पंचनद शोध संस्थान अध्ययन केंद्र फरीदाबाद द्वारा मासिक संगोष्ठी का आयोजन

Panchnad Research Institute Study Center Faridabad

Panchnad Research Institute Study Center Faridabad

पड़ोस का वातावरण एवं आपातकाल पर चिंता से अधिक चिंतन का विषय  

- सांस्कृतिक पहल से अखंड भारत की परिकल्पना की है : श्रीकृष्ण सिंघल
- बौद्धिक योद्धा तैयार करना ही पंचनद का उद्देश्य: प्रो. बृजकिशोर कुठियाला
- मैं भारत का और भारत मेरा है : डॉ. रुचिरा खुल्लर

 फरीदाबाद। दयाराम वशिष्ठ: Panchnad Research Institute Study Center Faridabad: वर्तमान समय में पड़ौसी देश का माहौल एवं आज आपातकाल का दिन चिंता से अधिक चिंतन का विषय हैं। हमे अपने अतीत से सबक लेकर वर्तमान को जीना होगा तभी भविष्य निश्चित हो पाएगा। भारत के पड़ौसी देशों में व्याप्त अस्थिरता एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है। हम सभी को राष्ट्र सर्वोपरि का भाव रखते हुए इसके समाधान के लिए रणनीति बनानी होगी। आपातकाल भारतीय लोकतांत्रिक इतिहास का सबसे काला अध्याय है, जिसकी विभीषिका को राष्ट्र कभी नहीं भुला सकता है।  

नेहरू कॉलेज के कॉन्फ्रेंस हॉल में पंचनद शोध संस्थान अध्ययन केंद्र फरीदाबाद द्वारा एक संगोष्ठी 'पडोसी देशों के परिपेक्ष्य में भारत के लिए बढ़ती चुनौतियां एवं समाधान' विषय पर आयोजित की गई। जिसमें मुख्यवक्ता के रूप में भारत सेवा प्रतिष्ठान के चेयरमैन श्री कृष्ण सिंघल, पंचनद शोध संस्थान एवं प्रज्ञा प्रवाह के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो.बृज किशोर कुठियाला विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। नेहरू कॉलेज प्राचार्य डॉ. रुचिरा खुल्लर ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और मंच संचालन डॉ.जोरावर सिंह ने किया। कार्यक्रम के सूत्रधार की भूमिका प्रो.आशुतोष निगम ने निभाई। कार्यक्रम में पंचनद शोध संस्थान अध्ययन केंद्र की जिला अध्यक्ष शिक्षाविद डॉ.सविता भगत ने संस्थान की गतिविधियों  के बारे में संक्षेप में  उल्लेख किया। इस अवसर पर जेसी बोस विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रो. सुशील कुमार तोमर, डॉ. सुनील कुमार गर्ग, प्रो.अरविंद गुप्ता, प्रोफेसर पवन सिंह, प्रो.वासुदेव मल्होत्रा, डॉ.अरुण भगत, डॉ. रमेश अग्रवाल, अरुण वालिया, अधिवक्ता दीपक ठुकराल, शोधार्थी, कॉलेज विद्यार्थी एवं अन्य सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि काफी संख्या में उपस्थित रहे।

मुख्य वक्ता श्री कृष्ण सिंघल ने अपने उद्बोधन में भारत देश के सभी पड़ौसी देश भूटान,चीन, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश, अफगानिस्तान, पाकिस्तान की तमाम तरह की गतिविधियों, अस्थिरता का तथ्यों के आधार पर उल्लेख किया। पड़ोस देश की अस्थिरता का हमारे राष्ट्र पर पड़ने वाले सभी अनुकूल-प्रतिकूल प्रभावों की चर्चा की। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि जिस दिन भारत की पचास प्रतिशत महिला आबादी कामकाजी हो जाएगी उस दिन भारत दुनिया का सर्वोच्च आर्थिक शक्ति संपन्न देश बन जाएगा। हमने सांस्कृतिक पहल से अखंड भारत की परिकल्पना की है। उन्होंने आपातकाल का स्मरण करते हुए कहा कि लोकतंत्र में कभी न भुलाए जाने वाली तारीख 25 जून जो याद दिलाती है किस तरह 50 साल पहले 1975 में आपातकाल की वो स्याह रात जब कुचल दिया गया था मौलिक अधिकारों को और मुँह पर लगा दिया गया था ताला। हजारों निर्दोष लोगो को उठा कर जेलों में ठूंस दिया गया था, सैकड़ों विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं को कई महीनों, सालों जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ा था।

प्रो. बृज किशोर कुठियाला ने संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज नैरेटिव की लड़ाई है। जिसके लिए हमे राजनैतिक, शैक्षणिक एवं समाज के हर क्षेत्र में नजर रखने की जरुरत है। उसके लिए बौद्धिक योद्धाओं की आवश्यकता है। ऐसे बौद्धिक योद्धा तैयार करना ही पंचनद शोध संस्थान का उद्देश्य है।
 
नेहरू कॉलेज प्राचार्य डॉ. रुचिरा खुल्लर ने अपने संबोधन में एक शेर...मैं भारत का और भारत मेरा है की पंक्ति सुना कर सभी में जोश भर दिया। संगोष्ठी के समापन पर प्रो. आशुतोष निगम ने इस सफल आयोजन के लिए प्रत्यक्ष एवं परोक्ष रूप से सहयोग करने वाले सभी का धन्यवाद व्यक्त किया।  राष्ट्रगान के उपरांत कार्यक्रम का समापन हुआ।