G-20 meeting

Editorial: जी-20 बैठकों से खुलेंगे वैश्विक खुशहाली के नए रास्ते

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G-20 meeting

G-20 meeting भारत की अध्यक्षता में जी-20 देशों के पहले अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संरचना कार्य समूह की बैठक में सदस्य देशों की यह राय भारत के संबंध में अहम है कि भारत हार्ड ही नहीं, साफ्ट ग्लोबल पावर हाउस भी है। बीते कुछ समय के दौरान ही दुनिया का दृष्टिकोण भारत के संबंध में 360 डिग्री तक बदल चुका है और इसी का नतीजा है कि आज विश्व के ताकतवर देश इस प्रकार की राय जाहिर कर रहे हैं। चंडीगढ़ में दो दिवसीय बैठक के दौरान साउथ कोरिया के प्रतिनिधि ने यह बात कही। आज के समय में अर्थव्यवस्था में प्रत्येक वह सेवा और वस्तु अपनी अहम भूमिका अदा करती है, जिसकी कोई कीमत हो।

भारत पर्यटन, खाद्यान्न, वस्त्रों, धातु, आभूषण और तमाम अन्य सेवाओं एवं वस्तुओं के रूप मेें ऐसी धरोहर रखता है, जिसका उपयोग अपनी आर्थिकी को मजबूत करने के लिए कर सकता है। जी-20 G-20 की बैठकों का आयोजन भारत में होना अपने आप में गौरवान्वित करने वाली बात है, लेकिन इन बैठकों के जरिये देश ने जैसा प्रारूप दुनिया के समक्ष रखने की योजना बनाई है, वह भी काबिले तारीफ है।

 प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी Prime Minister Narendra Modi का यह दृष्टिकोण है कि जी-20 की बैठकों में ज्यादातर राज्यों को शामिल किया जाए। यही वजह है कि ये बैठकें पूरे देश में 50 से अधिक जगह पर हो रही हैं। इन बैठकों का एक उद्देश्य साफ है कि विश्वभर के प्रतिनिधि भारत आकर देश के कोने-कोने का दर्शन करें, इससे पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसी माध्यम से देश की साझी विरासत, संस्कृति और खासियत विश्व के सामने आएगी। गौरतलब है कि साउथ कोरिया दुनिया के लिए प्रमुख बिजनेस डेस्टिनेशन है, इस बैठक के जरिए साउथ कोरिया के प्रतिनिधि ब्युंगसिक जुंग ने जी-20 देशों, आमंत्रित देशों, विश्व बैंक, अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के प्रतिनिधियों के सामने भारत को खास तौर पर परिभाषित किया।

इस बैठक में स्वीकार किया गया कि पूरा विश्व इन दिनों चुनौतियों का सामना कर रहा है। वैश्विक ऋण और जलवायु परिवर्तन जैसी मुश्किलें पूरे विश्व के सामने हैं। इन चुनौतियों से भारत भी जूझ रहा है, लेकिन चाहे वह कोरोना काल हो या फिर पर्यावरण संबंधी मुश्किलें, उसने यथोचित तरीके से खुद को इन चुनौतियों के पार ले जाने का प्रयास किया है। भारत ने जी-20 G-20 सम्मेलन के लिए जो लोगो तैयार किया है, वह बताता है कि किस प्रकार वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा पर वह आगे बढ़ रहा है। पूरा विश्व उसके लिए एक परिवार की भांति है, ऐसे में उसके प्रयास पूरी धरती के कल्याण के हैं। इस बात को सदस्य देशों ने बखूबी समझा और स्वीकार किया है, तभी यह बात कही गई है कि भारत में इन बैठकों के आयोजन से निश्चित रूप से सुखद परिणाम सामने आएंगे।

गौरतलब है कि चंडीगढ़ में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्री पशुपति कुमार पारस ने हिस्सा लिया। यह दोनों ही विभाग किसी देश की अर्थव्यवस्था country economy के आधार होते हैं। भारत में बीते कुछ समय के दौरान कृषि को लेकर नए अनुसंधान शुरू हुए हैं और अब पैदावार बंपर होने लगी है। केंद्र सरकार की ओर से खेती को मार्केट से जोडऩे के लिए कृषि कानून बनाए गए थे, लेकिन उन्हें किसानों की स्वीकृति नहीं मिली। हालांकि यह बहस अभी जारी है कि किसानों की आय को और कैसे बढ़ाया जाए। जाहिर है, पूरे विश्व में कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है।

भारत में छोटी जोत से लेकर अनेक एकड़ की कृषि भूमि के किसान हैं। अब केंद्र सरकार की योजना फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गनाइजेशन बनाने की है। इसका मकसद 85 फीसदी छोटे किसानों को तकनीक एवं उपकरण जैसी दिक्कतों को दूर करना है। यह कुछ ऐसा ही है कि अकेले न करके समूह में खेती होगी। एक एकड़ की तुलना में अगर कई एकड़ कृषि भूमि के मालिक साथ मिलकर चलेंगे तो उनका लाभांश भी बढ़ेगा। ऐसे में साझा रूप से उपकरण और तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकेगा।  वास्तव में जी-20 G-20 देशों की बैठक का अभिप्राय यही है कि किस प्रकार योजनाओं को साझा करके उनका फायदा प्रत्येक नागरिक तक पहुंचाया जाए।

इस बैठक में यह सामने आया है कि सबसे असुरक्षित व कम आय वाले विकासशील देशों को सहायता प्रदान करने में इस समूह का योगदान और बढ़े। वहीं ऋण की बढ़ती असुरक्षा दूर करने के लिए उपाय करने होंगे। इन बैठकों में इसका भी निर्णय होगा कि वैश्विक और वित्तीय शासन को कैसे फिर से डिजाइन किया जाए जिससे वैश्विक अभाव और असमानता दूर हो सके। वास्तव में जी-20 की बैठकों से नए रास्ते सामने आएंगे, हालांकि यह जरूरी है कि विश्व में आतंकवाद, युद्ध जैसी स्थितियों की रोकथाम के लिए इन बैठकों में राय बने। अगर ऐसा हुआ तो बाकी समस्याओं का समाधान आसान होगा।

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