चुनावी बॉन्ड पर सुप्रीम कोर्ट का कड़ा आदेश; SBI से कहा- कुछ भी छिपाया न जाए, बॉन्ड के नंबर समेत पूरी डिटेल चुनाव आयोग को दी जाए
Supreme Court SBI Electoral Bond News Update
Electoral Bond Update: चुनावी बॉन्ड को लेकर आज सोमवार को एक बार फिर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से चुनावी बॉन्ड संबन्धित पूरी डिटेल चुनाव आयोग को सौंपने को लेकर सवाल किए। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई से कड़े अंदाज में कहा कि चुनावी बॉन्ड के संबंध में कोई भी जानकारी छिपाई न जाए। एसबीआई सिलेक्टिव जानकारी न दे।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, एसबीआई के पास चुनावी बॉन्ड के संबंध में जो कुछ भी जानकारी है, बॉन्ड के एल्फा-न्यूमेरिक या सीरियल नंबर समेत वो पूरी जानकारी चुनाव आयोग को दी जाए। चुनावी बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी का खुलासा होना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि, हमने पहले ही अपने आदेश में कहा था कि, एसबीआई को उसके पास मौजूद चुनावी बॉन्ड की हर जानकारी देनी आवश्यक होगी, लेकिन एसबीआई ने ऐसा नहीं किया। इसलिए इसमें कोई संदेह नहीं है और सुप्रीम कोर्ट द्वारा यह फिर से स्पष्ट किया जाता है कि एसबीआई को अप्रैल 2019 से लेकर 15 फरवरी 2024 तक भुनाए गए चुनावी बॉन्ड की हर जानकारी देनी ही होगी। चुनावी बॉन्ड में जो कुछ भी शामिल हो, एसबीआई वो सब जारी करे और चुनाव आयोग को दे।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च तक हलफनामा मांगा
सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर एसबीआई ने कहा कि हमारे पास सभी ज़रूरी नंबर और बॉन्ड से जुड़ी हर जानकारी है, हम वो डेटा आपको दे सकते हैं लेकिन हमने इस विषय में ग़लत समझ लिया था, हमें लगा की बॉन्ड के नंबर साझा नहीं करने हैं। फिलहाल सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई चेयरमैन से 21 मार्च शाम 5 बजे तक हलफनामा दायर करने को कहा है। ताकि भविष्य में किसी विवाद की गुज़ाइश को खत्म को किया जा सके।
दरअसल कोर्ट में दायर हलफनामे में एसबीआई द्वारा यह बताया जाएगा कि उसके पास से चुनावी बॉन्ड संबन्धित पूरी डिटेल चुनाव आयोग को सौंप दी गई है। एसबीआई द्वारा कोई जानकारी छिपाई नहीं गई है। वहीं एसबीआई से मिली पूरी जानकारी को चुनाव आयोग भी तत्काल अपने पोर्टल पर अपलोड करेगा और उसे सार्वजनिक करेगा।
चुनावी बॉन्ड मिलता कैसे था?
चुनावी बॉन्ड इस्कीम दानदाताओं को भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से बॉन्ड खरीदने के बाद गुमनाम रूप से किसी राजनीतिक दल को पैसे भेजने की अनुमति देती थी.कोई भी भारतीय नागरिक, कंपनी या संस्थान चुनावी बॉन्ड खरीद सकता था। इसके लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की तय ब्रांच से बॉन्ड खरीदा जाता था. चुनावी बांड 1,000 रुपये, 10,000 रुपये, 1 लाख रुपये, 10 लाख, और 1 करोड़ रुपये के रूप में जारी किए जाते थे। किसी व्यक्ति या कंपनी की तरफ से खरीदे जाने वाले चुनावी बांड की संख्या पर कोई सीमा नहीं थी।
चुनावी बॉन्ड योजना क्यों लाई थी केंद्र सरकार?
केंद्र सरकार के मुताबिक, 'चुनावी बॉन्ड के जरिए ब्लैक मनी पर अंकुश लगेगा और चुनाव में चंदे के तौर पर दिए जाने वाली रकम का हिसाब-किताब रखा जा सकेगा। इससे चुनावी फंडिंग में सुधार होगा। केंद्र सरकार ने अपने जवाबी हलफनामे में कहा था कि चुनावी बांड योजना पारदर्शी है। बता दें कि जो भी रजिस्टर्ड पार्टी है उसे यह बॉन्ड मिलता था. लेकिन इसके लिए शर्त रखी गई थी कि जिस पार्टी को पिछले आम चुनाव में कम-से-कम एक फीसदी या उससे ज्यादा वोट मिले हों। ऐसी ही रजिस्टर्ड पार्टी इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए चंदा पाने का हकदार होगी।