Kisan Andolan : नए कृषि कानूनों को लेकर किसान आंदोलन अपनी चरम सीमा पर है| किसानों का कहना है कि घर तभी जायेंगे जब नए कृषि कानून रद्द हो जायेंगें| फ़िलहाल इस सबके बीच केंद्र सरकार किसानों को हर प्रकार से यह समझाने की कोशिश कर रही है कि नए कृषि कानूनों से उन्हें कोई नुकसान नहीं होने वाला| मसलन जहां केंद्र सरकार नए कृषि कानूनों को वापस लेने में पीछे हटती हुई नजर आ रही है वहीँ नए कृषि कानूनों को रद्द करने को लेकर किसान आंदोलन (Kisan Andolan) बढ़ता जा रहा है| बतादें कि अबतक किसानों और सरकार के बीच 9 बार बातचीत हो चुकी है लेकिन मसला ज्यों का त्यों बना हुआ है| आज किसानों और सरकार के बीच 9वें दौर की बातचीत थी मगर इस बीतचीत में कोई परिणाम सामने नहीं आया| मामला वैसा का वैसा ही रहा| अब अगली बैठक यानि 10वें दौर की वार्ता 19 जनवरी को 12 बजे फाइनल हुई है| अब देखना ये है कि इस वार्ता से क्या निकलकर सामने आता है|
9वें दौर की बातचीत के बाद किसानों ने कहा कि वह सरकार से ही बात करेंगें| सुप्रीम कोर्ट की बनाई कमेटी से वह बात नहीं करेंगें| उनके पास 2 ही बिंदु है। कृषि के 3 कानून वापस हो और MSP पर बात हो। जिसपर हम सरकार से ही बात करेंगे| वहीँ केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि किसान यूनियन के साथ 9वें दौर की वार्ता समाप्त हुई। तीनों क़ानूनों पर चर्चा हुई। आवश्यक वस्तु अधिनियम पर विस्तार से चर्चा हुई। उनकी शंकाओं के समाधान की कोशिश की गई। यूनियन और सरकार ने तय किया की 19 जनवरी को 12 बजे फिर से चर्चा होगी| वहीँ सुप्रीम कोर्ट के प्रति हम सभी की प्रतिबद्धता है और आने वाले कल में भी रहेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले का भारत सरकार स्वागत करती है| इसलिए सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है जब वो कमेटी भारत सरकार को बुलाएगी तब हम उस कमेटी के समक्ष अपना पक्ष रखेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है वो भी समाधान ढूंढने के लिए है|
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि हमने किसान यूनियन से कहा है कि अपने बीच में अनौपचारिक समूह बना लें, जो लोग ठीक तरह से क़ानूनों पर चर्चा कर एक मसौदा बनाकर सरकार को दें। हम उस पर खुले मन से विचार करने के लिए तैयार हैं|