इन दिनों देश में नए कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहा किसान आंदोलन सियासत को घमासान की आंच दे रहा है| दरअसल, किसान आंदोलन को लेकर सियासत गर्मा उठी है और सियासी चेहरे बिफरे फिर रहे हैं| हरियाणा की सियासत पर नजर डाली जाए तो यहां बीजेपी और जेजेपी गठबंधित सरकार है जो कि किसान आंदोलन को लेकर विपक्ष के घेरे में है| खुद को कृषि-कानूनों का हितैषी कहने वाली जेजेपी भी इससे बच नहीं पाई है| जेजेपी पर भी उंगली उठ रही है| वहीं, अब प्रदेश में विपक्ष में बैठी कांग्रेस ने बड़े स्तर पर इस गठबंधित सरकार को घेरने का प्लान बनाया है|
जैसा कि हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा पहले भी कह चुके हैं कि वह हरियाणा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे और इसके लिए उन्होने राज्यपाल से विशेष सत्र बुलाने की मांग की है| वहीँ, हुड्डा ने सोमवार को कहा कि कांग्रेस का भाजपा-जेजेपी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का पक्का फैसला है| कांग्रेस अविश्वास प्रस्ताव लाएगी| इस सरकार ने लोगों का और विधायकों का विश्वास खो दिया है, इसलिए हम अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे| हुड्डा ने कहा कि सरकार के गठबंधन सहयोगी के विधायक ही कह रहे हैं कि यह सबसे भ्रष्ट सरकार है| यहाँ तक की हुड्डा ने ये भी कहा कि सरकार को समर्थन देने वाले दो निर्दलीय विधायकों (Independent MLA’s) ने अपना समर्थन वापस ले लिया है| हुडडा ने कहा कि सरकार के खिलाफ जब हम अविश्वास प्रस्ताव लाएंगे, तब हम सबको इस बात का पता चल जाएगा कि कौन किसके साथ खड़ा है। बतादें कि हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र 5 मार्च से शुरू हो रहा है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन पिछले साल नवंबर से जारी है| इसी किसान आंदोलन के लिए सत्ता पक्ष के कई नेताओं ने पार्टी से दूरी बना ली है| खासकर ऐसा हरियाणा में ज्यादा दिखा है| वहीँ कांग्रेस और कई विपक्षी दल किसान आंदोलन का समर्थन कर ही रहे हैं|
आपको बतादें कि, किसानों और सरकार के बीच अब तक 11 राउंड की बातचीत हो चुकी है लेकिन गतिरोध दूर नहीं हो पाया है| प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने एक सर्वदलीय बैठक में कहा था कि कृषि कानूनों को लेकर जो प्रस्ताव दिया गया है उस पर अमल करने के लिए सरकार तैयार है| बस आंदोलरत किसानों के उनकी सरकार को एक फ़ोन की देरी है| मगर किसान आंदोलन कानूनों को निरस्त करने की मांग पर अड़ा है|