बिना सिम नहीं चलेगा WhatsApp–Telegram जैसा कोई एप, सरकार की ओर से मिली बस 90 दिन की मोहलत

New Telecom Guideline

New Telecom Guideline

नई दिल्ली: New Telecom Guideline: केंद्र सरकार ने लोकप्रिय मैसेजिंग एप्स के उपयोग के तरीके में बड़ा बदलाव किया है. दूरसंचार विभाग (डीओटी) ने वाट्सएप, टेलिग्राम, सिग्नल, स्नैपचैट, शेयरचैट, जियोचैट, अरात्ताई और जोश जैसी सेवाओं के लिए नई शर्तें लागू की हैं. अब ये ऐप्स केवल उसी स्थिति में काम करेंगी, जब उपयोगकर्ता के डिवाइस में सक्रिय SIM कार्ड मौजूद हो.

सरकार ने कहा है कि ये आदेश तत्काल प्रभाव से लागू होंगे. कंपनियों को 90 दिनों के भीतर यह व्यवस्था लागू करनी होगी और 120 दिनों के अंदर इसकी अनुपालन रिपोर्ट दूरसंचार विभाग को देनी होगी. यह आदेश दूरसंचार साइबर सुरक्षा (संशोधन) नियम, 2025 के तहत जारी किया गया है, जिससे पहली बार ऐप-आधारित दूरसंचार सेवाओं को सख्त नियामक ढांचे में शामिल किया गया है.

90 दिनों में लागू होगी नई व्यवस्था

डीओटी ने स्पष्ट किया कि निर्देशों के 90 दिनों के भीतर सभी एप्स को सुनिश्चित करना होगा कि ऐप का उपयोग केवल उसी सक्रिय SIM कार्ड के साथ किया जा सके, जिसका मोबाइल नंबर उपयोगकर्ता की पहचान के लिए इस्तेमाल किया गया है. इसके बिना ऐप का इस्तेमाल असंभव हो जाएगा.

वेब उपयोगकर्ताओं के लिए सख्त नियम

नए नियमों के तहत, ऐप के वेब संस्करण को हर 6 घंटे में स्वत: लॉग-आउट करना अनिवार्य होगा. उपयोगकर्ता को पुनः लॉग-इन करने के लिए QR कोड के माध्यम से डिवाइस दोबारा लिंक करना होगा.

साइबर धोखाधड़ी रोकने के लिए यह कदम

डीओटी ने चेताया कि बिना SIM के ऐप चलने की सुविधा का दुरुपयोग विदेशों से किए जाने वाले साइबर अपराधों में बढ़ रहा है. इससे दूरसंचार सुरक्षा ढांचे पर असर पड़ता है. विभाग ने कहा कि दूरसंचार पहचानकर्ता के गलत इस्तेमाल को रोकने और टेलीकॉम इकोसिस्टम की अखंडता और सुरक्षा बनाए रखने के लिए यह निर्देश जरूरी हैं.

नियम लागू करने की आवश्यकता

सेल्युलर आपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) ने पहले ही संकेत दिया था कि ऐप्स का SIM से स्वतंत्र रूप से काम करना सुरक्षा जोखिम पैदा करता है. साइबर अपराधी, विशेषकर विदेशों से संचालित गिरोह, SIM निष्क्रिय होने या बदलने के बाद भी इन ऐप्स के जरिए धोखाधड़ी कर सकते हैं.

सीओएआई के अनुसार, अनिवार्य SIM-बाइंडिंग से उपयोगकर्ता, फोन नंबर और डिवाइस के बीच विश्वसनीय लिंक बनेगा, जिससे स्पैम कॉल, फ्रॉड कॉल और वित्तीय धोखाधड़ी पर रोक लग सकेगी.

इस नए नियम के लागू होने के बाद उपयोगकर्ताओं के लिए सुरक्षा बढ़ेगी, लेकिन उन लोगों को थोड़ा असुविधा भी हो सकती है जो एक नंबर का उपयोग कई डिवाइस पर करते थे.