाईली क्वालीफाइड होता है, और उसे अपनी बौद्धिक क्षमता के साथ-साथ  स्थानीय सरकारी अधिकारियों के साथ दबाव डालकर या तालमेल बैठाकर काम करना होता है। इसलिए यह चुनाव काफी रोचक और रोमांचक हो सकता है। 

बंसल को सीट मिलना लगभग तय: सुभाष चावला

चंडीगढ़ कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष एवं शहर के दो बार मेयर रह चुके अनुभवी नेता सुभाष चावला का कहना है कि शहर की जनता बाहरी लोगों को पसंद नहीं करती है। इसलिए शहर को जो भी प्रत्याशी होगा, लोग उसी को ही प्यार और सम्मान देंगे। ऐसे में पूर्व केंद्रीय मंत्री और अनुभवी नेता पवन कुमार बंसल ही एक मात्र नेता हैं, जिन्हें शहरवासी पसंद करते हैं और उन्हें पूरी उम्मीद है कि वह इस बार का चुनाव भी अवश्य जीतेंगे। मेरी तरफ से उन्हें अग्रिम बधाई एवं शुभकामना है। लोगों ने सासंद और मंत्री के रूप में भी उनका काम देखा है और शहर के विकास के लिए उन्होंने जो भी काम किया, उसके बाद शहर का विकास अवरुद्ध सा हो गया लगता है। चावला ने कहा कि शहर की सडक़ों, अस्पतालों के अलावा मेट्रो रेल परियोजना को भी बंसल ने फाइनल करा दिया था, किंतु उसके बाद किरण खेर शहर की सांसद बनीं औरउसके बाद चूंकि केंद्र में उनकी सरकार बनी, इसलिए इस महत्वपूर्ण परियोजना का उन्होंने रुकवा दिया। हालांकि अब उन्हीं की सरकार के प्रशासन ने और केंद्र ने पुन: इस पर फाइलें दौड़ाना आरंभ कर दिया है। किंतु जब तक यह प्रोजेक्ट अंतिम रूप लेगा, तब तक शहरवासियों को इसका नुकसान उठाना पड़ेगा। उस परियोजनों को यदि रोका नहीं गया होता, तो चंडीगढ़ में अब तक मेट्रोल का परिचालन भी शुरू हो गया होता। 

चंडीगढ़ से पवन बंसल व आनंदपुर सीट से मनीष तिवारी के नाम आगे

दूसरी तरफ कांग्रेस पार्टी की तरफ से पूर्व सांसद एवं केंद्रीय मंत्री रह चुके पवन कुमार बंसल और आनंदपुर सीट से मौजूदा सांसद मनीष तिवारी के नामों को आगे किया गया है। किंतु पार्टी के कुछ वरिष्ठ एवं अनुभवी नेताओं की मानें तो इस बार चंडीगढ़ की सीट पर पवन बंसल को मिलनी लगभग तय है। 

आनंदपुर की सीट नहीं छोड़ेंगे मनीष

मनीष तिवारी के बारे में उनका कहना है कि वह भी वरिष्ठ नेता और अनुभवी सासंद हैं। किंतु आनंदपुर साहिब की संसदीय सीट वह नहीं छोडऩा चाहेंगे। हालांकि वह भी चंडीगढ़ के निवासी हैं, यहां भी उनका अपना निजी घर है। इसलिए उनका दावा करना तो समझ में आता है। किंतु चंडीगढ़ के लिए अब तक उनका कोई योगदान नहीं है। इसलिए यहां की जनता भी उन्हें स्वीकार नहीं करेगी। 

राष्ट्रीय इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को मिली है सीट

बता दें कि आम आदमी पार्टी और कांग्रेस के राष्ट्रीय गठबंधन की तरफ से चंडीगढ़ की संसदीय सीट कांग्रेस को मिली है। इसलिए अब चुनावी समर भी कांग्रेस बनाम भारतीय जनता पार्टी के बीच सीधे तौर पर होना तय है। निर्दलीयों को शहरवासी वैसे भी नापसंद करते हैं।