तिल का तेल एलडीएल कोलेस्ट्रॉल और ट्राईग्लाइसेराइड्स को कम करने में भी मदद करता है.
तिल के तेल का इस्तेमाल एंटी-इन्फ्लेमेटरी मेडिसिन के तौर पर होता रहा है. जोड़ों का दर्द, दांतों के दर्द, कट या प्रीमैन्स्ट्रुअल क्रैम्प्स में इसका इस्तेमाल किया जाता है
डायबिटीज के मरीजों के लिए तिल का तेल रामबाण होता है. यह ब्लड शुगर लेवल को रेगुलेट करने में मदद कर सकता है.
तिल का तेल काफी असरदार हो सकता है. इसके इस्तेमाल से तनाव और डिप्रेशन जैसी समस्याओं से छुटकारा मिल सकता है. इससे स्ट्रेस और डिप्रेशन से बाहर निकले में मदद मिल सकती है.
तिल के तेल में पाया जाने वाला एंटीऑक्सीडेंट्स स्किन को यूवी डैमेज से बचाने में मददगार होता है.
दिल की सेहत से लेकर डायबिटीज को कंट्रोल करने में तिल का तेल काफी फायदेमंद होता है.
तिल और तिल के तेल में मौजूद पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड और फेनोलिक फाइटोकेमिकल्स, एनिमिया से बचाव कर सकते हैं।
तिल का तेल मधुमेह नेत्र रोग यानी डायबिटिक रेटिनोपैथी (रेटिना में सूजन) से जुड़े जोखिम को कम कर सकता है।
तिल के तेल में मौजूद लिग्नैन्स एंटीइंफ्लेमेटरी प्रभाव प्रदर्शित करते हैं। इसके कारण यह शरीर में होने वाली इंफ्लेमेशन और इससे संबंधी बीमारियां जैसे अर्थराइटिस को कम कर सकता है।