बिकरू कांड में 22 माह बाद पुलिस की बड़ी कार्रवाई, विकास दुबे के मददगार एसओ और हलका प्रभारी बर्खास्त

बिकरू कांड में 22 माह बाद पुलिस की बड़ी कार्रवाई, विकास दुबे के मददगार एसओ और हलका प्रभारी बर्खास्त

बिकरू कांड में 22 माह बाद पुलिस की बड़ी कार्रवाई

बिकरू कांड में 22 माह बाद पुलिस की बड़ी कार्रवाई, विकास दुबे के मददगार एसओ और हलका प्रभारी बर्खास्त

कानपुर: उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित बिकरू कांड मामले में चौबेपुर थाना के पूर्व एसओ विनय तिवारी और चौकी इंचार्ज केके सिंह को बर्खास्त कर दिया गया है. विभागीय जांच में दोनों पर आरोप सिद्ध होने के बाद आईजी प्रशांत कुमार ने बर्खास्तगी की कार्रवाई की है. इसकी पुष्टि पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना ने गुरुवार को की है.

पुलिस आयुक्त विजय सिंह मीना ने बताया कि पूर्व एसओ विनय तिवारी और चौकी इंचार्ज केके सिंह को बर्खास्त किया गया है. उन्होंने बताया कि धारा 14- ए के तहत 21 अन्य आरोपियों पर भी कार्रवाई की तैयारी है. बता दें कि कानपुर पुलिस ने पूर्व एसओ विनय तिवारी और बिकरू इलाके के बीट प्रभारी केके सिंह को मुठभेड़ से पहले की सूचना हिस्ट्रीशीटर बदमाश विकास दुबे को लीक करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था. पुलिस और विकास दुबे के साथ हुई मुठभेड़ के बाद से ही संदेह के दायरे में आए तिवारी से पुलिस और एसटीएफ की टीम ने गहन पूछताछ की थी. उसके बाद तिवारी और शर्मा को निलंबित कर दिया गया था.

बिकरू कांड में हुई कार्रवाई के बारे में बताते अधिकारी.

विनय तिवारी लगभग एक साल पहले चंदौली से कानपुर आया था और यहां पर स्वाट टीम में था. जिसके बाद इसे पहला चार्ज चौबेपुर का मिला. विनय तिवारी कानपुर में कहीं चौकी इंचार्ज तक नहीं रहा, लेकिन अधिकारियों की साठ-गांठ से पहला चार्ज चौबेपुर का मिला. यही नहीं विनय तिवारी इकलौता ऐसा दरोगा है जो सबसे ज्यादा समय तक चौबेपुर में तैनात रहा. इसके पीछे मुठभेड़ में मारे गए विकास दुबे का ही हाथ बताया जाता है. विकास का खास होने के कारण ही ये इतने दिन से चार्ज पर था और शिकायत के बाद भी नहीं हटाया गया.

2 जुलाई 2020 को कानपुर में बहुचर्चित बिकरू कांड हुआ था, जिसमें विकास दुबे और उसके गुर्गों ने दबिश पर गांव पहुंची पुलिस टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी. इस मुठभेड़ में 8 पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे. इस घटना ने कानून व्यवस्था को हिलाकर रख दिया था. इसके बाद पुलिस ने विकास दुबे के कई साथियों को एनकाउंटर में मार गिराया था, जबकि खुद विकास फरार हो गया था. पुलिस ने कुछ दिनों बाद उसे मध्य प्रदेश के उज्जैन में पकड़ा था. हालांकि, यूपी लाने के दौरान रास्ते में कथित रूप से फरार होने के दौरान पुलिस की गोलियों से उसकी मौत हो गई थी.